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5G तकनीक कब तक आपके हाथ में होगी और पैसे कितने चुकाने पड़ेंगे?

केंद्र सरकार ने 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी को हरी झंडी दे दी है। नीलामी 26 जुलाई से शुरू होगी। इसके तहत टेलीकॉम कंपनियों को अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर 20 साल के लिए लीज मिलेगी। इसके लिए कुल 72 गीगाहर्ट्ज (GHz) 5G स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए उपलब्ध रहेंगे। ऐसे में यह जानना अहम है कि 5G आखिर है क्या? इस स्पेक्ट्रम नीलामी में कौन हिस्सा लेगा? 5G के आने से क्या फर्क पड़ेगा? क्या  इसके आने के बाद डेटा प्लान महंगे हो जाएंगे? आम उपभोक्ता को कब तक 5G सेवाएं मिलने लगेंगी?  5G स्पीड के अलावा और कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?

5G है क्या?

आसान शब्दों में समझें तो 5G सबसे आधुनिक स्तर का नेटवर्क है, जिसके अंतर्गत इंटरनेट स्पीड सबसे तेज होगी। इसकी विश्वसनीयता ज्यादा होगी और इसमें पहले से ज्यादा नेटवर्क को संभालने की क्षमता होगी। इसके अलावा इसकी मौजूदगी का क्षेत्र ज्यादा होगा और एक्सपीरियंस भी यूजर फ्रेंडली होगा। 5G की सबसे खास बात यह है कि यह निचली फ्रीक्वेंसी के बैंड से लेकर हाई बैंड तक की वेव्स में काम करेगा। यानी इसका नेटवर्क ज्यादा व्यापक और हाई-स्पीड होगा।

इस स्पेक्ट्रम नीलामी में कौन हिस्सा लेगा?

इस स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए केवल भारतीय कंपनियों को शामिल होने की अनुमति मिली है। इस वक्त देश में दो सरकारी और तीन प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियां ऑपरेट कर रही हैं। सरकारी कंपनियों में एमटीएनएल और बीएसएनएल हैं। वहीं, प्राइवेट कंपनियों में वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की जियो शामिल है।

5G के आने से क्या फर्क पड़ेगा? 

4G के मुकाबले 5G में यूजर को ज्यादा तकनीकी सहूलियतें मिलेंगी। 4G में इंटरनेट की डाउनलोड स्पीड 150 मेगाबाइट्स प्रति सेकंड तक सीमित है। 5G में यह 10 जीबी प्रति सेकंड तक जा सकती हैं। यूजर्स सिर्फ कुछ सेकंड्स में ही भारी से भारी फाइल डाउनलोड कर सकेंगे। 5G में अपलोड स्पीड भी एक जीबी प्रति सेकंड तक होगी, जो कि 4G नेटवर्क में सिर्फ 50 एमबीपीएस तक ही है। दूसरी तरफ 4G के मुकाबले 5G नेटवर्क का दायरा ज्यादा होने की वजह से यह बिना स्पीड कम हुए भी कई और डिवाइसेज के साथ जुड़ सकेगा।

क्या इसके आने के बाद डेटा प्लान महंगे हो जाएंगे?

यूजर्स के लिए सबसे बड़ा सवाल है 5G इंटरनेट के लिए चुकाई जाने वाली कीमत का है। चूंकि भारत में अब तक स्पेक्ट्रम नीलामी नहीं हुई है, ऐसे में टेलीकॉम कंपनियों ने इसे लेकर कोई बयान नहीं दिया है। हालांकि, नई तकनीक को लाने में हुए खर्च की वजह से 5G सेवा की कीमतें 4G से ज्यादा रहने का अनुमान है।

जिन देशों में 5G सेवाएं लॉन्च हो चुकी हैं, अगर उनमें 4G और 5G की कीमतों का अंतर देखा जाए तो सामने आता है कि अमेरिका में 4G अनलिमिटेड सेवाओं के लिए जहां 68 डॉलर (करीब पांच हजार रुपये) तक खर्च करने पड़ते थे, वहीं 5G में यह अंतर बढ़कर 89 डॉलर (करीब 6500 रुपये) तक पहुंच चुका है। अलग-अलग प्लान्स के तहत ये फर्क अलग-अलग होता है। 4G के मुकाबले 5G प्लान 10 से 30 फीसदी तक महंगे हैं।

हालांकि, भारत में यह फर्क काफी कम रहने की उम्मीद है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत में डेटा की कीमत दुनिया में सबसे कम रही है। इसी साल मार्च में एयरटेल के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (सीटीओ) रणदीप सेखोन ने कहा था कि 5G के प्लान्स 4G के ही आसपास रखे जाएंगे। मोबाइल कंपनी नोकिया इंडिया के सीटीओ रणदीप रैना भी एक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि भारत में जल्दी 5G के रोलआउट के लिए प्लान्स की कीमतों को कम ही रखा जाएगा।

5G स्पीड के अलावा और कौन सी सुविधाएं मिलेंगी?

5G की लॉन्चिंग के बाद हमारे जीवन, कारोबार और काम करने के तरीके-सब बदलने के कयास लगाए जा रहे हैं। दरअसल, 5G की उन्नत तकनीक और उच्च क्षमता सभी चीजों को एक दूसरे से जोड़ देगी- घर, बगैर ड्राइवर वाली कार, स्मार्ट ऑफिस, स्मार्ट सिटी और उन्नत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। कई अर्थों में, तकनीक से जिन बेहतर और असंभव बदलावों के बारे में हम अक्सर सोचते हैं, 5G नेटवर्क से वे सब संभव हैं।

यह संभावना जताई जा रही है कि 5G तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में-खासकर अस्पतालों, हवाई अड्डों और डाटा संग्रहण में बड़ी भूमिका निभाएगी। वायरलेस तकनीक की अगली पीढ़ी सिर्फ फोन तक सीमित नहीं होगी।

क्या 5G सेवाओं के लिए आपके पड़ोस में लगेंगे और टावर?

5G की एक खास बात यह है कि यह उन्हीं रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करेगा, जिन पर मौजूदा मोबाइल डेटा, वाई-फाई और सैटेलाइट संचार चलता आ रहा है। यानी टेलीकॉम कंपनियां 5G नेटवर्क के लिए आपके पड़ोस में कोई अतिरिक्त टावर नहीं लगाएंगी।

किन स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी?

टेलीकॉम विभाग कुल 72,097.85 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम को 20 साल के नीलामी में उतारेगा। जिन स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी के लिए नीलामी होगी, उनमें 600 MHz, 700 MHz, 800 MHz, 900 MHz, 1800 MHz, 2100 MHz, 2300 MHz, 3300 MHz और 26 गीगाहर्ट्ज (GHz) के बैंड शामिल हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्यादातर टेलीकॉम सेवा प्रदाता मध्य और उच्च बैंड वाले स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाएंगे, ताकि देश में 4G से करीब 10 गुना ज्यादा स्पीड और क्षमता वाली सेवाओं को उतारा जा सके।

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