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बागी रहे कांग्रेसी धमतरी और कुरुद में ठोंकने लगे ताल

राजेंद्र ठाकुर
धमतरी। धमतरी और कुरुद विधानसभा में 2018 के चुनाव में बागी रहे कांग्रेसी 2023 के लिए ताल ठोंकने लगे हैं। कहते हैं बागियों के चलते ही कांग्रेस इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा से मात खा गई। कुरुद विधानसभा में कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी लक्ष्मीकांता साहू तीसरे नंबर पर रही थी और कांग्रेस के बागी नीलम चंद्राकर दूसरे स्थान पर रहे। धमतरी विधानसभा में आनंद पवार के कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने के कारण कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी गुरुमुख सिंह होरा चुनाव हार गए थे और भाजपा की रंजना साहू मामूली अंतर से विधायक बन गई। कहते हैं नीलम चंद्राकर और आनंद पवार के साथ अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ काम करने वाले दूसरे लोग धमतरी-कुरुद से दावेदारी करने लगे हैं। 18 अगस्त को धमतरी में कांग्रेस का संकल्प शिविर है। पिछली दफे भी कांग्रेस के उम्मीदवार को जिताने की शपथ ली गई थी, लेकिन टिकट की घोषणा के साथ ही समीकरण बदल गए।

आमतौर पर कुरुद में भाजपा और कांग्रेस में सीधा मुकाबला रहता है और एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की जीत का इतिहास रहा है , लेकिन 2018 में त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा के अजय चंद्राकर 2013 के बाद 2018 में जीत दर्ज की। भाजपा के अजय चंद्रकार को 72,922 वोट मिले, जबकि कांग्रेस के बागी नीलम चंद्रकार को 60,605 और कांग्रेस की अधिकृत प्रत्याशी लक्ष्मीकांता साहू को 26,483 वोट मिले। लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने नीलम चंद्रकार को पार्टी में वापस ले लिया। अभी नीलम चंद्रकार की पत्नी तारिणी चंद्राकर कुरुद की मंडी अध्यक्ष हैं। लगभग 67 फीसदी साहू वोटर वाले कुरूद विधानसभा में कांग्रेस चुनावी दांव खेलते हुए साहू समाज से ही युवा और महिला प्रत्याशी लक्ष्मीकांता साहू को मैदान में उतारा था, लेकिन नीलम चंद्रकार कांग्रेस से ज्यादा वोट ले गए। कहते हैं 2018 में मिले वोट के आधार पर नीलम चंद्रकार 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए ताल ठोंक रहे हैं। कुरूद को हाईप्रोफाइल सीट माना जा रहा है। यहां से भाजपा की तरफ से पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के फिर से चुनाव लड़ने की पूरी सम्भावना है। खबर है कि उन्होंने जमीनी तैयारी शुरू कर दी है।

गुरुमुख सिंह होरा धमतरी विधानसभा क्षेत्र से 2008 और 2013 का चुनाव जीता था। 2018 में उन्हें उम्मीदवार बनाया गया तो वे भाजपा की रंजना दीपेंद्र साहू से 464 वोटों से हार गए। गुरुमुख सिंह होरा ने 2008 और 2013 के चुनाव में भाजपा को बड़े अंतर से मात दी थी। 2008 के विधानसभा चुनाव में

गुरुमुख सिंह को 76746 वोट और भाजपा के विपिन कुमार साहू को 49739 वोट मिले थे। 2013 में भी गुरुमुख सिंह ने भाजपा के इंद्र चोपड़ा को 10 हजार से अधिक वोटों से हराया था। 2013 में गुरुमुख सिंह को 70960 और इंद्र चोपड़ा को 60460 वोट मिले थे। 2018 में भाजपा की रंजना दीपेन्द्र साहू को 63198 और कांग्रेस के गुरुमुख सिंह होरा को 62734 वोट मिले। कांग्रेस से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले आनंद पवार 29163 वोट ले गए। लोकसभा चुनाव के कुछ पहले आनंद पवार भी कांग्रेस में आ गए। कहते हैं आनंद पवार कांग्रेस के एक कद्दावर नेता के समर्थन से 2018 का विधानसभा चुनाव लड़े , फिर उनके कृपा के चलते कांग्रेस में आ गए। कहते हैं आनंद पवार का साथ देने वाले कांग्रेस के लोग धमतरी जिले के मलाईदार पदों पर बैठे हैं। चुनाव हारने के बाद भी पिछले पांच साल से गुरुमुख सिंह होरा धमतरी विधानसभा में सक्रिय बताए जाते हैं और टिकट के दावेदार हैं, पर धमतरी में दावेदारों की होड़ लग गई है। कांग्रेस का टिकट तो किसी एक मिलेगी , ऐसे में बाकी दावेदार क्या करते हैं , देखना होगा। 2018 की पुनरावृति होती है या संकल्प शिविर से कोई हल निकलता है।

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