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जगदलपुर नगर निगम की सामान्य सभा में हुआ हंगामा,सदन में भिड़े कांग्रेस-भाजपा के पार्षद, धक्का-मुक्की के साथ हुई गाली-गलौज

जगदलपुर। नगरीय निकाय चुनाव के पहले नगर निगम की अंतिम सामान्य सभा में सदन के भीतर भाजपा और कांग्रेसी पार्षदों के बीच जमकर वाद-विवाद हुआ और बात धक्का-मुक्की, गाली-गलौज तक पहुंच गई। भाजपा-कांग्रेस पार्षदों के बीच भड़के विवाद को देखते हुए पहले 15 मिनट के लिए और फिर एक घंटे के लिए सदन स्थगित करना पड़ गया। बैठक का पहला सत्र पूरी तरह से हंगामे के भेंट चढ़ गया और सदन में लाए गए किसी भी विषय पर चर्चा की शुरुआत नहीं हो सकी। दूसरा सत्र में कांग्रेसी हंगामा करते रहे, पर सदन के समक्ष रखे गए 13 विषय भाजपा सर्वसम्मति से पारित करा ले गई।

मार्च माह में महापौर सफीरा साहू, वरिष्ठ पार्षद यशवर्धन राव सहित पांच कांग्रेसी पार्षदों के दल-बदल कर भाजपा में प्रवेश कर लेने से नगर सरकार की सत्ता कांग्रेस के हाथ से खिसक गई थी। साढ़े नौ वर्ष बाद भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद यह पहली सभा थी। यह तय था कि सत्ता हाथ से चले जाने की बौखलाहट सदन में कांग्रेसी पार्षद दल की ओर से दिखाई देगी। हुआ भी वैसा ही। सदन शुरु होने के पहले ही कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया। कांग्रेसी सदन में राष्ट्रगान और छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना में भी सम्मिलित नहीं हुए। पूरे सत्र में महापौर साहू, पार्षद राव और पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय पांडेय को निशाने पर रखे रहा।

सदन में कांग्रेस ने दल-बदलने का गुस्सा महापौर सफीरा साहू और यशवर्धन राव पर फूटा। मक्कार और गद्दार के नारे लगाते हुए अवसरवादी राजनीति का आरोप लगाया। दल-बदल के पहले नईदुनिया में प्रकाशित समाचार को हाथ में लेकर कांग्रेसी पूर्व नेता प्रतिपक्ष संजय पांडेय से सवाल पूछते रहे कि महापौर पर कार्रवाई की मांग करने वाले चुप क्यों है। क्या भाजपा प्रवेश करते ही दाग धुल गए?

महापौर साहू ने उपनेता प्रतिपक्ष राय को आड़े हाथ लेते कहा कि स्थगन काल में राय ने उनकी साड़ी पर टिप्पणी कर उन्हें अपमानित किया है। नारी का अपमान करना ही कांग्रेस की संस्कृति रही और जब तक वे कांग्रेस में रही अपमानित होती रही। राव ने कहा कि कांग्रेस में उन्हें वह सम्मान नहीं मिला। तीन वर्ष पहले ही उन्हें कांग्रेस छोड़ देना चाहिए था।

विपक्ष ने संजय पांडेय के एमआइसी सदस्य नहीं होते हुए भी सामने कुर्सी देने के बहाने नेता प्रतिपक्ष के कमरा आवंटन पर संजय पांडेय को निशाना बनाया। कांग्रेसी पार्षद विक्रम सिंह डांगी के बिगड़े बोल से सदन का माहौल गर्मा गया और बात पांडेय और डांगी के बीच हाथा-पाई तक पहुंच गई। पांडेय ने निगम सभापति कविता साहू के आंसदी तक पहुंचकर आपत्ति जताई। स्थिति यह बनी की आसंदी के सामने ही कांग्रेसी और भाजपा पार्षद भिड़ गए।

उप नेता प्रतिपक्ष राजेश राय शहर में कूड़ा निपटान की समस्या को दर्शाने अनूठा रुप धरकर सदन में पहुंचे थे, जिसे भाजपा ने सदन की गरिमा अनुसार नहीं होने को मुद्दा बनाया। राय को सदन से बाहर निकालने की मांग करने लगे। इस पर सभापति साहू ने चार घंटे की बहस के बाद राय को अपनी टोपी उतारने कहा। पार्षद आलोक अवस्थी ने इस कार्रवाई पर असंतोष जताते कहा कि इतनी कमजोर आंसदी निगम के कार्यकाल में कभी नहीं रही।

 

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