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राज्यसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित, गुलाम नबी आजाद आज राष्ट्रपति से करेंगे मुलाकात

नई दिल्ली: राज्यसभा का मानसून सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. 14 सितंबर से शुरू हुए सत्र में राज्यसभा से कई विधेयक पारित किये जा चुके हैं जिनमें हाल ही में लागू कुछ अध्यादेशों की जगह लेने के लिए लाये गये विधेयक भी शामिल हैं.

पहले से तय समय के अनुसार मानसून सत्र एक अक्टूबर तक चलना निर्धारित था. लेकिन राज्यसभा को स्थगित कर दिया गया है. लोकसभा की आगे की कार्यवाही को लेकर भी आज फैसला लिया जाएगा.

सभापति एम वेंकैया नायडू ने सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने से पहले अपने पारंपरिक संबोधन में कहा कि यह सत्र कुछ मामलों में ऐतिहासिक रहा क्योंकि इस दौरान उच्च सदन के सदस्यों को बैठने की नयी व्यवस्था के तहत पांच अन्य स्थानों पर बैठाया गया. ऐसा उच्च सदन के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. इसके अलावा सदन ने लगातार दस दिनों तक काम किया. शनिवार और रविवार को सदन में अवकाश नहीं रहा.

संसद से कुछ ही दिनों पहले पारित कृषि संबंधी विधेयकों को लेकर विभिन्न विपक्षी दलों के सांसदों ने आज संसद भवन परिसर में मौन विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन कर रहे सांसद अपने हाथों में तख्तियां लिये हुए थे जिन पर ‘किसानों को बचाओ, मजदूरों को बचाओ, लोकतंत्र को बचाओ’ जैसे नारे लिखे थे.

विरोध प्रदर्शन के दौरान विपक्षी सांसदों ने संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिभा से भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा तक मार्च निकाला. वे कुछ देर महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने कतारबद्ध होकर खड़े हुए.

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा, द्रमुक, राष्ट्रीय जनता दल, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

इससे पहले विपक्षी दलों ने कृषि विधयकों को लेकर आगे की रणनीति तैयार करने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के कक्ष में बैठक की. विभिन्न विपक्षी दल कृषि संबंधी विधेयकों के संसद में पारित किये जाने का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने संसद की कार्यवाही का भी बहिष्कार किया है.

उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उनसे इन विवादास्पद विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध किया है. आजाद अपनी मांग रखने के लिये शाम पांच बजे राष्ट्रपति कोविंद से मिलने जायेंगे.

संसद ने आज तीन प्रमुख श्रम सुधार विधेयकों को मंजूरी दे दी, जिनके तहत कंपनियों को बंद करने की बाधाएं खत्म होंगी और अधिकतम 300 कर्मचारियों वाली कंपनियों को सरकार की इजाजत के बिना कर्मचारियों को निकालने की अनुमति होगी.

राज्यसभा ने ध्वनि मत से औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा और व्यावसायिक सुरक्षा पर शेष तीन श्रम संहिताओं को पारित किया. इस दौरान आठ सांसदों के निष्कासन के विरोध में कांग्रेस, वामपंथी और कुछ अन्य विपक्षी दलों ने राज्यसभा की कार्रवाई का बहिष्कार किया.

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