पटना। विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विधि सम्मेलन का उद्घाटन किया।बार काउंसिल को इस समारोह के आयोजन के लिए बधाई देते हुए,पटना उच्च न्यायालय के एडविकेट्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष और वरीय महिला अधिवक्ता,श्रीमती छाया मिश्र ने केंद्रीय स्तर पर बार काउंसिल और 18 विभिन्न राज्यों के बार काउंसिल में महिला वकीलों के लिए 35 प्रतिशत आरक्षण का सुझाव दिया है.
श्रीमती छाया मिश्र ने भारत सरकार के विधि एवम न्याय मंत्री तथा बार काउंसिल के चेयरमैन आज निवेदन किया है, अटॉर्नी जनरल जनरल और सॉलिसिटर जनरल कोप्टेड सदस्य हैं तथा राज्य स्तर पर एडवोकेट जनरल भी नामित होते है,राष्ट्रीय स्तर पर बार काउंसिल की गवर्निंग काउंसिल में 18 में छ महिला प्रतिनिधि होने चाहिए,बिहार में सिर्फ एक महिला प्रतिनिधि है।
तत्कालिन विधि मंत्री, किरण रिजोजू ने संसद में जुलाई,2022 में बताया था पूरे देश में निबंधित अधिवक्ताओं में सिर्फ 15 प्रतिशत महिला वकील हैं, पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे ज्यादा 39 प्रतिशत है.
विभिन उच्च नयायलों में घोषित आधिकारिक वरिष्ठ महिला अधिवक्ता की संख्या भी नगण्य है,कलकाता में चार,मद्रास में 10 ,मुंबई में और बिहार में एक।जरूरत है,डिजाइनेटेड सीनियर एडविकेट्स में भी महिला अधिवक्ता को ज्यादा प्रतिनिधि बनाया जाए.
श्रीमती छाया मिश्र ने बताया की अभी हाल में महाराष्ट्र और गोवा की महिला वकीलों ने एक प्रस्ताव पास कर उनके राज्य के बार काउंसिल में जहां 25 सदस्य हैं,न्यूनतम पांच महिला प्रतिनिधि मनोनित करने की मांग की है.
बिहार में पटना उच्च न्यायालय में जहां दस हजार से भी ज्यादा वकील एनरोल्ड हैं,न्यूनतम पांच महिला प्रतिनिधि बार काउंसिल में होने चाहिए.राज्य के जिला स्तरीय ,सब डिविजनल कोर्ट्स और ट्रिब्यूनल में भी महिला अधिवक्ता हैं,इनकी संख्या को देखते हुए,35 प्रतिशत महिला बार काउंसिल में हो तथा कम से कम दस वरीय महिला अधिवक्ता को वरिष्ठ श्रेणी दिया जाय,श्रीमती छाया मिश्र ने मांग की है.