राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत गाय, बैल, भैंस, भैंसी को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने जिले में 02 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक सघन टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य महासमुंद जिला को खुरपका-मुंहपका (खुरहा) रोग से मुक्त करना है। पशु चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि पशु चिकित्सा टीकाकरण हेतु 63 दल के द्वारा ग्रामों में घर-घर जाकर एफएमडी टीकाकरण किया जा रहा है। जिले में 2,46,696 पशुओं में टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। टीकाकरण कार्य के सुचारू रूप से संचालन हेतु जिले एवं विकासखण्ड स्तर पर नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गयी है।
उप संचालक, पशु चिकित्सा सेवायें डॉ. डी.डी.झारिया ने बताया कि खुर वाले पशुओं में एप्थोवायरस नामक विषाणु से होने वाली यह संक्रामक रोग है। इस विषाणु के सात सीरो टाइप ए.ओ.सी. एसिया-1 एवं एसएटी 1, 2, 3 है। जिसमें भारत में मुख्यतः ए, ओ, सी एवं एसिया-1 से ही यह बीमारी होती है। यह बीमारी, बीमार पशुओं के संपर्क में आने से, उनके खाने एवं अपशिष्ट पदार्थो से तथा मनुष्योें द्वारा विषाणु के संपर्क में आने से स्वस्थ पशुओं में फैलता है। इसके लक्षण पाये जाने पर पशुओं में बुखार, मुंह से लार का बहना एवं पैरांें में लंगड़ापन इत्यादि होता है। इस बीमारी की वजह से छोटे बछड़ो की मृत्यु होने से पशुधन की हानि होती है। व्यस्क पशुओं में मृत्यु दर कम होती है किन्तु दुग्ध उत्पादन एवं कार्यक्षमता प्रभावित होती है। इसके बीमारी से बचाव के लिए बीमार पशुओं की पहचान कर स्वस्थ पशुओं से अलग कर उपचार करना एवं स्वस्थ पशुओं का सघन टीकाकरण करना जरूरी है। डॉ. झारिया ने जिले के सभी पशुपालकों से आग्रह किया है कि गाय, बैल, भैंस, भैंसी को खुरपका-मुंहपका रोग से बचाने के लिए उन्हे टीका अवश्य लगवायें और अपने पशुओं को सुरक्षित करें।
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