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कही-सुनी (27 NOV-22): भानुप्रतापपुर उपचुनाव में दांवपेंच

रवि भोई की कलम से

भानुप्रतापपुर उपचुनाव में कांग्रेस -भाजपा के दांवपेच के साथ अब सर्व आदिवासी समाज ने आक्रामक रुख अख्त्यार कर लिया है। सर्व आदिवासी समाज के लोग अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए शपथ ले रहे हैं। इससे भानुप्रतापपुर उपचुनाव रोचक और रोमांचक हो गया है। चर्चा है कि सर्व आदिवासी समाज के रुख से कहीं कांग्रेस -भाजपा का खेल न बिगड़ जाए। कांग्रेस सरकार सर्व आदिवासी समाज को साधने के लिए राज्य में आदिवासियों को 32 फीसदी आरक्षण का विधेयक ला रही है। इसके लिए एक और दो दिसंबर को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया गया है। कहा जा रहा है कि सरकार के प्रस्ताव के मुताबिक राज्य में एसटी, एससी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस मिलाकर 76 फीसदी आरक्षण हो जाएगा। माना जा रहा है कि ऐसा कर राज्य सरकार गेंद केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट के पाले में डाल देगी। भानुप्रतापपुर उपचुनाव में भले राज्य में आरक्षण चुनावी मुद्दा न बने, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनाव में तीर की तरह होगा। सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने जिस तरह कांग्रेस के मंत्री कवासी लखमा के सामने विरोध प्रदर्शन किया, उससे उनकी नाराजगी झलकती है। भानुप्रतापपुर सीट कांग्रेस की है और विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के आकस्मिक निधन से यह सीट रिक्त हुई है। यहां से कांग्रेस की तरफ से स्व. मनोज मंडावी की पत्नी सावित्री मंडावी चुनाव लड़ रही है। सावित्री को सहानुभूति का लाभ मिल सकता है और फिर 2018 के बाद अब तक राज्य में कांग्रेस कोई विधानसभा उपचुनाव नहीं हारी है, लेकिन सर्व आदिवासी समाज के प्रत्याशी अकबर राम कोर्राम के पक्ष में आदिवासियों का एक वर्ग माहौल बना रहा है, उससे मुकाबला रोचक हो गया है। कांग्रेस ने भाजपा प्रत्याशी ब्रम्हानंद नेताम को अनाचार के आरोप में घेरने की कोशिश की, पर दांव फेल हो गया। भाजपा भी यहां पूरी ताकत लगा दी है, यहां उसकी प्रतिष्ठा लगी है। अब कौन हारता है और कौन जीतता है, यह आठ दिसंबर को ही पता चलेगा।

ठाकुर रामसिंह किस्मत वाले

कहते हैं छत्तीसगढ़ के राज्य निर्वाचन आयुक्त ठाकुर रामसिंह छह महीने और अपने पद पर बने रहेंगे। सरकार ने राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल खत्म होने के बाद अधिकतम एक साल तक पद में बने रहने का प्रावधान कर दिया है। अभी यह अवधि छह महीने थी। देश में छत्तीसगढ़ अभी एकमात्र राज्य है, जिसने यह संशोधन किया है। छत्तीसगढ़ के राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर ठाकुर रामसिंह की नियुक्ति भाजपा शासन में हुई थी। ठाकुर रामसिंह का कार्यकाल खत्म होने के बाद इस पद पर रिटायर्ड आईएएस डीडी सिंह की नियुक्ति की चर्चा चली थी। डीडी सिंह रिटायरमेंट के बाद सरकार में संविदा पर हैं , उनके पास ट्राइबल और जीएडी के साथ मुख्यमंत्री सचिवालय में सचिव की जिम्मेदारी है।

ओपी माथुर भी नहीं बच पाए चौकड़ी से

कहते हैं छत्तीसगढ़ भाजपा के नए प्रभारी ओपी माथुर भले काफी अनुभवी और तेज-तर्रार हैं , लेकिन वे भी प्रदेश भाजपा की चौकड़ी से बच नहीं पाए। चौकड़ी के लोग उनके साथ फोटो खिंचवाने में लगे रहे। इस चौकड़ी से प्रदेश भाजपा के कुछ लोग भारी खार खाते हैं और उन्हें काटने की कोशिश करते हैं , लेकिन चौकड़ी के लोग हैं कि जब भी कोई वजनदार पदाधिकारी आता है, उसे अपने कब्जे में ले लेते हैं और उनसे जलने वालों को और जलाते हैं।

कितने को मिलेगा राहुल से वन टू वन का मौका

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए छतीसगढ़ के सकैड़ों नेता और कार्यकर्ता मध्यप्रदेश गए हैं। कहते हैं खरगौन से वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होंगे। भारत जोड़ो यात्रा में शरीक होने के लिए कांग्रेसी छत्तीसगढ़ की सात नदियों का पानी और यहां की मिट्टी लेकर गए हैं। इसका मकसद प्रेम का संदेश देना है। लोगों में चर्चा है कि इतने सारे कांग्रेसी भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने गए हैं, उनमें से कितने को राहुल गांधी के साथ चलने और बातचीत का मौका मिलेगा। कहा जा रहा है जिस कांग्रेसी नेता या कार्यकर्ता को राहुल के साथ चलने का मौका मिलेगा, उसे अपनी बात कहने का मौका मिलेगा और वह सौभाग्यशाली होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तो कई राज्यों में भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो चुके हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम तेलंगाना में यात्रा के प्रवेश के वक्त राहुल के साथ-साथ काफी दूर तक चले थे।

ईडी शांत या सक्रिय

छत्तीसगढ़ में ईडी ( प्रवर्तन निदेशालय ) ने 11 अक्टूबर को ताबड़तोड़ कार्रवाई कर एक आईएएस समेत चार लोगों को जेल भेज दिया। दो आईएएस को तलब करने के साथ कई खनिज अधिकारियों और कोयला व्यापारियों से पूछताछ की। चर्चा है कि ईडी की टीम कोयला कारोबारियों को लगातार पूछताछ के लिए बुला रही है और दो खनिज अधिकारियों पर अपना शिकंजा कसे हुए है, पर लोगों को लग रहा था कि राज्य में ईडी आक्रामक कार्रवाई कर बड़े-बड़े मगरमच्छों को दबोचेगी, ऐसा फिलहाल नजर नहीं आ रहा है। कहा जा रहा है दिसंबर में गुजरात चुनाव निपटने के बाद ईडी का एक्शन तेज होगा, तब पता चलेगा कि इस बीच ईडी शांत रही या सक्रिय रही।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं। )
(डिस्क्लेमर – कुछ न्यूज पोर्टल इस कालम का इस्तेमाल कर रहे हैं। सभी से आग्रह है कि तथ्यों से छेड़छाड़ न करें। कोई न्यूज पोर्टल कोई बदलाव करता है, तो लेखक उसके लिए जिम्मेदार नहीं होगा। )
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