नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पिछले दिनों एक आदेश जारी कर आयुर्वेदिक और यूनानी पद्धति के डॉक्टर्स को भी मरीजों की सर्जरी करने की छूट दे दी है. सरकार के इस फैसले को लेकर देशभर के डॉक्टर्स दो गुटों में बंट गए हैं और अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने हड़ताल का आवाहन किया है. हर जगह हड़ताल का असर दिख रहा है.
हड़ताल के दौरान प्राइवेट हॉस्पिटल, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी बंद रहेगी. इस दौरान प्रदेश के निजी हॉस्पिटल में ओपीडी नहीं खुलेगी. इमरजेंसी और कोविड को छोड़कर सभी सेवाएं ठप रहेंगी. हड़ताल का सरकारी अस्पतालों पर भी पड़ेगा.
आयुष मंत्रालय के अधीन भारतीय चिकित्सा प्रणालियों के नियमन से जुड़ी सांविधिक इकाई सीसीआईएम ने 20 नवंबर को जारी अधिसूचना में 39 सामान्य सर्जरी प्रक्रियाओं को सूचीबद्ध किया था जिनमें से 19 प्रक्रियाएं आंख, नाक, कान और गले से जुड़ी हैं. इसके लिए भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) अधिनियम, 2016 में संशोधन किया गया था. आईएमए के पदाधिकारियों ने प्रेस कांफ्रेंस कर सरकार के इस फैसले पर कड़ा एतराज जताया है और इसे मिक्सोपैथी करार दिया है.
आईएमए ने इस फैसले की निंदा की थी और चिकित्सा प्रणालियों के मिश्रण को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम करार दिया था. इससे पहले सर्जरी का काम सिर्फ एलोपैथी पद्धति की पढ़ाई करने वाले डॉक्टर्स ही करते रहे हैं.