रवि भोई की कलम से
कहा जा रहा है कि 2023 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट एक या दो अक्टूबर को जारी हो सकती है। एक अक्टूबर को भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक प्रस्तावित है। इस बैठक में छत्तीसगढ़ के प्रत्याशियों पर मुहर लगा दिया जाएगा। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 30 सितंबर को बिलासपुर में आयोजित सभा के कारण छत्तीसगढ़ की सूची को मध्यप्रदेश के साथ जारी नहीं किया गया। कहते हैं कि दूसरी सूची में चौंकाने वाले नाम होंगे। दूसरी लिस्ट में 2018 में हारे हुए सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा की संभावना है। खबर है कि केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह को सरगुजा इलाके की किसी सीट से लड़ाया जा सकता है। दूसरी सूची में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे , लता उसेंडी,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी, विष्णुदेव साय, सांसद गोमती साय, प्रदेश महामंत्री केदार कश्यप, ओपी चौधरी के नाम हो सकते हैं। बस्तर के कोंटा, बीजापुर समेत कुछ सीटों में नए चेहरे को उतारे जाने की खबर आ रही है।
कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची चुनाव घोषणा के बाद ही
कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा चुनाव की तारीख आने के बाद ही होगी। प्रत्याशियों के नामों को लेकर बड़े नेताओं के बीच प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है, लेकिन अभी तक लिस्ट केंद्रीय चुनाव समिति के पास पहुंची नहीं है। केंद्रीय चुनाव समिति की मुहर के बाद ही प्रत्याशियों के नामों की घोषणा होगी। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने दिग्गजों और मंत्रियों को फिर से उम्मीदवार बनाए जाने के बारे में सिद्धांतः सहमति बना ली है, लेकिन कुछ मंत्रियों के सीट बदलने और पुराने विधायकों को लेकर अंतर्कलह के चलते पेंच फंसा है। इसके अलावा कुछ विधायकों की टिकट कटने की भी खबर आ रही है। इसके कारण भी प्रत्याशी तय करने में देरी की सूचना है।
सुर्ख़ियों में सीबीआई डायरेक्टर की यात्रा
पीएससी भर्ती में गड़बड़ी की जांच सीबीआई से कराने की मांग के बीच छुट्टी के दिन सीबीआई के डायरेक्टर प्रवीण सूद का रायपुर आना चर्चा का विषय बन गया है। लोग कानाफूसी करने लगे हैं कि सीबीआई डायरेक्टर जाँच की तैयारियों के सिलसिले में आए थे। हाईकोर्ट के निर्देश पर पीएससी भर्ती में गड़बड़ी की जांच का जिम्मा मिलता है, तो सीबीआई एक्शन में आए। 2021और 2022 में पीएससी भर्ती में गड़बड़ी और भाई-भतीजावाद को लेकर भाजपा के नेता लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। भाजपा नेता और विधायक ननकीराम कंवर इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट गए हैं। अब तक की कार्यवाही से लगता है इस मामले में हाईकोर्ट सख्त है। सरकार ने पीएससी मामले की जांच कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करने की बात की है, लेकिन कहीं दांव उल्टा पड़ गया तो इस मामले में सीबीआई की इंट्री हो सकती है। वैसे तो छत्तीसगढ़ में सीबीआई की इंट्री प्रतिबंधित है। भूपेश बघेल सरकार ने 2019 से राज्य में सीबीआई के आने पर रोक लगा रखी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देश पर सीबीआई आ सकती है। अब देखते हैं क्या होता है ?
कुछ कलेक्टर आईटी के निशाने पर
चर्चा है कि छत्तीसगढ़ के कुछ कलेक्टर आयकर विभाग के निशाने पर हैं। कहा जा रहा है कि बड़े जिलों में पदस्थ रहे और वर्तमान में तैनात कलेक्टरों पर आयकर विभाग की पैनी नजर है। माना जा रहा है कि अक्टूबर के पहले हफ्ते में आयकर विभाग अपने काम को अंजाम दे सकता है। कहते हैं डीएमएफ के चलते कलेक्टर्स आयकर विभाग की नजरों में आ गए हैं। पहले भी आयकर विभाग डीएमएफ के चलते कुछ कलेक्टरों को तलब कर हिसाब-किताब ले चुका है। खबर है कि आयकर विभाग का छत्तीसगढ़ के एक पड़ोसी राज्य का आफिस इस काम में लगा है।
क्रिकेट प्रेमी आईजी
कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक आईजी साहब को क्रिकेट का बड़ा शौक है। ये काम से ज्यादा क्रिकेट को प्रेम करते हैं और जब चाहे क्रिकेट खेलने में मशगूल हो जाते हैं। इनके क्रिकेट प्रेम की आजकल बड़ी चर्चा है, क्योंकि इनके इलाके में लगातार बड़ी घटनाएं हो रही हैं, पर आईजी साहब घटनाओं की चिंता छोड़कर बैट-बाल में ही हाथ आजमाते लोगों को दिख जाते हैं। कभी आईजी साहब के पास बड़ा एरिया हुआ करता था, आजकल उन्हें छोटे से इलाके में बांध कर रख दिया गया है। अब आसमान से जमीन पर उतरने से चाल तो बदलेगी ही।
हाईकमान के संकेत से नेताजी को झटका
कहते हैं भाजपा के एक बड़े नेता 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी के लिए अपने इलाके में जबर्दस्त तरीके से वॉल पेंटिंग करवा रहे थे , लेकिन पिछले कुछ दिनों से वॉल पेंटिंग बंद करवा दिया है, साथ में राजनीतिक गतिविधियां भी कम कर दी है। नेताजी अपने इलाके से कई बार विधायक रह चुके हैं और पार्टी उन पर लगातार भरोसा करती रही है। चर्चा है कि इस बार हाईकमान ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाने का संकेत दे दिया है। माना जा रहा है कि इस कारण उन्होंने अपना चुनावी अभियान रोक दिया है। कहा जा रहा है चुनाव लड़ने की इच्छा से नेताजी ने पिछले दिनों एक घटना को लेकर रातभर धरना भी दिया था, लेकिन हाईकमान ने उन्हें झटका दे दिया।
केशकाल प्रत्याशी के खिलाफ शिकायतों का पुलिंदा
कहते हैं आईएएस की नौकरी छोड़कर भाजपा में आए नीलकंठ टेकाम के खिलाफ़ केशकाल और कोंडागांव के पार्टी कार्यकर्ताओं ने प्रदेश कार्यालय में लंबी-चौड़ी शिकायत की है। भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने नीलकंठ टेकाम को केशकाल विधानसभा क्षेत्र से पार्टी का उम्मीदवार बनाए जाने का ऐलान किया है, हालांकि अभी उनके नाम पर केंद्रीय चुनाव समिति ने मुहर नहीं लगाईं है। चर्चा है कि केशकाल और कोंडागांव के पार्टी कार्यकर्ताओं ने नीलकंठ टेकाम को उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया है। खबर है कि करीब 150 पन्नों के शिकायती पत्र में कई आरोप लगाए गए हैं। शिकायत में चेतावनी दी गई है कि नीलकंठ टेकाम को प्रत्याशी बनाया गया तो भानुप्रतापपुर उपचुनाव जैसा परिणाम आएगा।
टिकट से पहले ही विरोध
भाजपा ने अभी अपने प्रदेश महामंत्री ओपी चौधरी को रायगढ़ विधानसभा से उम्मीदवार बनाया नहीं है और उनका विरोध शुरू हो गया है। कहते हैं ओपी चौधरी के ख़िलाफ वहां व्यापारी समुदाय के लोग लामबंद हो गए हैं। भाजपा ने पिछले तीन-चार बार से वहां किसी न किसी अग्रवाल प्रत्याशी को लड़ाया। अब ओबीसी नेता और पूर्व आईएएस चौधरी को प्रत्याशी बनाए जाने के संकेत ने व्यापारी समुदाय को झकझोर दिया है। माना जा रहा है कि रायगढ़ विधानसभा से ओपी चौधरी को टिकट मिलने पर अग्रवाल समाज से कोई व्यक्ति निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ेगा। हालांकि अभी ओपी चौधरी के समाज के व्यक्ति ही रायगढ़ से कांग्रेस के विधायक हैं। भाजपा ने 2018 में ओपी चौधरी को खरसिया विधानसभा से प्रत्याशी बनाया था। इस बार पार्टी ने वहां से एक साहू को उम्मीदवार घोषित कर दिया है, इसको लेकर भी पार्टी कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।
कलेक्टर -एसपी के ट्रांसफर की खबर
कहा जा रहा है कि आचार सहिंता लगने से पहले सरकार कुछ कलेक्टर -एसपी का ट्रांसफर कर सकती है। माना जा रहा है मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के बाद कभी भी आचार सहिंता लग सकती है। कहते हैं कि मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन चार अक्टूबर को होना है। इस कारण संभावना व्यक्त की जा रही है कि इसी हफ्ते कलेक्टर -एसपी की ट्रांसफर लिस्ट आ सकती है। कलेक्टरों के ट्रांसफर तो बीच-बीच में होते रहे हैं, लेकिन एसपी के ट्रांसफर काफी दिन से पेंडिंग है। कई आईपीएस अलग-अलग जिलों में कई साल से एसपी के पद में हैं। अब देखते हैं कितने कलेक्टर-एसपी प्रभावित होते हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)
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