रवि भोई की कलम से
छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बने एक साल से कुछ ज्यादा समय हो गया है, पर नेताओं को अभी तक लालबत्ती नहीं मिली है। लालबत्ती की चाहत रखने वाले नेता इंतजार में समय काट रहे हैं। पहले उम्मीद थी कि लोकसभा चुनाव के बाद कुछ हो जाएगा। फिर स्थानीय निकाय चुनाव का बेरियर आ गया। स्थानीय चुनाव की तारीख तय न होने से निगम-मंडल के दावेदारों का तनाव बढ़ता जा रहा है। आमतौर पर छत्तीसगढ़ में स्थानीय निकायों का चुनाव दिसंबर में निपट जाता है। पिछले कार्यकाल में स्थानीय निकाय चुनाव दिसंबर में संपन्न हो गया था और जनवरी में नगर निगमों में महापौर बैठ गए थे। अबकी बार जनवरी में महापौर और पालिका अध्यक्ष की जगह प्रशासक बैठने जा रहे हैं। स्थानीय निकाय के चुनाव समय पर न होने के कारण पार्षद और महापौर के दावेदारों का भी ब्लड प्रेशर बढ़ता जा रहा है। एक वार्ड में पार्षद के 10 से 15 दावेदार बताए जा रहे हैं। महापौर बनने के इच्छुक लोगों की भी कतार है। यही हाल मंत्री बनने के इच्छुक भाजपा विधायकों का है। मंत्रिमंडल के विस्तार की जब-तब हवा उड़ जाती है। मंत्रिमडल के विस्तार का शुभ-मुहूर्त निकल ही नहीं पा रहा है। विष्णुदेव साय मंत्रिमडल में अभी मंत्री के दो पद खाली हैं। हरियाणा फार्मूले से तीन मंत्री बन सकते हैं। राज्य में मंत्री बनने वाले विधायकों की लंबी फेहरिस्त है। नया-पुराना विधायक मंत्री बनना चाहता है, पर किसी का नंबर नहीं लग पा रहा है। चर्चा है इंतजार में ही भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं में तनाव बढ़ता जा रहा है।
सांसद और विधायक में टकराव
कहते हैं एक मुद्दे पर राजधानी रायपुर के सांसद का एक विधायक से टकराव हो गया। बताते हैं कि रायपुर में एक मेले के आयोजन को लेकर दोनों में सामंजस्य नहीं बैठा। खबर है कि आयोजनकर्ता जिस जगह मेले का आयोजन करना चाहते थे, सांसद जी उसी जगह पर अनुमति देने के पक्षधर थे, जबकि विधायक जी पक्षधर नहीं थे। चर्चा है कि विधायक जी ने जगह को लेकर जिला प्रशासन के सामने आपत्ति कर दी। हवा है कि सांसद जी ने वीटो पावर लगा दिया और निर्धारित स्थान पर ही आयोजकों को मेले की अनुमति जिला प्रशासन से मिल गई। बताते हैं मेले का उद्घाटन सांसद जी ने किया, पर विधायक जी उसमें नहीं पहुंचे।
अवनीश शरण यथावत, मांझी हटे
राज्य सरकार ने 2009 बैच के आईएएस अफसरों को नए साल में तोहफा दे दिया। उन्हें विशेष सचिव से पदोन्नत कर सचिव बना दिया। इनमें बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण और बिपिन मांझी भी हैं। प्रमोशन के वक्त विपिन मांझी नारायणपुर के कलेक्टर थे। सरकार ने बिपिन मांझी को प्रमोशन के बाद वहां से हटा दिया और प्रतिष्ठा ममगई को नारायणपुर का कलेक्टर बना दिया। लेकिन प्रमोशन के बाद अवनीश शरण को यथावत बिलासपुर का कलेक्टर बनाए रखा गया है। बिपिन मांझी को लोक आयोग का सचिव बना दिया गया है। लोक आयोग में सचिव का पद खाली था। कहा जा रहा है कि अवनीश शरण अभी कुछ समय और बिलासपुर के कलेक्टर रहेंगे। बिलासपुर बड़ा जिला है और पहले भी रायपुर और बिलासपुर जैसे बड़े जिले में सचिव स्तर के अधिकारी कलेक्टर रहे हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान अवनीश शरण को बिलासपुर का कलेक्टर बनाया गया था।
ईडी के जाल में कवासी
पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा अंततः ईडी की चपेट में आ गए। ईडी ने शराब घोटाले में कवासी लखमा और उनके परिजनों -रिश्तेदारों के यहां छापा मारा व दस्तावेज जब्त किए हैं। भूपेश बघेल मंत्रिमडल में कवासी लखमा पांच साल आबकारी मंत्री थे। बिना अक्षर ज्ञान के कवासी ने पांच साल आबकारी विभाग को चलाया। शराब घोटाले में कई अधिकारी लपेटे में आ चुके हैं। कुछ जेल में भी हैं। अब कवासी अनपढ़ होने के आधार पर क्या ईडी के जाल से बच पाएंगे, यह लोगों में चर्चा का विषय है। अनपढ़ होने के बाद भी कवासी का अपने इलाके और बस्तर में अच्छी पकड़ है। वर्तमान में कवासी लखमा बस्तर के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। कवासी लखमा पर कार्रवाई से बस्तर में कांग्रेस को झटका लग सकता है। चर्चा है कि कवासी लखमा के माध्यम से ईडी भूपेश बघेल तक पहुँचने की कोशिश कर सकती है।
कुलदीप जुनेजा का निशाना
पूर्व विधायक कुलदीप जुनेजा ने चिट्ठी बम फोड़ा है। कुलदीप जुनेजा ने कुछ लोगों की कांग्रेस में वापसी के विरोध का सहारा लेकर पोल खोल का काम कर दिया है। बताते हैं इससे कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने कुलदीप जुनेजा से मुँह फुला लिया है। चर्चा है कि कुलदीप जुनेजा आनंद कुकरेजा और उनके बेटे अजीत कुकरेजा की कांग्रेस में वापसी का विरोध कर रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में अजीत कुकरेजा ने कांग्रेस से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। कुलदीप की धारणा है कि 2023 में अजीत के कारण उनकी हार हुई। इस कारण वे पार्टी में वापसी का विरोध कर रहे हैं, पर चिट्ठी के बहाने कुलदीप जुनेजा ने परोक्ष रूप से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं पर भी निशाना साध दिया है।
क्या ओंकार को जिलाध्यक्ष बनने देंगे बृजमोहन
बताते हैं रायपुर के पूर्व सांसद रमेश बैस के रिश्तेदार ओंकार बैस का रायपुर जिलाध्यक्ष के लिए नाम टाप पर है, पर क्या रायपुर के वर्तमान सांसद बृजमोहन अग्रवाल सहमति देंगे, यह बड़ा सवाल है। कहा जा रहा है कि रायपुर शहर भाजपा जिलाध्यक्ष के लिए बृजमोहन अग्रवाल की हरी झंडी जरुरी है। बताते है बृजमोहन अग्रवाल वर्तमान रायपुर शहर भाजपा जिलाध्यक्ष जयंती पटेल को ही पद पर बनाए रखना चाहते हैं। अब देखते हैं क्या होता है ?
आबकारी सचिव आर शंगीता ट्रेनिंग में जाएंगी
कहते हैं 2005 बैच की आईएएस और आबकारी सचिव आर शंगीता अगले हफ्ते से ट्रेनिंग पर मसूरी जाएंगी। कहा जा रहा है कि आर शंगीता 31 जनवरी तक ट्रेनिंग में रहेंगी। इस दौरान लिंक अफसर के रूप में मुकेश बंसल उनका काम संभालेंगे। 2005 बैच के आईएएस मुकेश बंसल अभी वित्त और सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव के साथ मुख्यमंत्री के सचिव हैं।
सरकार का नया फार्मूला
राज्य सरकार ने 2009 के आईएएस अफसरों को पहली जनवरी को प्रमोट कर सचिव बना दिया और बिपिन मांझी को छोड़कर अन्य को जहां थे, वहीं पदस्थ कर दिया। लेकिन तकनीकी दिक्कतों के कारण कुछ अफसरों को ओएसडी बनाना पड़ा। मसलन डॉ प्रियंका शुक्ला को हेल्थ का ओएसडी बनाया गया। हेल्थ में पहले से ही अमित कटारिया सचिव हैं। इसी तरह सुनील जैन को खनिज विभाग का ओएसडी बनाया गया है। खनिज विभाग में सचिव पी दयानंद हैं। केडी कुंजाम को राजस्व विभाग का ओएसडी बना दिया गया है। राजस्व विभाग में पहले से ही अविनाश चंपावत सचिव हैं। ओएसडी के साथ इन अफसरों का विभागाध्यक्ष का पद यथावत रखा गया है।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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