कोरोना संकट ने शहरों में गांव से भेजे जाने वाली रकम पर असर डालना शुरू कर दिया है. शहरी इलाकों से देश के गांवों में भेजे जाने वाली रकम में कमी की असली वजह देश के अलग-अलग शहरों में लग रहा लॉकडाउन और कोरोना प्रतिबंध हैं. इससे आर्थिक गतिविधियों में कमी आई है और रोजगार घटा है. यही वजह है कि शहरों में जो लोग कमा कर गांवों में अपने परिवार में पैसे भेज रहे हैं उसमें गिरावट आई है. गैर संगठित क्षेत्र में बढ़ रही बढ़ रही बेरोजगारी की वजह से यह स्थिति पैदा हो रही है.
फंड भेजने की सर्विस देने वाली कंपनियों का कहना है कि महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक से कामगारों की ओर से पैसा भेजने की रफ्तार कम हुई है. इन चार राज्यों में बड़ी तादाद में प्रवासी मजदूर असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में काम करते हैं. एक बड़ी रेमिटेंस कंपनी के सीईओ का कहना है शहरों से गांव भेजी जानी वाली रकम में 30 फीसदी की गिरावट आई है. उनका कहना है कि कारोबार में 25 से 30 फीसदी की गिरावट आई और हालात ऐसे ही रहें तो बिजनेस और गिर सकता है. कोरोना की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर का ज्यादा असर हुआ है. इन दिनों रिवर्स माइग्रेशन में भी तेजी आई है. हालांकि कर्नाटक और गुजरात में संगठित क्षेत्र ज्यादा मजबूत है इसलिए यहां से थोड़ी उम्मीद बंधती दिखती है.
देश भर में गांवों की ओर सबसे ज्यादा पैसा महाराष्ट्र भेजा जाता है. इसके बाद गुता हैजरात और कर्नाटक का नंबर आता है. दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात से सबसे ज्यादा पैसा भेजा जाता है जबकि यह पैसा सबसे ज्यादा बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में आता है. रेमिटेंस कंपनियों का कहना है कि लॉकडाउन और अचानक तेजी से फैले संक्रमण ने बड़ी तादाद में प्रवासी कामगारों को शहर छोड़ने को मजबूर किया है.
ये भी पढ़ें –लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते वक्त इन 5 बातों का रखें ध्यान, नहीं चुकाना पड़ेगा ज्यादा प्रीमियम
One Comment
Comments are closed.