नई दिल्ली: छतीसगढ़ की कांग्रेस सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद अब मुख्यमंत्री बदला जाएगा या नहीं इस पर अभी स्थिति साफ़ नहीं है. दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर कल हुए भूपेश बघेल के समर्थक विधायकों के एकजुट प्रदर्शन को देख कर ऐसा लगता है कि कांग्रेस आलाकमान को एक बार फिर टी एस सिंहदेव को वस्तुस्थिति बतानी पड़ सकती है.
ढाई-ढाई साल का फ़ार्मूला
ढाई साल पहले छतीसगढ़ में भारी बहुमत से आई कांग्रेस सरकार में 17 दिसम्बर 2018 को भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बनाए गए थे. माना जाता है कि तब कांग्रेस ने छतीसगढ़ के वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव को ये कह कर बघेल के नाम पर राज़ी किया था कि ढाई साल बाद मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया जाएगा.
कांग्रेस हेड क्वार्टर पर विधायकों और मंत्रियों की परेड
सरकार के ढाई साल पूरे होने पर जब टीएस सिंहदेव ने पार्टी के बाहर शोर किए बिना आलाकमान पर दबाव बनाना शुरू किया तो मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने मन की बात कहने सीधे दिल्ली आ गए. यही नहीं, कांग्रेस आला कमान को सरकार में अपनी मजबूत स्थिति जताने के लिए बघेल अपने साथ कुल 70 में से 60 विधायकों को भी दिल्ली ले आए.
राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया का रुख़
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मुलाक़ात राहुल गांधी और प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया से भी हुई. बाद में पीएल पुनिया ने छतीसगढ़ से दिल्ली आए मंत्रियों और विधायकों से भी मुलाक़ात की. बात करते हुए छतीसगढ़ सरकार के प्रवक्ता और मंत्री रविंदर चौबे ने कहा राहुल गांधी और प्रभारी पीएल पुनिया से बात हुई है. ढाई-ढाई साल वाली कोई बात ही नहीं थी. योजनाओं पर बात हुई है. यहाँ हम 60 विधायक आए हैं. सब भूपेश बघेल जी के साथ हैं. भूपेश बघेल जी ने छतीसगढ़ मुख्यमंत्री की हैसियत से राहुल गांधी जी को योजनाओं के निरीक्षण के लिए छतीसगढ़ आमंत्रित किया है.
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