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परसा कोल ब्लॉक का फारेस्ट क्लीयरेंस निरस्त करने केंद्र को पत्र

0 पीकेईबी खदान पर नहीं होगा असर
अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ सरकार ने उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के हसदेव अरण्य क्षेत्र में स्थित परसा कोल ब्लॉक के लिए दिए गए वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति (फारेस्ट क्लीयरेंस)को निरस्त करने के लिए वन महानिरीक्षक भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पत्र लिखा है। परसा कोल ब्लॉक के कुल 1252.5 हेक्टेयर भूमि में 841.5 हेक्टेयर भूमि संरक्षित वनक्षेत्र व छोटे-बड़े झाड़ के जंगल की है। कोयला खनन परियोजना के लिए हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का ग्रामीणों द्वारा लगातार विरोध करने का हवाला देते हुए उक्त स्वीकृति को निरस्त करने की अनुशंसा की गई है। इसका असर वर्तमान में संचालित परसा ईस्ट केते बासेन परियोजना पर नहीं पड़ेगा। पीकेईबी खदान ही हसदेव क्षेत्र की सबसे बड़ी कोल परियोजना है और इसमें 1898 हेक्टेयर भूमि वनभूमि है।
छत्तीसगढ़ वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अवर सचिव केपी राजपूत ने वन महानिरीक्षक भारत सरकार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार को सोमवार को भेजे गए पत्र में कहा है कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड में व्यापक जन विरोध के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो गई है। जन विरोध, कानून व्यवस्था एवं व्यापक लोकहित को दृष्टिगत रखते हुए परसा खुली खदान परियोजना के रकबा 841.548 हेक्टेयर क्षेत्र में वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति को निरस्त करने के संबंध में उचित कार्यवाही की जाए।
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आबंटित है कोल ब्लाक
राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को हसदेव अरण्य क्षेत्र के तीन कोल ब्लॉक आबंटित किए गए हैं। इनमें परसा केते ईस्ट बासेन, परसा कोल ब्लाक व केते एक्सटेंशन कोल ब्लाक शामिल हैं। इनके लिए वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति (फारेस्ट क्लीयरेंस) वर्ष 2019 में जारी किया गया था। इनमें पीकेईबी खदान में खनन का प्रथम चरण पूरा हो चुका है। पीकेईबी खदान 2711 हेक्टेयर में स्वीकृत है। इसमें 1998 हेक्टेयर वनभूमि है। इस क्षेत्र में ही सर्वाधिक पेड़ काटे जाने हैं। परसा कोल ब्लाक में 841.5 हेक्टेयर भूमि में 556 हेक्टेयर संरक्षित वनक्षेत्र व 285.5 हेक्टेयर भूमि छोटे व बड़े झाड़ के जंगल हैं। तीसरे खदान केते एक्सटेंशन के 1762 हेक्टेयर क्षेत्र में 1745.9 हेक्टेयर भूमि वनभूमि है।
वर्तमान खदान पर नहीं होगा असर- हसदेव अरण्य क्षेत्र में संचालित पीकेईबी कोल खदान में छत्तीसगढ़ सरकार के इस निर्णय का कोई असर नहीं होगा। राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को यह खदान वर्ष 2011 में आबंटित की गई थी। यहां वर्ष 2013 से कोयला उत्खनन प्रारंभ है। खदान के दूसरे फेस के लिए फारेस्ट क्लीयरेंस के साथ छत्तीसगढ़ सरकार की एनओसी भी जारी कर दी गई है। इस खदान के लिए अनुमान के मुताबिक करीब तीन लाख से अधिक बड़े पेड़ काटे जाने हैं।
पेड़ों की कटाई का विरोध, फोर्स लगा काट दिए गए थे पेड़-
हसदेव अरण्य क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के विरोध में एक वर्ष से अधिक समय से ग्रामीण आंदोलन कर रहे हैं। लोगों के विरोध के बीच पिछले माह प्रशासन ने एक हजार से अधिक फोर्स लगाकर 43 हेक्टेयर क्षेत्र में आठ हजार पेड़ों को कटवा दिया था। यहां पेड़ों की कटाई के विरोध में प्रदेश के मंत्री टीएस िंसहदेव भी आंदोलनकारियों के साथ दिखे। उन्होंने यह कहते हुए खलबली मचा दी थी कि आंदोलनकारियों पर गोली चली तो पहली गोली मुझे लगेगी। इसके बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी बयान देना पड़ा था। बाद में टीएस सिंहदेव ने यह बयान दिया कि नई खदानें नहीं खोली जाएंगी।

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