० मासिक पत्रिका समवेत सृजन की 11 वीं वर्षगांठ पर “22 साल में छत्तीसगढ़ के विकास” विषय पर परिचर्चा का आयोजन
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग के पूर्व आयुक्त और रिटायर्ड आईएएस डॉ सुशील त्रिवेदी का कहना है कि 22 सालों में छत्तीसगढ़ की नई राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान बनी है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ी है। इसका एक बड़ा कारण पंचायतों में महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण है।
मासिक पत्रिका समवेत सृजन की 11 वीं वर्षगांठ पर “22 साल में छत्तीसगढ़ के विकास” विषय पर आयोजित परिचर्चा में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य की पहचान एक ऊर्जा राज्य के तौर पर भी है। ऊर्जा राज्य की नींव उस दिन पड़ गई जब राज्य बनने के कुछ ही दिन बाद मध्यप्रदेश विद्युत मंडल से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल का निर्माण किया गया। परिचर्चा का आयोजन 23 नवंबर 2022 को रायपुर के होटल आदित्य में किया गया था। डॉ त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में लोकतांत्रिक संस्थाएं बेहतर तरीके से काम कर रहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमारे जनप्रतिनिधियों के जनता से दूर होने के कारण समस्याएं पैदा हुईं, लेकिन अब जनप्रतिनिधि जनता के बीच जाने को मजबूर हुए हैं।
डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के वक्त रायपुर में आधारभूत सुविधाएं न होने के कारण अधिकारी, उद्योगपति और दूसरे लोग यहाँ आना नहीं चाहते। अब स्थिति बदल गई है। 22 साल पहले छत्तीसगढ़ के बारे में कहा जाता था -“अमीर धरती में गरीब लोग। ” छत्तीसगढ़ की धरती में खनिज संसाधन का अकूत भंडार है। खनिजों के इस्तेमाल से परिस्थितियां बदली है। कोयले की खुदाई और इस्तेमाल का सीधा प्रभाव बिजली उत्पादन से है। आज छत्तीसगढ़ उत्तर और दक्षिण के कई राज्यों को बिजली दे रहा है। डॉ. त्रिवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में संचार के साधनों का भी इन 22 सालों में विकास हुआ। आज देश में सर्वाधिक मोबाइल यूजर छत्तीसगढ़ में ही हैं। राज्य में मातृ-शिशु दर, शिक्षा और स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव दिखाई पड़ता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंडित रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ रविंद्र ब्रम्हे ने कहा कि
छत्तीसगढ़ का ग्रोथ रेट मध्यप्रदेश से ज्यादा है। इसलिए कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ राज्य का गठन फायदेमंद रहा। डॉ ब्रम्हे ने कहा कि पिछले 22 सालों में छत्तीसगढ़ का विकास हुआ है , लेकिन ट्रेंड अवधारण के विपरीत है। आमतौर पर विकास के साथ सर्विस सेक्टर का ग्रोथ बढ़ता है, लेकिन यहां सर्विस सेक्टर का ग्रोथ कुछ घटा है। छत्तीसगढ़ के विकास में उद्योगों का योगदान बढ़ा है, पर कृषि का घटा है। छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के विकास में कृषि के योगदान को बढ़ने के लिए किसानों को धान पर बोनस और फसल चक्र बदलने के प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में औसत गरीबी दर घाटी नहीं है , जिससे लगता है कि निचले स्तर पर योजनाओं का लाभ नहीं पहुँच पा रहा है। राज्य में सबसे कम बेरोजगारी दर हेने के सवाल पर कहा कि स्थायी नौकरी या काम की जगह मौसमी काम की वजह से यहां बेरोजगारी दर कम है।
कार्यक्रम में समवेत सृजन के प्रबंध संपादक रवि भोई ने स्वागत भाषण दिया और पत्रिका के प्रकाशन के उद्देश्य की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पत्रिका काफी संघर्षों के साथ 10 साल के सफर को तय किया है। उन्होंने कहा कि पत्रिका में गुणवत्ता को बनाए की हमेशा कोशिश की जाती है। आभार प्रदर्शन पत्रिका के वरिष्ठ सलाहकार शिरीष नलगुंडवार और कार्यक्रम का संचालन बिजली बोर्ड के पूर्व जनसंपर्क अधिकारी और कला -संस्कृति से जुड़े विजय मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में गणमान्य नागरिकों , पत्रकारों और प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।