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फसल मुआवजा प्रकरण : माकपा ने एसडीएम कार्यालय घेराव की दी चेतावनी

21 मार्च को कटघोरा एसडीएम कार्यालय का घेराव, प्रभावित किसानों ने बैठक कर घेराव की बनाई रूपरेखा

कोरबा। एसईसीएल के बल्गी सुराकछार खदान के भूधसान से प्रभावित किसानों को विगत तीन वर्षों का फसल क्षतिपूर्ति मुआवजा देने की मांग को लेकर प्रभावित किसानों के साथ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा ने बैठक करने के बाद माकपा प्रतिनिधि मंडल ने कटघोरा एसडीएम कार्यालय का 21 मार्च को घेराव का नोटिस कटघोरा एसडीएम सहित जिले के प्रशासनिक अधिकारियों को थमा दिया है। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा और छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने बताया कि बलगी कोयला खदान की डि-पिल्लरिंग के कारण सुराकछार बस्ती के किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि भू-धसान के कारण पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। भूमि में दरारें इतनी गहरी है कि वह पूरी तरह तालाब, झील और खाई में तब्दील हो चुकी है। अब इस जमीन में किसान कोई भी कृषि कार्य नहीं कर पा रहे हैं। इसके एवज में एसईसीएल हर साल किसानों को मुआवजा देता रहा है, लेकिन पिछले तीन सालों में हुए नुकसान का आंकलन कर मुआवजे का भुगतान की प्रक्रिया शुरू नहीं होने से भूधसान प्रभावित किसानों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है और फसल नुकसान का आंकलन राजस्व विभाग को करना है इसलिए माकपा ने लगातार एक साल से कटघोरा एसडीएम से भूधसान से प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजा दिलाने की मांग कर रही है लेकिन एक साल बाद भी इस मामले में एक इंच भी प्रगति नहीं हुई है। और अब किसानों के पास संघर्ष के अलावे कोई रास्ता नहीं बचा है।उल्लेखनीय है कि बल्गी सुराकछार खदान के भूधसान के कारण सुराकछार बस्ती के किसानों की भूमि वर्ष 2009 से कृषि कार्य करने योग्य नहीं रह गई है। इससे किसानों को हुए भारी नुकसान को देखते हुए वर्ष 2019-2020 तक का फसल क्षतिपूर्ति व मुआवजा एसईसीएल प्रबंधन को देना पड़ा है।लेकिन इसके बाद वर्ष 2020-21 से वर्ष 2022-23 तक का तीन वर्षों का मुआवजा अभी तक लंबित है। वर्ष 2012 में एसईसीएल प्रबंधन ने खेतों के भूमि समतलीकरण करने का भी आश्वासन दिया था, लेकिन उसने इस पर भी आज तक अमल नहीं किया।

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