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नोटबंदी याचिकाओं का सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगी फैसला

नोटबंदी

नए साल 2023 के दूसरे दिन आज सुप्रीम कोर्ट एक बड़ा फैसला सुनाने जा रहा है। बस थोड़ा इंतजार करना है। केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 नोटबंदी की थी। जिसके तहत केंद्र सरकार ने नवंबर 2016 में 500 रुपए और 1,000 रुपए के नोटों को बंद कर दिया था। केंद्र सरकार के नोटबंदी के इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं, केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद 7 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच में जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम भी शामिल हैं, जिन्होंने सरकार और RBI को 8-11-2016 की अधिसूचना के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया से संबंधित रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था। नोटबंदी के खिलाफ करीब 58 याचिका दाखिल की गई है।

संविधान पीठ इस मामले पर सुना सकती है अपना फैसला

न्यायमूर्ति एस ए नजीर की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ इस मामले पर अपना फैसला सुना सकती है, जब शीर्ष अदालत अपने शीतकालीन अवकाश के बाद फिर से खुलेगी। गौरतलब है कि यह पीठ 4 जनवरी को सेवानिवृत्त हो रही है। वहीं, शीर्ष अदालत की सोमवार के मामलों की सूची के अनुसार यह फैसला न्यायमूर्ति B.R .गवई और न्यायमूर्ति B.V. नागरत्ना द्वारा सुनाए जाएंगे जो अलग-अलग हो सकते हैं। इसका मतलब है कि फैसला सर्वसम्मति से होगा। पीठ में जस्टिस गवई और नागरत्न के अलावा जस्टिस नजीर, A.S. बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन हैं।

सरकार ने अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया

सरकार ने अर्थव्यवस्था को काले धन, नकली मुद्रा और आतंक के वित्तपोषण से मुक्त करने के  लिए अपनी कार्रवाई को उचित ठहराया। केंद्र ने कहा कि इस कदम से नकली नोटों पर रोक लगाने, डिजिटल लेन-देन में वृद्धि और आयकर कानून के अनुपालन को बढ़ावा मिला है।

सरकार ने आगे कहा कि नोटबंदी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अस्थायी था क्योंकि वित्त वर्ष 2016-17 में वास्तविक विकास दर 8.2% और 2017-18 में 6.8% थी जो कि कोरोना महामारी के वर्षों में 6.6% की दशकीय विकास दर से अधिक थी।

नोटबंदी के विरोध में कोर्ट सुनाएगा 58 याचिकाओं पर फैसला

नोटबंदी को गलत और त्रुतिपूर्ण बताते हुए कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने तर्क दिया था कि सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है, जो केवल RBI के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। बता दें कि नोटबंदी के विरोध में कोर्ट 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा।

SC ने 7 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था फैसला

बता दें कि शीर्ष अदालत ने पिछले साल 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इससे पहले कोर्ट ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को निर्देश दिया था कि वे सरकार के 2016 के फैसले से संबंधित रिकॉर्ड दें। मामले में अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि, RBI के वकील और याचिकाकर्ताओं के वकीलों, वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम और श्याम दीवान की दलीलें सुनी गईं थी।

चिदंबरम ने दी थी ये दलील

1000 और 500 रुपए के नोटों को बंद करने के फैसले को गंभीर रूप से दोषपूर्ण बताते हुए चिदंबरम ने दलील दी थी कि, केंद्र सरकार कानूनी निविदा से संबंधित किसी भी प्रस्ताव को अपने दम पर शुरू नहीं कर सकती है और यह केवल आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर किया जा सकता है। वर्ष 2016 की नोटबंदी की कवायद पर फिर से विचार करने के सुप्रीम कोर्ट की कोशिश का विरोध करते हुए सरकार ने कहा था कि, अदालत ऐसे मामले पर फैसला नहीं कर सकती है, जब बीते वक्त में लौट कर कोई ठोस राहत नहीं दी जा सकती है।

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