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जोशीमठ मामला: जाँच के लिए जाएगी एजेंसियां , सुरक्षा के लिए NDRF और SDRF भी तैनात

नई दिल्ली। उत्तराखंड के जोशीमठ में स्थित घरों में आई दरारों को लेकर अब केंद्र सरकार गंभीर हो गई है. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा द्वारा रविवार को जोशीमठ की स्थिति पर एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद ये निर्णय लिए गए हैं. उत्तराखंड के मुख्य सचिव ने पीएमओ को स्थिति के बारे में अवगत करवाया. कई विशेषज्ञ एजेंसियों को वहां की स्थिति का अध्ययन करने और सिफ़ारिश देने को भी कहा गया है.

इसी क्रम में सीमा प्रबंधन सचिव और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य सोमवार को उत्तराखंड का दौरा करेंगे और जोशीमठ की स्थिति का जायजा लेंगे. इस निर्णय के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी एंड सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों की टीम इलाके का अध्ययन करेंगी और रिपोर्ट सौपेंगी. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में समीक्षा बैठक के दौरान मुख्य सचिव उत्तराखंड ने जोशीमठ से प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी दी.

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा को जोशीमठ समीक्षा बैठक में अवगत कराया गया कि भारत सरकार की एजेंसियां ​​और विशेषज्ञ लघु, मध्यम और दीर्घकालिक योजना तैयार करने में राज्य सरकार की सहायता कर रहे हैं. एनडीआरएफ की एक टीम और एसडीआरएफ की चार टीमें पहले ही जोशीमठ पहुंच चुकी हैं.

उत्तराखंड के जोशीमठ को भूस्खलन और धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया है तथा दरकते शहर के क्षतिग्रस्त घरों में रह रहे 60 से अधिक परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी. गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने हिमालयी शहर में चार-पांच स्थानों पर राहत केंद्र स्थापित किए हैं तथा कम से कम 90 और परिवारों को निकाला जाना है.

 

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