(रवि भोई की कलम से)
कहते हैं छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अब हाईकमान से सीधे अपने लिंक बना लिए हैं। यही वजह है कि हाईकमान ने जयसिंह के चुनावी कौशल को राज्य के बाहर आजमाने का फैसला किया है। उन्हें उत्तराखंड के 14 विधानसभा क्षेत्रों में जीत की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बाद अब जयसिंह अग्रवाल राज्य के दूसरे नेता हो गए हैं, जिन पर हाईकमान ने भरोसा जताया है।
राज्य की राजनीति में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत के कोटे का माने जाने वाले जयसिंह पर मरवाही उपचुनाव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दांव चला था। जयसिंह की रणनीतिक कमाल कहें कि मरवाही में कांग्रेस प्रत्याशी की जीत के साथ-साथ वहां से जोगी परिवार का झंडा-डंडा भी उखड गया। दंतेवाड़ा जिले के प्रभारी रहते दंतेवाड़ा सीट से कांग्रेस की जीत से भी जयसिंह का डंका बजा। जयसिंह कोरबा से लगातार तीसरी बार विधायक हैं और वे प्रत्यक्ष चुनाव में अपनी पत्नी को कोरबा का महापौर बनवाने में भी सफल रहे हैं।
लखमा और जन्मदिन
लोगों को पहली बार पता चला कि छत्तीसगढ़ के घोर नक्सल प्रभावित इलाके कोंटा के विधायक और राज्य के आबकारी व उद्योग मंत्री कवासी लखमा का जन्मदिन 5 जनवरी को है। 1953 में जन्मे कवासी 69 वर्ष के हो गए। वे 1998 से लगातार विधायक हैं। अपने गांव में सरपंच भी रह चुके हैं। बिना अक्षर ज्ञान के मंत्री पद को शोभायमान करने वाले कवासी लखमा जमीन से जुड़े और तामझाम से दूर रहने वाले नेता कहे जाते हैं।
कहते हैं उन्होंने पहली बार अपना जन्मदिन इस साल सार्वजनिक तौर से मनाया। राजधानी में बैनर-पोस्टर भी लगे और बधाई देने वालों की कतार भी लगी। नेताओं को पद मिलता है तो समर्थकों को उनका जन्मदिन याद आ जाता है, कहते हैं कुछ समर्थकों ने ही कवासी लखमा के मंत्री होने के जिन्न को जगाया और जन्मदिन के जश्न के लिए उन्हें तैयार किया।
राजेश मिश्रा को बड़ी जिम्मेदारी देने की चर्चा
चर्चा है कि भूपेश सरकार 1990 बैच के आईपीएस राजेश मिश्रा को राज्य आर्थिक अपराध एवं अनुसंधान तथा एंटी करप्शन ब्यूरो ( ईओडब्ल्यू ) का एडीजी बना सकती है। भारत सरकार से प्रतिनियुक्ति से लौटने के करीब पखवाड़े भर बाद भी राजेश मिश्रा की कहीं पोस्टिंग नहीं हुई है। माना जा रहा था कि स्पेशल डीजी आरके विज के रिटायरमेंट के बाद 31 दिसंबर को रिक्त संचालक लोक अभियोजन के पद पर पदस्थ कर दिया जाएगा या पुलिस में शीर्ष स्तर कुछ बदलाव कर राजेश मिश्रा को काम सौंपा जाय। डीजीपी अशोक जुनेजा से एक साल जूनियर राजेश मिश्रा को अब बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की बात हो रही है।
कहा जा रहा है कि राजेश मिश्रा ईओडब्ल्यू के मुखिया हो जाएंगे और वर्तमान प्रमुख आरिफ शेख उनके साथ रहेंगे। आरिफ शेख अभी डीआईजी स्तर के अधिकारी हैं। राजेश मिश्रा और आरिफ शेख पहले भी साथ काम कर चुके हैं।
क्रेडा के दो इंजीनियरों ने नौकरी छोड़ी
एक महीने के भीतर राज्य सरकार के उपक्रम क्रेडा के दो इंजीनियरों ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। कहा जा रहा है कि ये इंजीनियर अपने ही बुने जाल में फंस गए, इस वजह से उन्हें जाना पड़ा। चर्चा है कि उनके खिलाफ संस्था विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के सबूत मिल गए थे और सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने वाली थी, उसके पहले ही उन्होंने इस्तीफा देकर चले गए। उच्च पदों पर बैठे दो इंजीनियरों के फैसले ने सभी को चौंका दिया। अब देखना यह है कि उनके जाने के बाद मामला दब जाता है या फिर कोई एक्शन होता है।
मुख्यमंत्री सचिवालय में अब तीन सचिव
2006 बैच के आईएएस डॉ. एस भारतीदासन के प्रमोशन के बाद मुख्यमंत्री सचिवालय में अब तीन सचिव हो गए हैं। मुख्यमंत्री सचिवालय में पहले से ही सिद्धार्थ कोमल परदेशी और डी डी सिंह सचिव हैं। मुख्यमंत्री के सचिव होने के साथ इन अफसरों के पास दूसरे कई बड़े विभाग भी हैं। जैसे एस के परदेशी के पास पीडब्ल्यूडी, तो डी डी सिंह के पास अनुसूचित जाति-जनजाति कल्याण और सामान्य प्रशासन विभाग है। भारतीदासन के पास कृषि कल्याण विभाग है। तीन सचिवों के अलावा सुब्रत साहू मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव हैं।
दयानंद और एलेक्स के दिन नहीं फिरे
2006 बैच के आईएएस पी. दयानंद पदोन्नत होकर सचिव बन गए हैं , लेकिन सरकार ने उन्हें कोई विभाग देने की जगह संचालक समाज कल्याण ही बनाए रखा। इस पद को अपग्रेड कर दिया गया है। अब समाज कल्याण विभाग की सचिव रीना बाबासाहेब कंगाले भी सचिव स्तर की हैं और संचालक दयानंद भी सचिव स्तर के हो गए। कहा जा रहा है दयानंद को लेकर सरकार का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ है। वहीँ 2006 बैच के आईएएस एलेक्स पाल मेनन को भी प्रमोशन के बाद ग्रामोद्योग विभाग में सचिव बनाए रखा गया। ग्रामोद्योग विभाग में डॉ मनिंदर कौर द्विवेदी प्रमुख सचिव हैं।
राजेश टोप्पो और राजेश राणा फिर अटके
2005 बैच के आईएएस राजेश टोप्पो सचिव नहीं बन पाए। 2005 बैच के अधिकारी पिछले साल ही सचिव बन गए थे। पिछले साल पदोन्नति से चूके राजेश टोप्पो को इस साल प्रमोशन मिलना चाहिए था। कहते हैं 2019 के एक मामले में अभियोजन स्वीकृति के चलते उनका प्रमोशन रुक गया। 2008 बैच के आईएएस राजेश राणा भी संयुक्त सचिव से विशेष सचिव बनने से रह गए , जबकि सरकार ने पिछले दिनों 2009 बैच के आईएएस अफसरों को विशेष सचिव के तौर पर प्रमोट कर दिया। कहा जा रहा है राजेश राणा का साल 2020 का ए पी ए आर ( स्वमूल्यांकन ) छानबीन समिति के सामने प्रस्तुत नहीं हो सका। उन्हें मौका दे दिया गया है। उनके खिलाफ शिकायत जैसी बात नहीं है।
व्यवसायियों पर मेहरबान सरकारी संस्था
छतीसगढ़ में एक धार्मिक संस्था को 25 एकड़ सरकारी जमीन देने पर बवाल मचा है। इस बीच खबर आ रही है कि एक सरकारी संस्था ने दो व्यवसायियों को नवा रायपुर में सस्ती दर पर सरकारी जमीन देने का प्रस्ताव है। कहते हैं नवा रायपुर में प्राइम लोकेशन पर व्यवसायियों को 30-30 एकड़ जमीन देने का मामला विचाराधीन है। माना जा रहा है कि व्यवसायी वहां पर आवासीय प्रोजेक्ट लाएंगे। कहते हैं व्यवसायियों का कांग्रेस और कांग्रेसियों से गहरा नाता है। भाजपा राज में प्राइम लोकेशन पर एक होटल के लिए जमीन देने पर कांग्रेस के कुछ लोगों ने हल्ला बोला था। ऐसे में कांग्रेस राज में व्यवसायियों पर मेहरबानी क्यों ? ऐसे में कहा जा रहा है सरकार बदली, पर सिस्टम नहीं बदला ?
पार्षद की अनूठी पहल
लोग डॉग पालते है, तरह-तरह के जतन करते हैं और उसमें खर्च भी करते हैं, लेकिन डॉगी के शौच की कोई व्यवस्था नहीं करते। सड़कों पर घुमाते कहीं भी शौच करा देते हैं। अब पूरे देश में साफ-सफाई की बात हो रही है और खुले में शौच बंद कर गांव-गांव में शौचालय निर्माण के लिए भारत सरकार ने हाथ खोले हैं तो लोग डॉग को भी खुले में क्यों शौच कराएं ?
इसको मद्देनजर रखते हुए रायपुर के निर्दलीय पार्षद अमर बंसल ने अपने वार्ड के लोगों से सड़क पर डाग को शौच कराने वालों की सूचना देने का आग्रह किया है , जिससे उन्हें समझाइश दी जा सके। वे डॉग के लिए सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय बनाने के लिए भी कदम बढ़ाने जा रहे हैं। अमर बंसल कहते हैं स्वछता के लिए प्रधानमंत्री से लेकर पार्षद को बात करनी होगी, तब बात बनेगी। सोच तो अच्छी है, देखते हैं जनता कितनी अमल करती है ?
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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