० गोधन न्याय योजना से जुड़कर आई परिवार में खुशहाली
० पशुपालन के क्षेत्र से जुड़कर मिली बेहतर आमदनी
जांजगीर-चांपा। गोधन न्याय योजना से जुड़कर और गोठान में गोबर बेचकर पशुपालकों की खुशियां लगातार बढ़ रही हैं, ऐसे ही एक शख्स पामगढ़ विकासखण्ड के कोसीर ग्राम पंचायत के गजानंद हैं, जिन्होंने 1 लाख 10 हजार रूपए का गोबर बेचकर मोटर साइकिल खरीदी और आर्थिक रूप से मजबूत बनकर अपने परिवार के साथ बेहतर जिंदगी बसर कर रहे हैं।
जिले में गोधन न्याय योजना को सुचारू रूप से संचालन कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन एवं जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल के मार्गदर्शन में किया जा रहा है। गोठान से जुड़कर ग्रामीणों, पशुपालकों, महिला स्व सहायता समूहों सतत रूप से आमदनी प्राप्त हो रही है। गोठान में गोबर बेचकर ग्रामीण, पशुपालकों समृद्धशाली हो रहे हैं। ऐसे ही एक पशुपालक गजानंद मधुकर हैं, जो जिले की पामगढ़ विकासखण्ड की ग्राम पंचायत कोसीर में रहते है। वह बताते हैं कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी मन में सरकारी नौकरी का ख्याल नहीं आया बल्कि हमेशा ही अपना व्यवसाय करने का सपना देखा, लेकिन सही दिशा नहीं मिल रही थी, जिले में ऐसे किसी व्यक्ति की तलाश थी, जो पशुपालन के क्षेत्र में बेहतर मार्गदर्शन दे सके। ऐसे में एक दिन डॉ. जैनेन्द सूर्यवंशी से संपर्क हुआ।
उन्होंने पशुपालन के क्षेत्र की बारीकियों से अवगत कराया। धीरे-धीरे उनसे और अधिक जुड़ता चला गया और पशुपालन विभाग से मिलने वाली योजनाओं जानकारी मिलने लगी। डेयरी व्यवसाय के लिए प्रोजेक्ट तैयार कराया और वर्ष 2018 में 12 लाख रूपए लोन की मंजूरी मिली, जिस पर पशुधन विकास विभाग जांजगीर द्वारा 66.6 प्रतिशत का अनुदान दिया गया, फिर क्या था, गजानंद के पंखों को जैसे खुला आसमान मिल गया, भरपूर उड़ान भरने के लिए। उन्होंने इस राशि से 15 गाय खरीदकर अपना व्यवसाय शुरू किया। धीरे-धीरे तरक्की के रास्ते खुलते गये। प्रतिदिन 120 से 130 लीटर दूध बेचते हैं इस प्रकार प्रतिमाह 90 हजार रूपए का दूध बेचकर और दाना, पैरा, कटिया और मजदूरी भुगतान करने के बाद 25 से 30 हजार रूपए का मुनाफा कमा लेते हैं। डॉ. जैनेन्द सूर्यवंशी बताते हैं कि गजानंद बेहतर ही मेहनती पशुपालक हैं। उन्हें पशुपालन विभाग से लोन पर अनुदान एवं गोधन न्याय योजना से गोबर बेचकर लाभ मिल रहा है। उनके पशुओं का सतत रूप से टीकाकरण किया जा रहा है। पशुपालन क्षेत्र में अग्रसर है और दूसरे पशुपालक भी उनसे प्रेरित हो रहे है। गाय पालन के साथ बकरी पालन भी किया है, बाड़ी भी लगाए हुए हैं। अब तक उन्होंने जो गोबर बेचा है उससे उन्होंने हाल ही में मोटर साइकिल खरीदी है।
गोबर कहां बेचे समस्या से मिला निदान
पशुपालक श्री गजानंद बताते हैं कि गायों का दूध तो आसानी से बिक जाता है, लेकिन गांव में गोबर कोई नहीं खरीदता था, प्रतिदिन इतना सारा गोबर एकत्रित हो जाता था कि समस्या होने लगी थी, ऐसे में राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोधन न्याय योजना में गोबर की खरीदी शुरू हुई तो चेहरे पर चमक आ गई। क्योंकि जो गोबर कोई फ्री में नहीं ले जाता था, उसकी कीमत 2 रूपए किलो मिलेगी ऐसा कभी नहीं सोचा था। ऐसे में तत्काल योजना में पंजीयन कराया और गोठान में गोबर बेचना शुरू कर दिया। अब तक 1 लाख 10 हजार रूपए का गोबर बेचकर अच्छी आमदनी प्राप्त कर मोटर साइकिल खरीदी और परिवार का अच्छे से पालन पोषण कर रहे हैं।