नई दिल्ली: लोग घर खरीदने या बनवाने के लिए लोन लेते हैं लेकिन अधिकतर लोग होम लोन का इंश्योरेंस नहीं करवाते हैं. होम लोन का इश्योरेंस लेने के कई फायदे होते हैं.
होम लोन चुकाना किसी बोझ से कम नहीं है खासकर उन परिवारों के लिए जहां कमाने वाला सिर्फ एक ही व्यक्ति हो. यह एकमात्र कमाने वाला शख्स अगर किसी गंभीर बीमारी का शिकार हो जाए, नौकरी चली जाए या फिर किसी दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु हो जाए तो लोन चुकाना परिवार के लिए बहुत भारी पड़ जाता है. ऐसी स्थिति में होम लोन इंश्योरेंस आपके काम आती है.
घर और उसमें मौजूद समानों की चोरी, प्राकृतिक आपदाओं आदि से होने वाले नुकसानों से होम इंश्योरेंस में कवर मिलता है. वहीं अगर किसी किसी वजह से होम लोन लिए हुए व्यक्ति को कुछ हो जाता है तो होम लोन इंश्योरेंस ईएमआई चुकाने में मदद करता है.
यह ध्यान रखें कि होम लोन के साथ इंश्योरेंस प्लान खरीदने या नहीं खरीदने का फैसला पूरी तरह से ग्राहक पर निर्भर करता है. लोन लेने वाले को कवर खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है.
होम लोन लेने वाले की आकस्मिक मृत्यु होने पर बाकी की किस्त इसी बीमा के जरिए जमा हो जाती है. बीमा कवर होने से यह बोझ दूसरों पर नहीं पड़ता है. लोन लेने वाले व्यएक्ति की दुर्घटना में मृत्यु या स्थायी रूप से पूर्ण विकलांग होने पर होम लोन इंश्योरेंस कवर मिलता है.
लोन लेने वाले व्यक्ति की गंभीर बीमारी में भी इंश्योरेंस कवर मिलता है. अगर किसी वजह से लोन लेने वाले व्य क्ति की नौकरी छूट जाती है, तो तीन मासिक किस्तों का भुगतान बीमा कंपनी करती है.
होम लोन प्रोटेक्शन स्कीम एक टर्म इंश्योरेंस की तरह है, यानी बीमा की अवधि आप खुद तय कर सकते हैं. बीमा की अवधि के हिसाब से आपका प्रीमियम तय होता है.
होम लोन किसी और के नाम शिफ्ट करते हैं या समय के पहले बंद करते हैं तो बीमा कवर खत्म हो जाता है. स्वाभाविक मृत्यु या आत्महत्या के मामले भी होम लोन प्रोटेक्शन प्लान के दायरे में नहीं आते हैं. हालांकि अगर आप लोन को दूसरे बैंक में ट्रांसफर कराते हैं, प्री-पेमेंट या रिस्ट्रक्चर कराते हैं तो होम लोन इंश्योरेंस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
जिस बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी (NEFC) से आप लोन लेते हैं तो वो भी आपको होम लोन इश्योरेंस उपलब्ध कराती हैं. आप इंश्योरेंस बेचने वाली कंपनियों से भी होम लोन इंश्योरेंस ले सकते हैं.
बीमा कंपनियां इंश्योरेंस का प्रीमियम लोन की रकम, लोन की अवधि, लोन लेने वाले व्योक्ति की आयु और आय को देखकर तय करती हैं. इंश्योरेंस का प्रीमियम कुल कर्ज की राशि का 2 से 3 फीसदी होता है.
आम तौर पर इस तरह की बीमा पॉलिसियां सिंगल प्रीमियम ऑप्शन वाली होती हैं. इसे ऐसे समझें अगर आपको बैंक से 22 लाख रुपए का होम लोन मिलता है और बीस साल के लिए 90,000 रुपए के सिंगल प्रीमियम पर होम लोन कवर मिलता है तो आपका कुल लोन 22.90 लाख रुपए का हो जाता है. 10 फीसदी सालाना ब्याज दर के हिसाब से आपकी ईएमआई 20,169 रुपए की बन जाएगी