नेशनल न्यूज़। बिहार में सियासी हलचल के बीच एक बड़ी खबर सामने आई है। दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों में गहराती दरार के संकेतों के बीच जदयू प्रमुख के भाजपा (BJP) के साथ गठबंधन में लौटने की संभावना जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार अब फिर से भाजपा के साथ सरकार बनाएंगे और 28 जनवरी यानि रविवार को शपथ ले सकते हैं।
नीतीश कुमार के एक बार फिर राजग (NDA) में लौटने की संभावना के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने गुरुवार को दिल्ली में बैठके की। भाजपा की बिहार इकाई के अध्यक्ष सम्राट चौधरी, सुशील मोदी और विजय कुमार सिन्हा सहित राज्य के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी में अमित शाह समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की। सम्राट चौधरी ने हालांकि दावा किया कि यह बैठक आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की तैयारियों के संबंध में थी। भाजपा के एक सहयोगी ने हालांकि दावा किया कि बिहार में महागठबंधन सरकार के गिरने के लिए मंच तैयार है और राजद से नाता तोड़ने के बाद भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) कुमार का समर्थन करेगा।
अमित शाह ने नीतीश के भाजपा के साथ जुड़ने के दिए थे संकेत
बता दें कि भाजपा नीतीश कुमार को अपने पाले में करने की इच्छुक दिख रही है। नीतश कुमार सत्ता में बरकरार रहते हुए कभी भाजपा, तो कभी राजद-कांग्रेस-वाम गठबंधन में शामिल होते रहे हैं। खुद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल में एक साक्षात्कार में नीतीश के भाजपा खेमे के साथ जुड़ने की संभावना के संकेत दिए थे। जनता दल (यू) अध्यक्ष की भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन में वापसी की संभावना के बारे में पूछे जाने पर शाह ने कहा था कि अगर ऐसा कोई प्रस्ताव कभी आया तो पार्टी इस पर विचार करेगी। इससे पहले, शाह ने अक्सर कहते रहे थे कि देश के सत्तारूढ़ गठबंधन में नीतीश की वापसी के लिए दरवाजे बंद हो गए हैं।
‘इंडिया’ में स्थान नहीं मिलने के कारण नाखुश हैं नीतीश
सूत्रों ने कहा कि बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर बरकरार रहने वाले नीतीश कुमार को उनके राजनीतिक कद के अनुरूप विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) में स्थान नहीं मिलने के कारण जद (यू) नेता नाखुश बताए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुमार लोकसभा चुनाव के साथ शीघ्र विधानसभा चुनाव कराने के भी पक्षधर हैं, लेकिन इस सुझाव पर राज्य के सत्तारूढ़ गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी राजद की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।