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आज का इतिहास 12 फरवरी : हमारे पूर्वज बंदर थे यह बताने वाले चार्ल्स डार्विन का जन्म आज ही के दिन 1809 में हुआ था

पढ़ने-लिखने में उनका मन बिल्कुल नहीं लगता था। उनके पिता चाहते थे कि वे बड़े होकर डॉक्टर बनें, लेकिन उन्हें तो कीड़े-मकोड़े और प्रकृति के बारे में जानने का शौक था। यहां जिनकी बात हो रही है, उनका नाम है चार्ल्स डार्विन। उनका जन्म आज ही के दिन 1809 में हुआ था। चार्ल्स डार्विन के पिता रॉबर्ट डार्विन और मां सुसान डार्विन दोनों ही जाने-माने डॉक्टर थे। इसलिए वो चाहते थे कि चार्ल्स भी डॉक्टर बनें।

पिता की लाख कोशिश के बावजूद चार्ल्स का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। एक दिन हार कर उनके पिता ने कहा, ‘तुम्हें शिकार करने और चूहे पकड़ने के अलावा और किसी चीज की परवाह नहीं है। ऐसे तो तुम अपनी ही नहीं, पूरे खानदान की बदनामी कर दोगे।’ चार्ल्स अक्सर इस बात का पता लगाने की कोशिश करते थे कि पृथ्वी पर जीवन कैसे आया?

दिसंबर 1831 में जब चार्ल्स की उम्र 22 साल थी, तब उन्हें बीगल नाम के जहाज से दूर दुनिया में जाने और उसे देखने का मौका मिला। चार्ल्स ने मौका हाथ से जाने नहीं दिया। रास्ते में जहां-जहां जहाज रुका, वहां-वहां चार्ल्स उतरकर जीव-जंतुओं, पेड़-पौधों, पत्थरों-चट्टानों और कीट-पतंगों को देखने लगे और उनके नमूने जमा करने लगे।

कई सालों तक काम करने के बाद उन्होंने बताया कि इस पृथ्वी पर जितनी भी प्रजातियां हैं, वो मूल रूप से एक ही जाति की उत्पत्ति हैं। समय और हालात के साथ-साथ इन्होंने अपने आप में बदलाव किया और अलग-अलग प्रजाति बन गईं।

थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन में बताया- कैसे हम बंदर से इंसान बने
24 नवंबर 1859 को चार्ल्स डार्विन की किताब ‘ऑन द ओरिजन ऑफ स्पेशीज बाय मीन्स ऑफ नेचरल सिलेक्शन’ पब्लिश हुई। इस किताब में एक चैप्टर था, ‘थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन।’ इसी में बताया गया था, कैसे हम बंदर से इंसान बने।

उनका मानना था कि हम सभी के पूर्वज एक हैं। उनकी थ्योरी थी कि हमारे पूर्वज बंदर थे, लेकिन कुछ बंदर अलग जगह अलग तरह से रहने लगे, इस कारण धीरे-धीरे जरूरतों के अनुसार उनमें बदलाव आने शुरू हो गए। उनमें आए बदलाव उनके आगे की पीढ़ी में दिखने लगे।

उन्होंने समझाया था कि ओरैंगुटैन (बंदरों की एक प्रजाति) का एक बेटा पेड़ पर, तो दूसरा जमीन पर रहने लगा। जमीन पर रहने वाले बेटे ने खुद को जिंदा रखने के लिए नई कलाएं सीखीं। उसने खड़ा होना, दो पैरों पर चलना, दो हाथों का उपयोग करना सीखा।

पेट भरने के लिए शिकार करना और खेती करना सीखा। इस तरह ओरैंगुटैन का एक बेटा बंदर से इंसान बन गया। हालांकि, ये बदलाव एक-दो सालों में नहीं आया बल्कि इसके लिए करोड़ों साल लग गए। इसी थ्योरी की वजह से उन्हें दुनियाभर में पहचान मिली। जो पिता कभी कहते थे कि उनका बेटा पूरे खानदान की बदनामी कराएगा, आज उनकी पहचान चार्ल्स डार्विन की वजह से ही है।

गंगा नदी में महात्मा गांधी की अस्थियां प्रवाहित की गईं
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को हत्या की गई थी और उनकी मृत्यु के 13वें दिन 12 फरवरी 1948 को उनकी अस्थियों को देश के विभिन्न भागों में अलग-अलग पवित्र सरोवरों में विसर्जित कर दिया गया। एक कलश को इलाहाबाद में गंगा नदी में प्रवाहित किया गया। इस मौके पर दस लाख से अधिक लोगों ने नम आंखों से साबरमती के इस संत को अंतिम विदाई दी।

भारत और दुनिया में 12 फरवरी की महत्वपूर्ण घटनाएं इस प्रकार हैं
2002: ईरान के खुर्रमबाद एयरपोर्ट पर लैंड करते समय विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 119 लोगों की मौत हो गई।
1994: नॉर्वे के चित्रकार एडवर्ड मंक की रचना द स्क्रीम चोरी हुई। बाद में इसे चोरों से बरामद कर लिया गया।
1922: चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन खत्म करने की घोषणा की।
1920: खलनायक की भूमिका के लिए मशहूर रहे बॉलीवुड एक्टर प्राण का जन्म।
1824: आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती का जन्म।
1818: चिली को स्पेन से आजादी मिली।
1809: अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का जन्म।

 

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