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महंगे पेट्रोल-डीजल का झटका संभव, 7 साल में पहली बार कच्चा तेल 96 डॉलर पार, 100 डॉलर प्रति बैरल छूने के आसार

एक बार फिर महंगाई का तगड़ा झटका लगने वाला है. पेट्रोल डीजल आने वाले दिनों में और भी महंगे होने के आसार बढ़ते जा रहे हैं. रुस और यूक्रेन के बीच तनाव के चलते कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में अक्टूबर 2014 के बाद सबसे उच्चतम स्तर पर जा पहुंचा है. सोमवार को कच्चे तेल के दाम 96.16 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा है. कच्चे तेल में जारी तेजी के बाद दाम 100 डॉलर तक छूने की आशंका जताई जा रही है.

और महंगा होगा कच्चा तेल

कच्चे तेल के दामों में आग लगी है. नए वर्ष 2022 में कच्चे तेल के दामों में 18 से 20 फीसदी से ज्यादा का उछाल आ चुका है, बीते डेढ़ महीने से लगातार कच्चे तेल के दामों में तेजी देखी जा रही है. और जानकार मानते हैं कोविड के असर घटने के बाद मांग में तेजी के चलते कच्चे तेल की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिलेगी जिसके चलते कच्चे तेल के दामों में और भी उछाल देखने को मिल सकता है. एक दिसंबर 2021 को कच्चे तेल के दाम 68.87 डॉलर प्रति बैरल था. जो अब 96 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है. यानि डेढ़ महीने के भीतर कच्चे तेल के दामों में निचले स्तर से 34 फीसदी की तेजी आ चुकी है.

पेट्रोल डीजल के दामों में बदलाव नहीं

हालांकि पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है. जबकि कच्चे तेल के दामों में भारी उछाल आ चुका है.

100 डॉलर पार जाएगा कच्चा तेल 

सरकार के दवाब के चलते सरकारी तेल कंपनियां कच्चे तेल के दामों में इजाफा होने के बावजूद पेट्रोल डीजल के दाम नहीं बढ़ा रही हैं. लेकिन चुनावों के बाद वे घाटा पूरा करने के लिए जरुर कीमतों में बढ़ोतरी करेंगी. लेकिन मुश्किल यही खत्म नहीं होती क्योंकि कच्चे तेल के दामों पर नजर रखने वाले अंतरराष्ट्रीय रिसर्च एजेंसियों की मानें तो कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर के पार जा सकता है. Goldman Sachs के मुताबिक 2022 में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल को छू सकता है और 2023 में 105 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. वहीं JP Morgan ने तो 2022 में 125 डॉलर प्रति बैरल और 2023 में 150 डॉलर प्रति बैरल तक दाम छूने की भविष्यवाणी कर रहे हैं.

मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं

दरअसल मांग के बावजूद तेल उत्पादक देश कच्चे तेल का उत्पादन नहीं बढ़ा रहे जो उन्होंने कोरोना के आने के बाद 2020 में कटौती की थी. डिमांड-सप्लाई में बड़ी खाई और सप्लाई बाधित होने के चलते कच्चे तेल के दामों पर इसका असर पड़ सकता है. कजाकिस्तान और लीबिया का संकट मुश्किल बढ़ाने का कार्य कर रहा है. फिलहाल कच्चा तेल 88 डॉलर प्रति बैरल के करीब बना हुआ है. एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल कीमत था.  यानि 55 दिनों में कच्चे तेल के दामों में निचले स्तर से 27 फीसदी की तेजी आ चुकी है. हालांकि पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

 

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