बैंक अकाउंट अगर एक बार फ्रीज हो जाता है तो खाताधारक उस अकाउंट से कोई लेन-देन नहीं कर सकता है. हालांकि कई मामलों में जब तक खाता अनफ्रीज नहीं हो जाता है तब तक उसमें पैसे जमा करवाए जा सकते हैं. खाता फ्रीज होने के बाद उससे सभी तरह के भुगतान भी अपने आप रुक जाते हैं.
बैंक खाता कई वजहों से फ्रीज हो सकता है. कभी किसी विधायी कार्य की वजह से, कभी इनटम टैक्स डिपार्टमेंट तो कभी अदालती आदेश से भी बैंक खाते फ्रीज होते हैं.
भारत में, भारतीय रिजर्व बैंक, आयकर विभाग, न्यायालयों और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास बैंक खातों को फ्रीज करने का प्राधिकार है.
आमतौर पर किसी ग्राहक का खाता फ्रीज करने से पहले बैंक द्वारा उसे नोटिस भेजा जाता है. अगर खाते को वैध कारणों के लिए लंबे समय तक फ्रीज किया गया है तो ऐसे फिर से खुलवाना एक लंबा काम है.
अगर आपके खाते में संदिग्ध किस्म के ट्रांजेक्शन होने लगे- जैसे अचानक ऑनलाइन परचेज की संख्या बढ़ जाना या विदेश में डेबिट कार्ड से खरीदारी होने लगना- तो बैंक खुद अपनी तरफ से आपका अकाउंट फ्रीज कर देता है. बैंक समझता है कि संबंधित ग्राहक का अकाउंट या तो हैक कर लिया गया है या डेबिट कार्ड चोरी हो गया है.
रिजर्व बैंक का प्रावधान है कि खाताधारक को तीन साल में एक बार, केवाईसी अपडेट करना होगा. अगर कोई ग्राहक ऐसा नहीं करता है तो उसका अकाउंट फ्रिज कर दिया जाता है. अगर आपके खाते में 6 महीने तक कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ तो आपका खाता फ्रीज हो सकता है.
आयकर विभाग के निर्देश पर भी किसी व्यक्ति का खाता फ्रीज किया जाता है. इसी तरह से सेबी के आदेश का भी पालन होता है. वित्तीय धोखाधड़ी या कुछ अन्य किस्म के मामलों में अदालतें भी बैंक को आरोपी का बैंक अकाउंट फ्रिज करने का आदेश देती हैं.
सबसे पहले अपने बैंक ब्रांच में संपर्क करना चाहिए. अकाउंट फ्रिज होने की वजह पूछें?
अगर खाता संदिग्ध लेन देन या केवाईसी पूरा नहीं होने की वजह से फ्रीज हुआ है तो अकाउंट शीघ्र चालू हो जाएगा.
अगर खाता आयकर विभाग, सेबी या फिर किसी अदालत के आदेश पर फ्रीज हुआ है तो फिर वहां से आदेश आने से पहले बैंक प्रबंधन कुछ नहीं कर सकता.