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सफलता की कहानी: मनरेगा से बनी पुलिया ने दो गांवों की मुश्किल राहों को कर दिया आसान

० ग्राम पंचायत मेंकरी में पुलिया निर्माण कार्य से स्कूल विद्यार्थियों, ग्रामीणों का आना-जाना हुआ सुगम
० अब नहीं बहती किसानों की बेशकीमती फसल, पुलिया निर्माण से मिली राहत

जांजगीर चांपा। रास्ते आसान हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है, लेकिन अगर रास्ते में अड़चन, हो तो फिर जिंदगी दूभर हो जाती है, ऐसी ही मुश्किल राहों से दिनरात मेंकरी एवं मुड़पार के निवासियों को गुजरना पड़ रहा था, क्योंकि उनके गांवों को जोड़ने वाली सड़क के बीचोंबीच कोई मजबूत पुलिया नहीं थी, जिससे राह आसान हो सके, इन्हीं परेशानी से दो चार हो रहे ग्रामीणों के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) खुशियां लेकर आया, जब मेंकरी ग्राम पंचायत में तारबांध जलाशय से जोड़ते हुए एक पुलिया का निर्माण किया गया। पुलिया बनने के बाद ग्राम पंचायत मेंकरी और ग्राम पंचायत मुड़पार चु की मुश्किल राह आसान हो गई। वर्षों की समस्या से निजात मिली और रास्ता सुगम होने से आने-जाने में समय की बचत भी होने लगी।
जांजगीर-चांपा जिले से 35 किलोमीटर एवं पामगढ़ विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मेंकरी की दूरी 14 किलोमीटर है।

मेंकरी और मुड़पार के बीच में आवागमन के लिए कच्चा मार्ग बना हुआ है इस सड़क के बीच में एक बड़ी मुश्किल पुलिया निर्माण को लेकर थी। मेंकरी गांव में तारबांधा जलाशय होने के कारण जब बारिश के दिनों पानी बढ़ जाता था तो गांव की इस सड़क पर बहते हुए पानी निकलता था, जिससे कई बार सड़क पर बनी पाइप लाइन डालकर बनाई गई पुलिया क्षतिग्रस्त हो जाती थी, इस मार्ग पर मजबूत पुलिया न होने के कारण बारिश में दिक्कत हमेशा होती थी। यह बड़ी समस्या एवं चुनौती के रूप में सबके सामने थीं, आवागमन की समस्याओं और परेशानियों से जूझ रहे ग्रामीण, किसानों, स्कूली छात्र-छात्राओं की उम्मीदों को कोई आसरा नजर नहीं आ रहा था। बारिश में आसपास की फसल को भी काफी नुकसान होता था, तो वहीं मंेकरी से मुड़पार जाने वाले स्कूली विद्यार्थियों के लिए 5 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता था। ऐसे में इन समस्यों से दो-चार हो रहे ग्रामीणों, किसानों, विद्यार्थियों के लिए महात्मा गांधी नरेगा चमक लेकर आया, जब तकनीकी सहायक सुश्री दामिनी गर्ग ने सरपंच, सहित ग्रामीणों को मनरेगा के माध्यम से पुलिया निर्माण के बारे में जानकारी दी।

मनरेगा 37 परिवारों को मिला रोजगार
तकनीकी सहायक सुश्री दामिनी बताती हैं कि जनपद पंचायत मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी श्री सौरभ शुक्ला के मार्गदर्शन में ग्राम पंचायत मेंकरी में पुलिया निर्माण मुड़पार चु हाईस्कूल पहुंच मार्ग पर महात्मा गांधी नरेगा के माध्यम से तकनीकी प्रस्ताव तैयार कराया। तकनीकी प्रस्ताव को ग्राम सभा में रखा गया जहां से पास होने के बाद उसे जनपद पंचायत से जिला पंचायत प्रशासकीय स्वीकृति के लिए भेजा गया था। मनरेगा से 6.75 लाख रूपए की प्रशासकीय स्वीकृति प्राप्त होने के बाद 3 जून 2021 को पुलिया निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। तकनीकी सहायक, रोजगार सहायक श्री राजेश लहरे ने नियमित मानीटरिंग करते हुए पुलिया का निर्माण कराया और इस कार्य मेें 37 परिवारों ने 424 मानव दिवस सृजित करते हुए कार्य किया। पप्पू कुमार, नरेन्द्र कुमार साहू, गीता देवी लहरे, अमरीका बाई, जानकी, श्रीराम, मेघनाथ यादव, परदेशी यादव, भरत साहू, पूनम साहू, दूजबाई, ईश्वरी यादव आदि श्रमिकों ने मनरेगा के इस कार्य से रोजगार प्राप्त किया और पुलिया तैयार हुई तो गांव के लोगों ने भी राहत की सांस ली।

अब नहीं बहती बेशकीमती फसल
गांव के किसान हरिशंकर खुटे, रामायण लहरे, भागवत लहरे, घासीराम, राजेन्द्र कुमार, द्वारिका प्रसाद, देवानंद का कहना है कि पहले जब मनरेगा से पुलिया का निर्माण नहीं हुआ था तो तारबांध जलाशय से बहने वाले पानी से 100 से 200 एकड़ फसल को नुकसान हो जाता था, जब से मनरेगा से पुलिया का निर्माण हुआ तब से फसल नहीं बहती बल्कि इस पानी का उपयोग फसल के लिए सिंचाई में करते हैं। स्कूल जाने वाले विद्यार्थी राना प्रताप, शालिनी खरे, प्रमोद, नीतेश लहरे, धीरज कुमार का कहना है कि एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों बच्चों को पुलिया निर्माण होने से राहत मिली है।

पुलिया बनी मील का पत्थर
सरपंच  विक्रम रात्रे कहते हैं पुलिया एक गांव के लिए नहीं बल्कि दो गांवों के बीच का मील का पत्थर बनी है। पहले जहां लोगों को 5 से 6 किलोमीटर घूमकर एक-दूसरे गांव पहुंचना पड़ता था, वही अब यह दूरी चंद कदमों की हो गई। मनरेगा योजनांतर्गत इस कार्य को कराने से गांव के आवागमन की सुविधा के साथ फसल के हो रहे नुकसान एवं स्कूली बच्चों को आने-जाने में राहत मिली।

रोजगार के साथ ग्रामीण विकास: जिपं सीईओ डॉ. ज्योति पटेल
जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल का कहना है महात्मा गांधी नरेगा से गांव में ही ग्रामीण जॉबकार्डधारी परिवारों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। दूसरी ओर परिसंपत्तियों के निर्माण होने से ग्रामीण विकास हो रहा है। इन परिसंपत्तियों के निर्माण होने से ग्रामीणों को सुविधा मुहैया हो रही है।

 

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