नई दिल्लीः रेलवे ने पैसेंजर और कम दूरी की अन्य ट्रेनों का किराया बढ़ा दिया है. क़रीब 30 दिनों से चुपचाप बढ़े हुए इस रेल किराए पर रेलवे ने पहली सफ़ाई ये दी है कि ये किराया इसलिए बढ़ाया गया है ताकि इस कोविड संकट के समय में ऐसे यात्रियों को यात्रा करने से रोका जा सके जिनके लिए ट्रेन यात्रा बहुत ज़रूरी नहीं है. पैसेंजर ट्रेनों का किराया बढ़ा कर मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों के अनारक्षित डिब्बों के किराए के बराबर कर दिया गया है.
रेलवे ने कोविड संकट से पहले के समय की तुलना में 65% मेल एक्सप्रेस ट्रेनों को चलाना शुरू कर दिया है. जबकि 90% सबअर्बन ट्रेनें भी चलाई जा चुकी हैं. इस वक़्त रोज़ाना कुल 326 पैसेंजर ट्रेनें चल रही हैं. जबकि 1250 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें और 5350 सबअर्बन ट्रेनें चल रही हैं. रेलवे का कहना है कि इस समय चल रही कम दूरी की पैसेंजर ट्रेनें कुल पैसेंजर ट्रेनों का सिर्फ़ 3% ही है. इसलिए इससे बहुत कम यात्री ही प्रभावित हो रहे हैं.
किराए बढ़ाए जाने को लेकर रेलवे से सफ़ाई देते हुए ये भी याद दिलाया है क़ि यात्री सेवा पर हमेशा सब्सिडी दी जाती है और प्रत्येक रेल यात्री की हर यात्रा पर रेलवे को घाटा सहना पड़ता है. रेलवे बहुत सी ऐसी ट्रेनें भी चला रहा है जिसकी सीटें बहुत कम भरती हैं.
इस सवाल पर कि क्या अपने सामान्य रेल सेवा परिचालन को शुरू करने के बाद रेलवे पैसेंजर ट्रेनों से बढ़ा हुआ किराया हटा लेगा, रेलवे के राष्ट्रीय प्रवक्ता डीजे नारायण ने कहा कि ऐसी स्थितियों को समय-समय पर रिव्यू किया जाता है और तत्कालीन स्थिति के अनुसार उचित फ़ैसला लिया जाएगा.
इस सवाल पर कि आख़िर रेलवे ने पैसेंजर किराए में कितने रूपए की वृद्धि की है? हर 10 किलोमीटर पर बढ़े हुए किराए किस दर से लागू होंगे? रेलवे के आधिकारिक राष्ट्रीय प्रवक्ता ने विस्तार से समझाते हुए बताया, “बढ़े हुए किराए की बात अगर आप कम दूरी के लिए करेंगे तो ये प्रतिशत में काफ़ी ज़्यादा लगेगा क्योंकि 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो स्टेशनों के बीच अगर टिकट 10 रूपए का था तो अब 20 रूपए का मिलेगा. लेकिन अगर 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो स्टेशनों के बीच के किराए की बात करें तो ये महज़ 10% के करीबी होगा.”
कम दूरी की ट्रेनों से आशय 200 किलोमीटर की दूरी के भीतर की ट्रेनों से लिया जाता है. हालांकि इसकी जद में आने वाले यात्रियों की संख्या का अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है.
दो राज्यों के बीच पैसेंजर ट्रेनें चलाने के लिए रेल मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अलावा राज्य सरकारों से भी सहमति लेनी पड़ती है. इस प्रक्रिया का पालन करते हुए जल्द ही देश भर में पैसेंजर ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जाएगी.
कोविड संकट के शुरुआती दौर में ही, रेलवे ने 22 मार्च 2020 को लॉक डाउन के चलते सामान्य ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया था जो अब तक शुरू नहीं हुआ है. सामान्य ट्रेनों की जगह स्पेशल ट्रेनें शुरू की गई थीं और आज भी अपनी बढ़ी हुई संख्या के साथ स्पेशल ट्रेनें ही चल रही हैं. रेलवे लॉकडाउन से पहले के सामान्य रेल परिचालन की दिशा में लगातार प्रयास कर रहा है.