फाल्गुन महीने की पूर्णिमा 6 और 7 मार्च 2023 को है, लेकिन सोमवार की पूरी रात पूर्णिमा रहेगी और मंगलवार को दिनभर रहेगी. होलिका दहन पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद किया जाता है. इसे छोली होली भी कहते हैं. होलिका दहन के अगले दिन रंगों की होली खेली जाती है. पूर्णिमा तिथि दो दिन होने से इस बार होलिका दहन की डेट को लेकर लोगों में संशय की स्थिति है. आइए जानते हैं पंचांग के अनुसार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और विधि.
फाल्गुन पूर्णिमा 2023
फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 की शाम 4.17 पर शुरू होगी और पूर्णिमा तिथि का समापन 7 मार्च 2023 को शाम 6.09 तक है. होलिका दहन का मुहूर्त किसी त्यौहार के मुहूर्त से ज्यादा महवपूर्ण और आवश्यक है. होलिका दहन की पूजा अगर अनुपयुक्त समय पर हो जाये तो यह दुर्भाग्य और पीड़ा देती है.
होलिका दहन की तिथि को लेकर मतभेद क्यों?
होलिक दहन के समय भद्रा काल जरुर देखा जाता है. कई जानकारों का मत है कि होलिका दहन भद्रा के पूर्णता समाप्त होने के बाद यानी 7 मार्च को करना शुभ होगा. वहीं कुछ का कहना है कि भद्रा के पुंछ काल होलिका दहन करने का शास्त्रीय विधान है. जो 6-7 मार्च की दरमियानी रात में रहेगा. भद्रा पुंछ में किए गए कामों में जीत प्राप्त होती है.
होलिका दहन पूजा विधि
होलिका दहन की पूजा में सबसे पहले गणपति जी का स्मरण करें. फिर होलिका पर गंगाजल छिड़कें. अब हल्दी, कुमकुम, अक्षत, गुलाल, नारियल, उपले की माला, फूल, गेहूं की बालियां होलिका को अर्पित करें. सभी सामग्री मंत्रोंच्चार के साथ चढ़ाएं. प्रह्लाद, नृरसिंह भगवान के मंत्रों का जाप करें. फिर होलिका में जल चढ़ाते हुए 7 बार परिक्रमा करें. कहते हैं होलिका की पूजा पुरुषों को करना चाहिए.