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आठ साल बाद भी कैसे ब्रांड मोदी बरकरार? जानें पीएम मोदी की जीत के ये 10 ‘विजय सूत्र’

अहमदाबाद में प्रधानमंत्री पीएम मोदी का काफिला जैसे ही बीजेपी दफ्तर के करीब पहुंचा, कुछ अंदाज में उन पर फूलों की बारिश की गयी. प्रधानमंत्री मोदी के इस भव्य स्वागत की शुरूआत अहमदाबाद एयरपोर्ट से ही हो गयी थी. उन्होंने वहां से करीब 10 किलोमीटर लंबा रोड शो निकाला.

मोदी का ये मेगाशो दरअसल 4 राज्यों में मिली महाविजय का जश्न है. पर ये सवाल सबके मन में था कि यूपी में मिली जीत का जश्न गुजरात में क्यों ? क्या वजह थी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के 24 घंटे के अंदर ही प्रधानमंत्री मोदी गुजरात पहुंच गए ? इसका सीधा सा जवाब यही होगा कि अब गुजरात में चुनाव होने हैं इसलिए मोदी ने अपना मिशन गुजरात शुरू कर दिया है लेकिन बात सिर्फ इतनी सी नहीं. महाविजय के बाद मोदी का गुजरात आना दरअसल उस सवाल का जवाब है कि आखिर क्यों 8 साल बाद भी ब्रांड मोदी बरकरार है ?

प्रधानमंत्री बनने से पहले गुजरात पीएम मोदी की कर्मभूमि रही है, इसीलिए जब इतनी बड़ी जीत के बाद वो सीधे गुजरात में अपने लोगों के बीच पहुंच जाते हैं तो ये संदेश देते हैं कि पीएम मोदी लोगों से अपना रिश्ता कभी नहीं भूलते और लोगों से पीएम मोदी के इसी सीधे कनेक्शन ने उनका कद इतना बड़ा कर दिया है कि फिलहाल कोई और नेता मोदी को चुनौती देता नजर नहीं आता. राज्य कोई भी हो प्रधानमंत्री मोदी की चुनावी रणनीति के आगे सारे जमे जमाए समीकरण फेल हो जाते हैं. उत्तर प्रदेश में भी यही हुआ. एक एक कर मोदी ने हर उस मुद्दे की हवा निकाल दी जो बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता था. जैसे पिछले साल किसान आंदोलन में हुआ था. आइये जानते हैं पीएम मोदी की जीत के ’10 विजय सूत्र’ क्या हैं.

माफी मांग कर किसानों को शांत किया

जब सब ये मानकर चल रहे थे नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का गुस्सा बीजेपी को भारी पड़ सकता है, जब किसान झुकने को तैयार नहीं थे और यूपी का चुनाव सिर पर आ गया था तो प्रधानमंत्री मोदी ने दो कदम पीछे लेते हुए कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया.

प्रधानमंत्री के इस तरह से माफी मांगने को लेकर विरोधियों ने उन पर निशाना साधा, कहा गया कि हार के डर से मोदी को ये फैसला करना पड़ा, लेकिन मोदी अपने इस फैसले से पश्चिमी यूपी की 136 सीटों को साध रहे थे और नतीजों में उसका असर भी दिखा. पश्चिमी यूपी में दो चरणों में हुए चुनाव में पहले ही चरण में 58 में से 46 सीटें बीजेपी के खाते में आयीं और दूसरे चरण में भी 55 में से 31 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली

मुफ्त कोरोना वैक्सीन 

कहा ये भी जा रहा था कि कोरोना की दूसरी लहर के वक्त यूपी में जो हालात थे, बीजेपी को उसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने मुफ्त वैक्सीन देकर इसका भी तोड़ निकाला तो मुख्यमंत्री योगी ने वैक्सीनेशन का बड़ा अभियान चलाकर सब तक इसका फायदा पहुंचाया. उत्तर प्रदेश में 100 फीसदी लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है और करीब 80 फीसदी लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं.

कोरोना के वक्त मुफ्त राशन 

सिर्फ वैक्सीन ही नहीं उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार में डबल राशन स्कीम बड़ा गेमचेंजर साबित हुई. एक तरफ यूपी सरकार की अंत्योदय अन्न योजना के तहत कार्डधारकों को हर महीने 10 किलो राशन और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों को 5 किलो अतिरिक्त राशन देकर बीजेपी ने लाभार्थियों का ऐसा वोट बैंक खड़ा कर लिया जो बीजेपी की जीत का बड़ा कारण बना.

कोरोना के समय सरकार की तरफ से करीब 15 करोड़ लोगों को 23 महीने तक मुफ्त राशन दिया गया. करीब 2 करोड़ 82 लाख किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 6000 रुपए दिए गए. मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 1 लाख 52 हजार कन्याओं की शादी करायी गयी. पीएम आवास योजना में 40 लाख मकान बने. उज्ज्वला योजना के तहत 3 करोड़ 94 लाख गैस कनेक्शन दिए गए.

ये चुनाव नतीजे बीजेपी के प्रो पुअर, प्रो गवर्नेंस पर मुहर लगाते हैं, पहले कुछ साधन संपन्न लोगों तक सुविधा पहुंचती थी, देश में गरीबों के नाम पर घोषणाएं बहुत हुईं, योजनाएं भी बनी लेकिन गरीबों को वो मिल पाए. बीजेपी इस बात को समझती है मैं लंबे अरसे तक सीएम रहा हूं तो मुझे पता है कि आखिरी इंसान की सुविधा के लिए कितनी मेहनत करनी चाहिए.

महिला मतदाताओं का भरोसा जीता

उत्तर प्रदेश में करीब 7 करोड़ महिला वोटर हैं. जिन्हें साधने के लिए विरासत अभियान से लेकर शक्ति स्कीम तक कई योजनाएं शुरू की गयीं. लेकिन इस सब से बढ़कर महिला सुरक्षा के मुद्दे को उठाया गया. बीजेपी ने ये कहना शुरू किया कि अगर समाजवादी पार्टी लौटी तो गुंडागर्दी फिर बढ़ेगी. नतीजा ये हुआ कि महिलाएं भले ही महंगाई को मुद्दा मानती रहीं लेकिन सुरक्षा के मुद्दे पर योगी और मोदी उनका भरोसा जीतने में कामयाब रहे.

आवारा पशुओं की समस्या पर भरोसा दिया

जब विरोधी उत्तर प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या को चुनावी मुद्दा बनाने में लगे थे, पीड़ित किसान भी इसे लेकर अपनी नाराजगी जता रहे थे तो मोदी ने उसे नजरअंदाज नहीं किया. मुद्दे से बचने के बजाय मोदी ने खुद आगे बढ़कर किसानों को भरोसा दिया.

यूपी विकास का ‘एक्सप्रेसवे’ 

पश्चिम में जेवर एयरपोर्ट हो या पूरब में एक्सप्रेसवे चुनाव से पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने विकास की वो तस्वीर भी सामने रख दी जिससे हर वोटर का भरोसा और मजबूत हुआ.

जाति-धर्म का समीकरण तोड़ा 

यूपी की सियासत कभी मायावती के SC तो कभी समाजवादी पार्टी के यादव-मुस्लिम वोटबैंक के बीच झूलती रही. मोदी ने इन सारे समीरकरणों को भी ध्वस्त कर दिया
इसीलिए 86 SC-ST सीट में से 65 पर बीजेपी को जीत मिली तो मुस्लिम प्रभाव वाली 85 सीटों में से भी 49 बीजेपी के खाते में आयीं.

पूर्वांचल में खुद मोर्चा संभाला 

चुनाव के आखिरी चरण में मोदी खुद वाराणसी पहुंच गए. भव्य रोड शो और जगह जगह पर लोगों के बीच पहुंचकर मोदी ने एक बार फिर लोगों से अपना सीधा कनेक्शन दिखाते हुए विरोधियों के हौसले पस्त किए और इसी का नतीता था कि अखिलेश के पूरा जोर लगाने के बाद भी पूर्वांचल की 130 में से 77 सीटें बीजेपी के खाते में आ गयीं.

अयोध्या में राम मंदिर 

विकास के साथ हिंदुत्व की डोज भी जारी रही. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू होना बीजेपी की जीत का एक बड़ा कारण बना.

विरोधियों पर परिवारवाद का बाण

अखिलेश यादव हों, जंयत चौधरी हों या प्रियंका गांधी, यूपी में बीजेपी को चुनौती देने वाले इन सारे विपक्षी नेताओं को मोदी ने परिवारवाद के कटघरे में खड़ा करके जनता से उनका हिसाब करने के लिए कहा.

 

 

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