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एमएसएमई, स्टार्ट-अप की फंडिंग का नया रास्ता, निजी प्रॉविडेंट फंड के निवेश से मिलेगी मदद

सरकार ने निजी प्रॉविडेंट फंड, सुपरएनुअशन और ग्रेच्युटी फंड को निवेश किए जाने लायक अपने सरप्लस के पांच फीसदी को अल्टरनेटिव इनवेस्ट फंड यानी AIF में निवेश की इजाजत दे दी है. ये अल्टरनेटिव फंड इन्फ्रास्ट्रक्चर, एमएसएमई, वेंचर कैपिटल फंड और सोशल वेंचर कैपिटल फंड को समर्थन करने वाले होने चाहिए. इससे स्टार्ट-अप और छोटे उद्योगों को आसानी से फंड मिल सकेगा. अगर ईपीएफओ ने भी सरकार के इस निर्देश का पालन किया तो इन्हें फंड मिलना और आसान हो जाएगा. देश में स्टार्ट-अप और एमएसएमई फंड की कमी से जूझ रहे हैं. लिहाजा सरकार का यह कदम उनके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.

ईपीएफओ 12 लाख करोड़ रुपये के रिटायरमेंट फंड को मैनेज करता है. लेकिन सरकार ने मंगलवार को जो नई घोषणा की है वह सिर्फ निजी प्रॉविडेंट पर लाग होगा. ईपीएफओ के एक अधिकारी ने बताया कि हालांकि यह जोखिम भरा फैसला हो सकता है लेकिन सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में इस पर विचार किया जा सकता है. मंगलवार को सरकार की ओर जारी अधिसूचना में कहा गया है कि गैर सरकारी प्रॉविडेंट फंड, सुपर एनुअशन फंड और ग्रेच्यूटी फंड कैटेगरी 1 और कैटेगरी 2 के अल्टरनेट इनवेस्टमेंट में निवेश कर सकते हैं. अल्टरनेट इनवेस्टमेंट फंड का नियमन सेबी करता है.

मंगलवार को जारी सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि निजी प्रॉविडेंट फंड, सुपर एनुअशन और ग्रेच्यूटी फंड ऐसे अल्टरनेट इनवेस्टमेंट में निवेश कर सकते हैं जिनका कोष कम से कम 100 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा का हो. कैटेगरी 1 के तहत इन्फ्रास्ट्रक्चर, एसएमई, वेंच कैपिटल और सोशल वेंचर कैपिटल फंड में निवेश की इजाजत है. इससे एमएसएमई की फंडिंग के नए रास्ते खुलेंगे.

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