पेट्रोल-डीजल की महंगाई से परेशान देश के सामने वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने खुलासा किया है कि पिछले छह साल में इसके टैक्स कलेक्शन में 300 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. केंद्र सरकार में पेट्रोल पर साल 2014-15 में एक्साइज ड्यूटी के जरिये 29,279 करोड़ रुपये और डीजल पर 42,881 रुपये इकट्ठा किए थे. चालू वित्त वर्ष ( 2020-21) के पहले दस महीनों में सरकारन का पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कनेक्शन बढ़ कर 2.94 लाख करोड़ रुपये हो गया. सरकार ने नैचुरल गैस पर एक्साइज ड्यूटी के जरिये 2014-15 में 74,158 करोड़ जुटाए थे जो अप्रैल 2020 से जनवरी 2021 की अवधि में बढ़ कर 2.95 लाख करोड़ रुपये हो गए. अनुराग ठाकुर ने लोकसभा में इसकी जानकारी लिखित जवाब में दी है.
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं. इसके साथ ही सरकार ने भी पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी पर कटौती नहीं की है. केंद्र सरकार और राज्यों के टैक्स इस काफी ज्यादा है . इसलिए इनकी कीमतें घट नहीं रही हैं. दरअसल कोरोना संक्रमण की वजह से अर्थव्यवस्था को लगे झटके ने सरकार की कमाई कम कर दी है. ऐसे में सरकार को रेवेन्यू कलेक्शन के मोर्चे पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. सरकार को बजट प्रावधानों के तहत घोषित किए गए कदमों को लागू करने के लिए बड़े फंड की जरूरत है. खास कर इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए . इस तरह की परियोजनाओं काफी अधिक फंड की जरूरत पड़ती है. इसलिए भी सरकार इस पर एक्साइज ड्यूटी नहीं घटा पा रही है.
पेट्रोलियम मंत्री, प्रधानमंत्री और देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग का समर्थन कर चुके हैं. हालांकि इसके लिए राज्यों को भी मनाना होगा. पेट्रोल-डीजल पर टैक्स राज्यों की कमाई का भी एक बड़ा हिस्सा है. इस पेट्रोल-डीजल की महंगाई को लेकर आम जनता में रोष दिख रहा है. यही वजह है कि संसद में सरकार से इस पर सवाल पूछे जा रहे हैं.