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कृषि विश्वविद्यालय में मनाया गया बौद्धिक सम्पदा अधिकार का जागरूकता दिवस

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के परिपेक्षय में जागरूकता दिवस मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने अपने संबोधन में कहा कि आज का युग स्पर्धा का युग है, जिसमें दस्तावेजों का पंजीयन, ट्रेडमार्क, पेटेन्ट और कॉपी राईट समय की मांग दर्शाता है। उन्हांने आगे कहा पेटेन्ट कराने के लिए की मार्गदर्शिका के अनुसार भारत सरकार से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना होता है। नियमानुसार प्रकाशन के दो साल बाद साईटेशन होता है।

जागरूकता दिवस पर उन्होंने पेटेन्ट की महत्वपूर्ण उपयोगिता बताई। कार्यक्रम के प्रारंभ में स्वागत भाषण देते हुए संचालक अनुसंधान सेवाएं डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पेटेन्ट का इतिहास पुराना है। 1400 ईस्वी में भवन डिजाइनरों के द्वारा पेटेन्ट का उपयोग किया गया। जहां-जहां भी पेटेन्ट किया गया वहां विकास की गति तेज हुई है। उन्होंने आगे कहा कि पेटेन्ट का मतलब जनता के लिए जानकारी को विस्तारित करना है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के प्रकोष्ठ की स्थापना हुई है, विश्वविद्यालय में किस्मों को जी.आई. टैग मिला है तथा पेटेन्ट की विधि को सरल किया गया है।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में बौद्धिक सम्पदा अधिकार के बारे में व्याख्यान देते हुए विभागाध्यक्ष डॉ. एस.व्ही. वेरूलकर ने कहा कि विश्व व्यापार संगठन के अनुसार बौद्धिक सम्पदा का अधिकार व्यक्ति के मस्तिष्क में सृजन और उसके उपयोग के दस्तावेजीकरण से जुड़ा है। उन्होंने पेटेन्ट में कॉपिराईट, ट्रेडमार्क, जी.आई. टैग को शामिल किया है।

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