बैसाखी का त्यौहार है। सिख और हिंदू समुदाय के लोग बैसाखी को बड़े जोश और उत्साह के साथ मनाते हैं। इस दिन पीले और नारंगी रंग के कपड़े पहने जाते हैं और इसे सिख नव वर्ष की शुरुआत मानते हैं। यह त्यौहार रबी फसलों की कटाई का प्रतीक है। इसे असम में ‘बोहाग बिहू’, केरल में ‘विशु’ और बंगाल में ‘पोइला बैसाख’ के नाम से भी जानते हैं।
पंजाब के त्यौहार की बात हो और एक बड़ी दावत का जिक्र न हो तो ऐसा कैसे हो सकता है? पंजाबी तो वैसे भी अपनी भव्यता और खान-पान के लिए लोकप्रिय हैं फिर उनका यह त्यौहार बिना लजीज व्यंजनों के कैसे पूरा हो सकता है?
इस दिन कई पारंपरिक व्यंजन तैयार किए जाते हैं। अगर आप भी पंजाब की मिट्टी से दूर किसी दूसरे शहर में बैसाखी मना रहे हैं तो इन डिशेज को मनाकर घर को महसूस कर सकते हैं।
पिंडी छोले (Pindi Chhole)
एक पंजाबी पिंडी छोले को कैसे न बोल दे? बैसाखी में पिंडी छोले बनना एक परंपरा है। यह स्वादिष्ट छोले की रेसिपी को बड़े मसालेदार तरीके से बनाया जाता है और फिर इसे मक्खन वाली तंदूरी रोटी, चपाती, नान, पराठे और चावल किसी के साथ भी खाया जा सकता है। इस बार बैसाखी में आप मेन कोर्स में एक और डिश शामिल कर लें और पूरा मजा लें।
आलू छोलिया (Aloo Choliya)
हरा छोलिया दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे क्षेत्रों में बहुत पाया जाता है। इसे लोग कच्चा भी खाते हैं और इसकी तरह-तरह की रेसिपीज भी तैयार करते हैं। हरा छोलिया या हरे चने अपने पोषण मूल्य के लिए जाने जाते हैं और इसे आलू के साथ बनाया जाता है। वैसे तो छोलिया सर्दियों में ही ज्यादा पाया जाता है, लेकिन इस समय आपको यह मिल जाए तो आप आलू छोलिया बनाकर इस त्यौहार का मजा ले सकते हैं।
बेसनी मुर्गी (Besan Murgi)
पंजाबी लोगों को नॉन-वेज भी बहुत पसंद होता है और इस दिन वेज के साथ-साथ नॉन वेजिटेरियन डिशेज भी खूब बनाई जाती हैं। बैसाखी में मेन कोर्स के लिए बेसनी मुर्गी बनाई जा सकती है। इसमें चिकन को बेसन के घोल में मिलाया जाता है और कुरकुरे होने तक तला जाता है। बैटर बेसन, मसाले और दही के संयोजन से बनाया जाता है,जो चिकन को एक कुरकुरी बनावट और एक अच्छा स्वाद देता है। इसे मुख्य रूप से पुदीने की चटनी या रायता के साथ परोसा जाता है।
केसर चावल (Kesar Rice)
इस खास दिन पर कुछ पीला न बने ऐसा कैसे हो सकता है? पीले चावल जिन्हें केसर चावल भी कहते हैं, बैसाखी के दिन हर पंजाबी घर में बनाए जाते हैं। इसे चीनी, केसर और अन्य मसालों जैसे दालचीनी, इलायची, लौंग और ड्राई फ्रूट्स से तैयार किया जाता है। आपने सुना होगा है इस चावल को ईद में भी कई लोग बनाते हैं और इसे जर्दा पुलाव भी कहा जाता है।
कढ़ी (Kadhi)
कढ़ी चावल की स्वादिष्ट प्लेट किसे पसंद नहीं होती? वहीं पंजाबी कढ़ी का फ्लेवर बहुत अलग होता है और प्याज के पकौड़े डालकर इस तीखी, खट्टी कढ़ी का मजा बढ़ जाता है। बैसाखी के दिन यह इस व्यंजन को बनाने का खास महत्व है। केसर चावल के साथ कढ़ी भी हर पंजाबी घर में बनाई जाती है। अगर आप घर से दूर हैं, तो कुछ न सही लेकिन यह आसान रेसिपी बना सकते हैं।
गन्ने के रस की खीर
खाने के बाद मीठा खाना भी जरूरी है। ऐसे में खीर मिल जाए तो क्या बात है, लेकिन आपको बताएं पंजाबी आम खीर नहीं बनाते हैं। यह खीर गन्ने के रस (गन्ने के रस के बेनिफिट्स) से बनाई जाती है। बैसाखी के दिन गन्ने की खीर को बड़ा महत्व दिया जाता है और डेजर्ट के रूप में इस खीर को तैयार किया जाता है। इसे प्रसाद में बनाया जाता है और खीर को अमृत के रूप में देखा जाता है।