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प्रियंका गांधी बोलीं- कोरोना के खिलाफ पूरा संसाधन झोंक दें मुख्यमंत्री योगी, नहीं तो भावी पीढ़ियां माफ नहीं करेंगी

नई दिल्ली: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी की स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए मंगलवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस विपदा से निपटने के लिए पूरा संसाधन नहीं झोंकेंगे तो भावी पीढ़ियां उन्हें कभी माफ नहीं करेंगी. उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यह आग्रह भी किया कि राज्य सरकार को स्वास्थ्य संबंधी आपातकाल की स्थिति को स्वीकार करना चाहिए.

प्रियंका ने सुझाव दिया कि स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करने के साथ ही आरटीपीसीआर जांच बढ़ाने, ऑक्सीजन भंडारण की नीति तय करने और मौत के आंकड़ों को लेकर पारदर्शिता बरतने समेत कई कदम उठाने चाहिए. उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश में शहरों की सीमाओं को लांघकर अब यह महामारी गांवों में अपना पैर पसार रही है. पिछले 20 दिनों में कोरोना के 10 गुना मरीज बढ़े हैं. सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि जिस रफ़्तार से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उसके मुकाबले प्रदेश में कोरोना जांच की दर न के बराबर है. बड़ी संख्या ऐसे मामलों की भी है जो रिपोर्ट ही नहीं हो पा रहे.”

कांग्रेस महासचिव ने दावा किया, ”ग्रामीण इलाकों में तो जांच तक नहीं हो रही है, शहरी इलाकों के लोगों को जांच कराने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. 23 करोड़ से अधिक आबादी वाले राज्य में प्रदेश सरकार के पास केवल 126 परीक्षण केंद्र और 115 निजी जांच केंद्र हैं.” प्रियंका ने ऑक्सीजन और रेडेमिसिवर इंजेक्शन की कमी, टीकाकरण की कथित धीमी गति होने और श्मशान घाटों पर ‘लूट-खसोट’ पर चिंता प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री से कहा, ”मानवता की इस लड़ाई में लोगों को कोरोना से लड़ने के लिये अकेला मत छोड़िए, आप उनके प्रति जवाबदेह हैं.”

प्रियंका ने इस बात पर जोर दिया, ”इस संकट के समय यदि आप (योगी) दृढ़निश्चय लेकर सरकार के पूरे संसाधन नहीं डालेंगे तो भावी पीढ़ियां आपको कभी माफ नहीं करेगी.” उन्होंने आग्रह किया, ”सभी स्वास्थ्यकर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों के कल्याण के लिए एक समर्पित आर्थिक पैकेज की घोषणा की जाए. सभी बंद किये जा चुके कोविड अस्पतालों और देखभाल केंद्रों को फिर से खोला जाए.”

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी ने सुझाव दिया, ”कोरोना संक्रमण और मौत के आंकड़ों को ढंकने, छुपाने की बजाय श्मशान, क़ब्रिस्तान और नगरपालिका निकायों से परामर्श कर पारदर्शिता से लोगों को बताया जाए.” उन्होंने कहा, ”आरटीपीसीआर जांच की संख्या बढ़ाएं. सुनिश्चित करें कि कम से कम 80 फीसदी जांच आरटीपीसीआर द्वारा हों. ग्रामीण क्षेत्रों में नये जांच केंद्र खोलें और पर्याप्त जांच किटों की खरीद और प्रशिक्षित कर्मचारियों को नियुक्त किया जाए.” प्रियंका ने आग्रह किया कि आंगनबाड़ी और आशा कर्मियों की मदद से ग्रामीण इलाकों में दवाओं व उपकरणों की कोरोना किट बंटवाई जाएं, ताकि लोगों को सही समय पर शुरूआती दौर में ही इलाज व दवाई मिल सके और जीवनरक्षक दवाइयों की कालाबाजारी पर रोक लगाई जाए.

वाड्रा ने कहा, ”ऑक्सीजन के भंडारण की एक नीति तुरंत बनायी जाए ताकि आपात स्थिति के लिए हर जिला मुख्यालय पर ऑक्सीजन का रिजर्व भण्डार तैयार हो सके. हर ऑक्सीजन टैंकर को पूरे राज्यभर में एम्बुलेंस का स्टेटस दिया जाए ताकि परिवहन आसान हो सके.” प्रियंका ने यह आग्रह भी किया कि इस संकट के चलते बंदिशों का दंश झेल रहे सभी गरीबों, श्रमिकों, रेहड़ी पटरी वाले और देश के अन्य राज्यों से अपनी रोज़ी-रोटी छोड़कर घर लौटने वाले गरीबों को नकद आर्थिक मदद की जाए. उन्होंने कहा, ”प्रदेश में युद्ध स्तर पर तुरंत वैक्सीनेशन की शुरुआत हो. बुनकर, कारीगर, छोटे दुकानदार, छोटे कारोबार तबाह हो चुके हैं. उन्हें कम से कम कुछ राहत जैसे बिजली, पानी, स्थानीय टैक्स आदि में राहत दी जाए ताकि वे भी खुद को संभाल सकें.”

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