खाने के तेल के आयात पर लगने वाले सेस में सरकार कटौती का फैसला ले सकती है जिससे इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के निर्यात पर बैन के फैसले के बाद भारत में खाने के तेल के दामों में उछाल पर लगाम लगाई जा सके. खाने के तेल के दामों में पहले से ही आग लगी है और आशंका जाहिर की जा रही है कि आने वाले दिनों में इसमें और भी उछाल आ सकती है. दरअसल भारत अपने खपत का आधा खाने का तेल इंडोनेशिया से आयात करता है.
देश में खाने के तेल की नहीं है कमी
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि इंडोनेशिया द्वारा बैन लगाये जाने के बावजूद भारत में एडिबल ऑयल की पर्याप्त मात्रा में है. सोयाबीन प्रोडक्शन 2021-22 में 126.10 मिलियन टन रहा है जो कि बीते वर्ष के 112 मिलियन टन से ज्यादा है. सरसों की बुआई भी 37 फीसदी ज्यादा हुई है. मंत्रालय ने कहा कि सरकार खाने के तेल के दामों पर नजर बनाये हुए है और कीमतों पर नियत्रंण रखने के लिए सभी जरुरी कदम उठाये जायेंगे. साथ ही जमाखोरों पर नजर रखने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा स्पेशल टीम भी बनाई गई है.
खाने के तेल पर घट सकता है कृषि सेस
माना जा रहा है कि आम लोगों को महंगे तेल से राहत दिलाने के लिए क्रूड पाम ऑयल पर 5 फीसदी कृषि सेस को शून्य किया जा सकता है. महंगे खाने के तेल के ऑयल इंडस्ट्री भी परेशान है. यही वजह है कि इंडस्ट्री ने सरकार को कैनोला ऑयल पर इंपोर्ट ड्यूटी को 38.5 फीसदी से घटाकर 5.5 फीसदी करने की मांग की है. जिससे कैनोला तेल के आयात को शुरू किया जा सके. आपको बता दें रिफाइंड किया हुआ कैनोला ऑयल सनफ्लावर ऑयल के बदले में इस्तेमाल किया जा सकता है जिसकी रूस यूक्रेन युद्ध के चलते सप्लाई बाधित हुई है.
इंडोनेशिया ने बढ़ाई परेशानी
इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने के फैसले के बाद भारत आने वाले 2,90,000 टन भारत आने वाला एडिबल ऑयल इंडोनेशिया के पोर्ट और ऑयल मिल में फंस गया है. इंडोनेशिया ने क्रूड पाम ऑयल और रिफाइंड पाम ऑयल पर बैन लगा दिया है जिससे भारत में वेजिटेबल ऑयल की कमी होने के आसार है. दरअसल 28 अप्रैल 2022 से इंडोनेशिया ने पाम ऑयल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. इंडोनेशिया पाम ऑयल के सबसे बड़ा उत्पादक देशों में से एक है तो भारत दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल-खास तौर पर पाम तेल और सोया तेल के सबसे बड़े आयातक देशों में शामिल है.
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