वर्ष 2021 का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण के रूप में लगने जा रहा है. पंचांग के अनुसार 26 मई 2021 बुधवार को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. इस दिन को वैशाख पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन व्रत रखने की भी परंपरा है.
चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में शुभ खगोलीय घटना नहीं माना गया है. पौराणिक मान्यता के अनुसार चंद्रमा ग्रहण के दौरान पीड़ित हो जाता है. चंद्रमा की शक्ति एक प्रकार से क्षीण हो जाती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार राहु और केतु के कारण चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण की स्थिति बनती है. ऐसा माना जाता है कि चंद्रमा और सूर्य ने समुद्र मंथन के दौरान अमृत पान की क्रिया जब चल रही थी. स्वर्भानु नाम एक राक्षस वेश बदलकर देवताओं की पंक्ति में छिपकर बैठ गया. लेकिन चंद्रमा और सूर्य ने उसे देख लिया और इसकी सूचना भगवान विष्णु को दे दी. इसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से स्वर्भानु का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन अमृत की बूंद पी लेने के कारण वे अमर हो गए. सिर वाले हिस्से को राहु और धड़ के हिस्से को केतु कहा गया है. इस बात का प्रतिशोध लेने के कारण समय समय पर राहु-केतु चंद्रमा और सूर्य को जकड़ने का प्रयास करते हैं. जिसे ग्रहण कहा जाता है.
वृश्चिक राशि में लगेगा पहला चंद्र ग्रहण, जानें समय
ज्योतिष गणना के अनुसार 26 मई को चंद्रमा वृश्चिक राशि में गोचर कर रहा होगा. इस दिन दोपहर 2 बजकर 16 मिनट से चंद्र ग्रहण आरंभ होकर शाम करीब 7 बजकर 21 पर समाप्त होगा.
सूतक काल
चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं होगा, क्योकि इस ग्रहण को उपछाया चंद्र ग्रहण माना जा रहा है. जब ग्रहण उपछाया होता है तो इस स्थिति में सूतक काल का नियम नहीं लगता है.
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