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आज आयेंगे 2021-22 के चौथी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े, 3.5 फीसदी रह सकता है जीडीपी

आज वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही (जनवरी से मार्च ) के जीडीपी (GDP) विकास दर ( GRowth Rate) 3.5 फीसदी के करीब रहने का अनुमान है. वहीं 2021-22 वित्त वर्ष में जीडीपी 8 फीसदी से ज्यादा रहने का अनुमान है. बता दें मौजूदा वित्त वर्ष के तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर ( GDP) 5.4 फीसदी रही थी . जबकि पहली तिमाही में जीडीपी 20.1 फीसदी और दूसरी तिमाही में 8.4 फीसदी रही थी. सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा ये आंकड़ा जारी किया जाएगा.  दरअसल माना जा रहा है कि जनवरी से मार्च के बीच कोरोना महामारी के ओमीक्रोन वैरिएंट और रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कमोडिटी कीमतों में तेजी के कारण इस तिमाही में आर्थिक विकास दर कम रहने का अनुमान है.

Moody’s ने घटाया GDP अनुमान

इससे पहले  रेटिंग एजेंसी Moody’s ने 2022-23 में भारत के आर्थिक विकास दर ( India’s Economic Growth) के अनुमान ( Projection) को घटा दिया है. रेटिंग एजेंसी ने महंगाई में उछाल के चलते 2022 कैलेंडर ईयर में भारत के GDP ग्रोथ रेट को 30 बेसिस प्वाइंट घटाकर 9.1 फीसदी से घटाकर 8.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. रेटिंग एजेंसी के मुताबिक अगले वर्ष  जीडीपी 5.4 फीसदी रह सकता है.

2022 में 8.8 फीसदी रहेगा GDP ग्रोथ

Moody’s ने अपने ग्लोबल मैक्रो रिपोर्ट आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि कच्चे तेल, फूड और फर्टिलाइजर की कीमतों में उछाल के चलते भारतीय के वित्तीय स्थिति से लेकर उनके खर्च करने की क्षमता पर असर पड़ेगा. पिछले ही दिनों S&P Global Ratings ने भी  मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए जीडीपी 7.3 फीसदी रहने का अनुमान जताया था तो 2023- 24 में जीडीपी  6.5 फीसदी रहने का अनुमान है. S&P के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट 8.9 फीसदी रहा है.

महंगाई करेगी परेशान

Moody’s के मुताबिक 2022 में महंगाई दर 6.8 फीसदी रहने का अनुमान है जबकि 2023 में ये 5.2 फीसदी रह सकता है. आरबीआई के मुताबिक 2022-23 में महंगाई दर 5.7 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि आरबीआई जून में मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में नए सिरे से महंगाई दर का अनुमान जारी कर सकता है. इससे पहले ब्रोकरेज हाउस मार्गन स्टैनले ( Morgan Stanley) ने भी कहा था कि बढ़ती महंगाई ( Inflation), उपभोक्ता की तरफ से कमजोर मांग ( Weak Consumer Demand), कड़े वित्तीय हालात ( Tight Financial Conditition)  के चलते  बिजनेस सेंटीमेंट ( Business Sentiment)पर बुरा असर पड़ेगा साथ ही कैपिटल एक्सपेंडिंचर ( Capex) के रिकवरी में भी देरी होगी. कीमतों में उछाल और कमोडिटी ( Commodity) के बढ़ते दामों के चलते महंगाई बढ़ेगी ही साथ ही चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) भी बढ़कर 10 साल के उच्ताचतम स्तर 3.3 फीसदी तक जा सकता है.

बहरहाल पहले Morgan Stanley, S&P Global Ratings और Moody’s ने अगले दो वर्षों तक के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट का अनुमान घटाया जाना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि रूस – यूक्रेन युद्ध के चलते कच्चे तेल समेत, कमोडिटी और खाने के तेल के दामों में उछाल का किस हद तक भारत पर दुष्प्रभाव पड़ा है. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 8 साल के उच्चतम स्तर 7.79 फीसदी पर जा पहुंचा है तो होलसेल महंगाई दर 9 साल के उच्चतम स्तर 15.08 फीसदी पर जा पहुंचा है. महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट बढ़ाया है. लेकिन महंगाई बढ़ेगी तो कर्ज और महंगा हो सकता है जिसका असर डिमांड पर पड़ेगा.

 

 

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