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कमर तो टूटेगी, क्योंकि सरकार है आपकी 

जनादेश से चुनी हुई सरकार का हर कदम काबिले तारीफ़ हो या न हो लेकिन आपको तारीफ़ करना चाहिए,विरोध करने के लिए हम जैसे बदनाम लोग मौजूद हैं. जैसे सरकार ने मंहगाई पर लगाम लगाने में अपनी नाकामी को परोक्ष रूप से स्वीकार करते हुए अब बैंक की ‘रेपो रेट’ बढाकर आपकी कमर तोड़ने का पूरा इंतजाम कर दिया है. अब यदि आपने बैठक से किसी भी तरह का ऋण लिया है तो आपकी मासिक किश्त चाहें या न  चाहे बढ़ने वाली है, भले ही आपकी आमदनी बढ़ी हो या न बढ़ी हो.

रेपो रेट क्या होती है ये न आप समझ सकते हैं और न हम आपको समझा सकते हैं. बैंकें भी कभी अपने ग्राहक  को इस बारे में कभी नहीं समझातीं. उन्हें इसकी जरूरत ही नहीं होती. बैंक ‘अपना हाथ,जगन्नाथ’ यानि सर्वशक्तिमान होती है. जब, जो चाहे फैसला कर सकती है. उसे आपसे पूछने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि बैंक जानती है कि उसका ग्राहक खूंटे से बंधी गाय है, जिसे जब चाहे तब दुहा जा सकता है, और वो विरोध में आह भी नहीं भर सकता.

भारत की सीतारामी अर्थव्यवस्था का ही परिणाम है कि कुल चार साल में ही करीब 4 साल के अंतराल में ही  एक बार फिर से ब्याज दरें बढ़ने  का दौर लौट आया है. कई साल के उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई  ने रिजर्व बैंक को रेपो रेट बढ़ाने पर मजबूर कर दिया है. इसके बाद मई और जून में दो बार रेपो रेट को बढ़ाया जा चुका है. अब रेपो रेट 0.90 फीसदी बढ़कर 4.90 फीसदी हो चुका है. रेपो रेट बढ़ने का असर बैंकों पर भी होने लगा है और वे ब्याज दरें बढ़ाने लग गए हैं. इसका खामियाजा अंतत: उन लोगों को भुगतना है, जो होम लोन या पर्सनल लोन की किस्तें चुका रहे हैं.

अब अगर आप देशभक्त हैं तो भारतीय रिजर्ब बैंक की मजबूरी को समझिये और बढ़ी हुई मासिक किश्तें देने के लिए तैयार रहिये और यदि आप देशभक्त नहीं हैं तो सड़कों पर आकर बैंक के इस फैसले का विरोध कीजिये,जो करना आप पिछले आठ साल में भूल चुके हैं. सरकार का दावा कहिये या तर्क कि कोरोना महामारी के बाद रिजर्व बैंकने अर्थव्यवस्थाको रफ्तार देने के लिए लगातार रेपो रेट को कम किया. रेपो रेट कम होने लगा तो बैंकों ने भी ब्याज दरें कम की. इस तरह ब्याज दरें कई दशक के सबसे निचले स्तर पर आ गईं. करीब दो साल तक रेपो रेट 4 फीसदी पर स्थिर रहा और इस कारण दो साल तक लोगों को सस्ते में कर्ज मिलता रहा. हालांकि महंगाई ने सस्ते कर्ज का दौर समाप्त कर दिया.

पहली बार मई में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.40 फीसदी बढ़ाकर 4.40 फीसदी किया था. इसके बाद जून की बैठक के बाद आज बुधवार को रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 0.50 फीसदी बढ़ाया है और आने वाले महीनों में रेपो रेट और बढ़ने का अनुमान है. अनुमान क्या है उसे तो बढ़ना ही है, क्योंकि सरकार के पास अब दूसरा कोई विकल्प बचा नहीं है. सीताराम अर्थ व्यवस्था का ही नतीजा है कि एक और महंगाई बढ़ रही है, दूसरी और रूपये का लगातार अवमूलयन हो रहा है. डालर के सामने रुपया कमर झुका कर खड़ा है. शेयर मार्किट लगातार लुढ़क रहा है. सोना-चांदी के दाम गिर रहे हैं.

हर मोर्चे पर लगातार मुंह की खा रही सरकार को अगले दो साल तक आपकी कमर तोड़ने के अनेक इंतजाम अभी और करना होंगे. पिछले चार साल में दूसरी समस्याओं की तरह  रेपो रेट 0.90 फीसदी बढ़ा है. बैंक भी इसी अनुपात में लोन की ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं. गुना-भाग में दक्ष हमारे एक रिश्तेदार बता रहे हैं कि यदि आपने 20 साल के लिए 30  लाख रुपये का होम लोन लिया हुआ है और ब्याज दर 7 फीसदी है. अगर रेपो रेट की तर्ज पर आपके बैंक ने भी ब्याज को बढ़ाया तो आपकी ईएमआई  23,259 रुपये से बढ़कर 24,907 रुपये हो जाएगी. इसका मतलब हुआ कि आपकी ईएमआई 1,648 रुपये बढ़ जाएगी. यानी लोन के हर एक लाख रुपये के लिए ईएमआई 55 रुपये बढ़ेगी. बेचारे अब तक अंधभक्त थे अब उनकी रौशनी लौट आयी है और उन्हें बढ़ती हुई मंहगाई साफ़-साफ़ नजर आने लगी है.

मेरे पास तो पंद्रह साल पुरानी कार है इसलिए मुझे ख़ास फर्क पड़ने वाला नहीं है किन्तु यदि आपने 7 साल के लिए 8 लाख रुपये का  व्हीकल लोनलिया है तो यहां भी ईएमआई पर असर पड़ने वाला है. अभी कार लोन औसत ब्याज दर 10 फीसदी के आस-पास है. यह रेपो रेट की तर्ज पर बढ़ने से 10.9 फीसदी हो जाएगी. ऐसा हुआ तो अभी जो ईएमआई 13,281 रुपये प्रति महीने बन रही है, वह बढ़कर 13,656 रुपये हो जाएगी. यानी ईएमआई हर महीने 375 रुपये बढ़ेगी. पर्सनल लोनका उदाहरण लें तो 14 फीसदी ब्याज दर पर 5 साल के 5 लाख रूपये के प्रकरण में ईएमआई 11,634 रुपये से बढ़कर 11,869 रुपये हो जाएगी. यानी इस केस में मासिक किश्त यानि  ईएमआई 235 रुपये बढ़ेगी.

मजे की बात ये है की आपकी कमर पर बोझ बढ़ाने वाली सरकार ने इसे कम करने का विकल्प भी आपके ऊपर ही छोड़ दिया है. अब आप या तो बढ़ी हुई किश्तें दीजिये या फिर अपने रोंण की मियाद बढ़वाइये .ऋण की मियाद बढ़वाने से आपकी किश्त तो कम हो जाएगी लेकिन आपको अपने ऋण पर लम्बे समय तक व्याज अदा करना होगा. यानि अब खरबूजा बना दिए गए हैं आप. अब कटना आपको ही है, भले ही कोई आपको चाकू से काटे या आपको चाकू के ऊपर रख कर चलता बने.

मुद्दा तकनीकी  है इसलिए आपके पल्ले नहीं पड़ेगा लेकिन जब आपकी किश्त बढ़कर जाएगी तब आपको पता चलेगा की बैंक ‘जबर है, मार भी रही है और आपको रोने भी नहीं दे रही. देश में होम लोन लेने  वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि आज की मंहगाई में कोई भी बिना ऋण के घर खरीद ही नहीं सकता, कार खरीद नहीं सकता, घर में सोफा, ऐसी, टीवी लेन के लिए भी उसे बैंक से ऋण  लेना ही पड़ता है. ऐसे में सरकार के पास बलि के बकरों की कतार लगी ही रहती है. आप भी देख लीजिये की कहीं आपके ऊपर तो कोई ऋण नहीं है ? यदि है तो फटाफट निबटाइये या फिर खुद किश्तों में निबटिये. @राकेश अचल

 

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