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छत्तीसगढ़ में मंत्री के विरोध के बाद कोयला खनन परियोजनाओं पर रोक, सीएम बघेल ने दी ये प्रतिक्रिया

छत्तीसगढ़ सरकार ने सरगुजा क्षेत्र के हसदेव अरंड जंगल में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (आरआरवीयूएनएल) को आवंटित तीन प्रस्तावित कोयला खदान परियोजनाओं पर रोक लगा दी है. सरगुजा क्षेत्र के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. हसदेव अरंड क्षेत्र के स्थानीय लोग और पर्यावरण कार्यकर्ता कोयला खनन परियोजनाओं का विरोध कर रहे हैं. आंदोलनकारियों का कहना है कि जैव विविधता संपन्न और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हसदेव अरंड क्षेत्र में खनन न केवल आदिवासियों को विस्थापित करेगा बल्कि पर्यावरण को बड़े पैमाने पर नष्ट करेगा. साथ ही क्षेत्र में मानव-हाथी संघर्ष भी बढ़ेगा.

प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आये मंत्री टीएस सिंहदेव 

विरोध के दौरान राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने छह जून को स्थानीय लोगों के समर्थन में हसदेव अरंड क्षेत्र का दौरा किया था और कहा था कि प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गोली या लाठी चलाई जाएगी तब वह सबसे पहले इसका सामना करेंगे. अगले ही दिन उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि यदि सिंहदेव नहीं चाहते कि कोयला खदान परियोजनाओं के लिए पेड़ काटे जाएं तो एक भी शाखा नहीं काटी जाएगी.

खनन परियोजनाओं को रोके जाने की पुष्टि करते हुए सरगुजा के जिलाधिकारी संजीव झा ने बताया, ”तीन आगामी परियोजनाएं – परसा, परसा पूर्व और कांते बासन (पीईकेबी) का दूसरा चरण और कांते एक्सटेंशन कोयला खदान जो खदान शुरू होने से पहले विभिन्न चरणों में हैं को आगामी आदेश तक के लिए रोक दिया गया है.” झा ने बताया, ”मंत्री और स्थानीय विधायक सिंहदेव के प्रदर्शनकारियों के समर्थन में आने के बाद यह फैसला किया गया है. इसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि यदि मंत्री ऐसा नहीं चाहते हैं तो एक भी शाखा नहीं काटी जाएगी.” उन्होंने कहा कि स्थानीय जनप्रतिनिधि की सहमति के बिना प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा.

जिलाधिकारी ने बताया, ”पीईकेबी के दूसरे चरण परियोजना से प्रभावित ग्रामीणों के पुनर्वास के लिए आठ जून को होने वाली ग्राम सभा को रद्द कर दिया है. इसी तरह कांते एक्सटेंशन के पर्यावरण मंजूरी के लिए 13 जून को होने वाली जनसुनवाई को भी रद्द कर दिया गया है. कानूनी प्रक्रियाओं के अलावा, पीईकेबी के दूसरे चरण और परसा कोयला खदान के लिए पेड़ों की कटाई भी रोक दी गई है.

झा ने बताया कि तीनों खदानें आरआरवीयूएनएल को आवंटित की गई हैं तथा अडानी समूह एमडीओ (माइन डेवलपर और आपरेटर) के रूप में इससे जुड़ा है. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के जिन खदानों में काम चल रहा है वे खदानें काम करती रहेंगी. राज्य सरकार ने हाल ही में परसा खदान और पीईकेबी के दूसरे चरण के कोयला खनन परियोजनाओं के लिए अंतिम मंजूरी दी थी.

 

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