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आपके लिए नया या पुराना कौन सा वाला टैक्स स्लैब होगा फायदेमंद, पूरा गणित समझिए

आम बजट 2021 में आयकर स्लैब को लेकर कोई बदलाव नहीं हुआ था. 2020 के बजट में टैक्स भरने के दो विकल्प दिए गए थे. इसलिए अब भी टैक्स के दो विकल्प करदाताओं के सामने है. इसमें आयकर भरने की दो सुविधाएं हैं. दोनों में से किसी एक टैक्स स्लैब को करदाता चुन सकते हैं. ये विकल्प वित्त वर्ष 2020-21 से प्रभावी हैं. इन दो विकल्पों में से एक विकल्प पुराना/मौजूदा टैक्स स्लैब है और दूसरा विकल्प है नया टैक्स स्लैब, जो बजट 2020 में लाया गया. आइए जानते हैं नया या पुराना टैक्स स्लैब में से कौन सा टैक्स स्लैब किसके लिए फायदेमंद है.

चूंकि बजट 2021 में आयकर स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ, इसलिए 2020 बजट के तहत करदाता अपना आयकर रिटर्न भरते समय इन दोनों मे से किसी एक विकल्प को चुन सकते हैं. इन दो विकल्पों में से एक विकल्प पुराना/मौजूदा टैक्स स्लैब है और दूसरा विकल्प है नया टैक्स स्लैब, जो बजट 2020 में लाया गया.

पहले समझते हैं पहले का टैक्स स्लैब क्या है जिसका विकल्प आज भी मौजूद है. 2020 से पहले बजट में लाए गए टैक्स स्लैब के मुताबिक 2.5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. 2.5 लाख से 3 लाख रुपये तक की आय पर 5 फीसद की दर से टैक्स है. साथ ही यू/एस 87ए के तहत 12,500 रुपये की कर छूट प्राप्त है. तीन लाख से पांच लाख रुपये तक की आय पर भी 5 फीसद की दर से टैक्स है और यू/एस 87ए के तहत 12,500 रुपये की कर छूट प्राप्त है. इस तरह इस टैक्स स्लैब में पांच लाख रुपये तक की आय तक 87ए के तहत कर छूट मिलने से कोई टैक्स देनदारी नहीं बनती है. इससे आगे 5 से 7.5 लाख रुपये की आय पर 10 फीसद की दर से टैक्स लगता है. 7.5 से 10 लाख रुपये की आय पर 15 फीसद की दर से टैक्स है. 10 से 12.50 लाख रुपये की आय पर 20 फीसद की दर से टैक्स है. 12.5 लाख से 15 लाख रुपये की आय पर 25 फीसद की दर से टैक्स है. इसके बाद 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 फीसद की दर से टैक्स है.

2020 के बजट में टैक्स स्लैब में दरें कम कर दी गई, लेकिन इसमें सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली व अन्य दूसरी कर छूटों को समाप्त कर दिया गया है. नए टैक्स स्लैब को उम्र के हिसाब से बांट दिया गया. इसमें 60 साल की आयु तक के लिए एक टैक्स स्लैब, 60 साल से 80 साल की आयु के लिए एक स्लैब और 80 साल की आयु से अधिक के सुपर सीनियर सिटिजंस के लिए एक स्लैब बनाया गया है.  60 साल तक के लिए 2.5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं. 2.5 लाख से 5 लाख पर 5 फीसदी, 5 से 10 लाख पर 20 फीसदी और 10 लाख से अधिक 30 फीसदी टैक्स है. इस टैक्स स्लैब में 2.5 से 5 लाख रुपये की आय पर 87ए के तहत टैक्स छूट है.  60 साल से 80 साल के बीच 3 लाख तक टैक्स फ्री. उसके बाद 5 लाख तक 5 फीसदी और 10 लाख पर 20 फीसदी टैक्स है. इसमें 87ए के तहत टैक्स छूट भी प्राप्त है. 80 से अधिक उम्र पर 5 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं है. 5-10 लाख की आय पर 20 फीसदी और इससे अधिक पर 30 फीसदी है.

पिछले बजट में लाए गए नए टैक्स स्लैब में दरों के अलावा बड़ा फर्क यह है कि इसमें विभिन्न तरह की छूटों को खत्म कर दिया गया है, जबकि पुराने/मौजूदा टैक्स स्लैब में विभिन्न तरह की टैक्स छूट का लाभ मिल रहा है. यानी पुराने टैक्स के तहत 2.5 लाख से अधिक की आय पर 5 प्रतिशत का टैक्स है लेकिन कई तरह की छूट के साथ यह लगभग निल हो जाता है. नए टैक्स स्लैब में 5 लाख तक की आय तक कोई टैक्स नहीं है लेकिन इसमें पुरानी कई छूटों को खत्म कर दिया गया है.

पुराने/मौजूदा आयकर स्लैब दोनों में सेक्शन 80 सी के तहत निर्दिष्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करके अधिकतम 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिल सकता है. इस तरह कर छूट मिलने से पुराने/मौजूदा आयकर स्लैब में भी पांच लाख तक की आय पर कोई टैक्स देनदारी नहीं बनेगी.

नई कर व्यवस्था में रियायती दरों का विकल्प चुनने वाले करदाता को मौजूदा/पुरानी कर व्यवस्था में उपलब्ध कुछ छूट और कटौती को छोड़ना होगा. ऐसी 70 कटौतियां और छूटें हैं, जिनकी अनुमति नए टैक्स स्लैब में नहीं है.

नई टैक्स व्यवस्था में सबसे अधिक टैक्स 15 लाख सालाना और उससे अधिक आमदनी पर लगाया जाता है. यह व्यवस्था उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो कम छूट और डिडक्शन क्लेम करते हैं. जो लोग ऊंचे टैक्स स्लैब में आते हैं और जिन्होंने टैक्स बचाने के लिए जरूरी निवेश किया हुआ है, उन्हें इस व्यवस्था से बहुत लाभ नहीं होगा. जो लोग नए सिस्टम की दरों को अपनाना चाहते हैं, उन्हें स्टैंडर्ड डिडक्शन, 80 सी, 80 डी, हाउसिंग लोन, एनपीएस जैसी तमाम छूटों को छोड़ना होगा. अगर कोई नए सिस्टम अपनाता है तो उसे विकल्प चुनना होगा. अगर ऐसा नहीं करते तो उसका टैक्स स्लैब पुराने सिस्टम से ही आकलन होता रहेगा.

जो लोग 30 से कम उम्र के हैं, उनके लिए नया सिस्टम ही ठीक रहेगा, लेकिन ज्यादा उम्र के लोग पुराने सिस्टम में ही बने रहें तो बेहतर होगा. 10 लाख से कम कमाने वाले लोगों के लिए नया सिस्टम बेहतर हो सकता है. इससे ज्यादा इनकम वालों के लिए पुराने सिस्टम में ही बने रहना ठीक होगा. अगर होम लोन चल रहा है तो होम लोन का रीपेमेंट करना सही रहेगा. ऐसे में डिडक्शन का फायदा मिलेगा. ऐसे लोगों को पुराने सिस्टम पर ही बने रहना चाहिए. जो लोग बच्चों की स्कूल फीस भरते हैं, उनके लिए पुराने सिस्टम में ही बने रहना ठीक होगा क्योंकि फीस पर टैक्स छूट का फायदा उठाया सकता है.

 

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