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हड़ताल से मंत्रालय ठप्प, सरकार की बेरुखी से प्रदेश की प्रशासनिक व्यवस्था चरमराई

रायपुर।हर ज़ोर ज़ुल्म के टक्कर में-संघर्ष हमारा नारा है, काम बंद, मंत्रालय बंद, बेसुध सरकार होश में आओ, मुख्यमंत्रीजी होश में आओ, महंगाई भत्ता देना होगा, एचआरए भी देना होगा। इस तरह के नारों से आज पूरा मंत्रालय परिसर दिन भर गुंजायमान रहा। मंत्रालयीन कर्मचारियों ने नारेबाजी की, धरना दिया, संघर्ष का आह्वान किया, वो सब कुछ हुआ जो हड़ताल में होता है। नहीं हुआ तो बस शासन का काम नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के साथ मंत्रालय संघ के आह्वान पर लगभग शतप्रतिशत कर्मचारी अधिकारियों ने मंत्रालय में काम का बहिष्कार कर हड़ताल कर दिया। लगा जैसे इस हड़ताल की पृष्ठभूमि मानो सरकार ने ही तैयार की हो क्योंकि कल ही छत्तीसगढ़ सरकार की केबिनेट ने कर्मचारियों का 5 प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाया था जबकि कर्मचारी 9 प्रतिशत लंबित महंगाई भत्ता देय तिथि से, गृह भाड़ा भत्ता सहित अन्य 5 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन की चेतावनी दे चुके थे। अधूरे भत्ते की घोषणा से कर्मचारी संगठन और भड़क उठे और शाम तक लगभग सभी संगठनों ने आज की हड़ताल जारी रहने का ऐलान करते हुए सरकार के समक्ष ताल ठोक दिया।

आज के इस हड़ताल में मंत्रालय के संयुक्त सचिव, उप सचिव, अवर सचिव, अनुभाग अधिकारी, सहायक अनुभाग अधिकारी, वरिष्ठ सचिवालय सहायक, कनिष्ठ सचिवालय सहायक और चतुर्थ श्रेणी के अधिकारी कर्मचारियों ने जोरशोर से भाग लिया। मंत्रालय संघ के समर्थन में स्टेट गैरेज के वाहन चालक संघ ने भी हड़ताल में शामिल होने का निर्णय ले लिया जिससे समस्त अधिकारियों के गाड़ी के पहिए भी थम गए।
मंत्रालय के साथ ही संचालनालय सहित नवा रायपुर के लगभग सभी कार्यालय, प्रदेश की शालाएं हड़ताल के कारण ठप्प रहे।
आज मंत्रालय का यह एक दिवसीय बंद कई मायनों में ऐतिहासिक और अभूतपूर्व था क्योंकि अमूमन मंत्रालय कर्मचारी सरकार के कदम के साथ नजर आते हैं, किंतु विधानसभा सत्र की अधिसूचना जारी होने के दौरान तथा रायपुर में देश के प्रधानमंत्री के आगमन के दिन मंत्रालय हड़ताल के कारण बंद रहा, यह सोचनीय है।

मंत्रालय संघ के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह राजपूत ने कहा कि सरकार की इस निरंकुशता और कर्मचारियों को नज़र अंदाज़ करने की नीति के कारण ऐसा पहली बार हुआ की विधानसभा का कार्य बंद कर मंत्रालयकर्मी शतप्रतिशत हड़ताल में रहे। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार ने मांगे नहीं मानी तो और अधिकारियों के बनाए झूठे जाल में फंसी रही तो पुरानी सरकार की तरह ही इनका भी हाल होगा। इसके बाद 1 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल को सरकार संगठनों से वार्ता कर टाले।

हड़ताल में संघ के उपाध्यक्ष हीराचंद बघेल, सचिव कांति सूर्यवंशी, संयुक्त सचिव मनोज साहू, कोषाध्यक्ष पवन साह, संरक्षक तीरथ लाल साहू एवम् तीरथ लाल सेन ने भी अपने संबोधन में सरकार को चेतावनी दी और मांगों को पूरा करने को कहा। उक्त हड़ताल में कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के संयोजक कमल वर्मा ने भी सभा को संबोधित करते हुए मंत्रालय के इस हड़ताल को ऐतिहासिक बताया। संचालनालय संघ के अध्यक्ष संतोष वर्मा, मंत्रालय के देवलाल भारती द्वारा भी कर्मचारी अधिकारियों का हौसला बढ़ाया गया।

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