नई दिल्ली: देश में कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं, पिछले 24 घंटे में देश में सिर्फ 32, 906 नए कोरोना केस आए. यह दूसरी लहर में सबसे कम हैं. एक तरफ कोरोना के केस कम हो रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ टीकाकरण में तेजी से भी लोगों में राहत है. लेकिन इस सबके बीच जो बात चिंता वाली है, वो है कोरोना का बदलता स्वरूप जिसे वेरिएंट करते हैं.
इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चिंता जाहिर कर चुके हैं. उन्होंने कोरोना को रूप बदलने वाला बहरूपिया बताया है और इससे पहले से अधिक सावधान रहने की सलाह दी है. कोरोना के इस बदलते स्वरूप को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सावल हैं. आज हम आपको इससे जुड़े हर सवाल का जवाब देंगे….
वेरिएंट्स क्या होते हैं?
कोरोना वायरस अपना रूप बदलने वाला वायरस है. यह जब एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जाता है तो कई बार अपने रूप में परिवर्तन करता है. इस परिवर्तन के दौरान वायरस या तो पहले से अधिक खतरनाक हो जाता है या फिर पहले से कमजोर पड़ जाता है. इसे आसान भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि वायरस जब शरीर के अंदर अपनी फोटो कॉपी बनाता है तो कई बार एक फोटोकॉपी पहली वाली से थोड़ी अलग हो जाती है. इसे इसका नया वेरिएंट कहा जाता है. वेरिएंट्स को दो कैटेगरी में बांटा गया है, पहला है वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट और दूसरा है वेरिएंट ऑफ कंसर्न. जानकारी के मुताबिक जानकारी के मुताबिक WHO ने अभी तक 12 वेरिएंट्स को अलग अलग कैटेगरी में रखा है.
क्या होता है वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट (VOI)
आपको जानकर हैरानी होगी कि पूरी दुनिया में कोरोना वायरस अभी तक करीब 24 हजार से ज्यादा बार अपने रूप बदल चुका है. लेकिन ज्यादातर मामलों में इसके प्रभाव उतना गंभीर नहीं रहा या फिर बिल्कुल निष्क्रीय रहा. लेकिन जब कोई वेरिएंट म्यूटेशन के बाद अपनी संरचना और स्वभाव में बदलाव दिखाता है तो उसे अलग वेरिएंट माना जाता है. शुरुआत में किसी भी वेरिएंट को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की कैटेगरी में ही रखा जाता है. इस पर वैज्ञानिक रिसर्च करते हैं, डाटा जुटाते हैं और पता लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या वायरस का यह वेरिएंट खतरनाक है या नहीं.
क्या होता है वेरिएंट ऑफ कंसर्न (VOC)
WHO के मुताबिक वेरिएंट ऑफ कंसर्न वायरस का ऐसा प्रकार होता है जो बेहद तेजी से फैलता है, मृत्यु दर को बढ़ा देता है, वैक्सीन के प्रभाव को कम देता या फिर बीमारी के खिलाफ पहले मौजूद मेडिकल इंतजामों को फेल कर देता है. इस प्रकार के वेरिएंट परनजर रखना बेहद जरूरी है कि यह कब अपने स्वभाव और संरचना में बदलाव कर रहा है.
अभी तक चार वेरिएंट्स को वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में रखा गया है. इनमें अल्फा, बीटा, गामा और डेल्टा वेरिएंट्स शामिल हैं. वहीं इटा, ओटा, कप्पा और लैम्बडा को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट की कैटेगरी में रखा गया है.
वेरिएंट ऑफ कंसर्न कैटेरगी के वेरिएंट्स को जानिए
अल्फा वेरिएंट – यह सबसे पहले सितंबर 2020 में दक्षिणी इंग्लैंड में मिला था, जिसे बाद में दिसंबर 2020 में वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में रखा गया. वैज्ञानिकों ने इसे B.1.1.7 नाम दिया. इस वेरिएंट का शिकार मरीज 28 दिन के भीतर गंभीर रूप से बीमार होने के साथ ही, आईसीयू में पहुंचने के बादद दम तोड़ सकता है. शुरुआत में इसे खतरनाक माना गया था लेकिन तेजी से हुए वैक्सिनेशन के बाद यह काबू में आ गया.
बीटा वेरिएंट – बीटा वेरिएंट मई 2020 में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में मिला. दिसंबर 2020 में इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में शामिल किया गया. जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के मुताबिक इसमें कोरोना के ठीक हो चुके व्यक्तियों को दोबारा संक्रमित करने की क्षमता थी. इसके साथ ही कुछ वैक्सीन के कम असरदार होने की बात भी सामने आयी. इससे प्रभाविक व्यक्ति में वायरल लोड ज्यादा होता है. इसे वैज्ञानिकों ने (B.1.351), (B.1.351.2), (B.1.351.3) नाम दिए.
गामा वेरिएंट – गामा वेरिएंट सबसे पहले 2020 में ब्राजील में मिला. जनवरी 2021 में इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में शामिल किया गया. यह पहले के वेरिएंट्स के मुकाबले और भी ज्यादा तेजी से फैलने के वाला वायरस है. इसके साथ ही यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से भी बच जाता है.
डेल्टा वेरिएंट – डेल्टा वेरिएंट दिसंबर 2020 में भारत में मिला, इसे वेरिएंट ऑफ कंसर्न की कैटेरगी में शामिल किया गया है. इस वेरिएंट का वैज्ञानिक नाम B.1.617.2 है. ये अबतक का सबसे ज्यादा प्रभावशाली और संक्रामक वेरिएंट माना गया है. इस वेरिएंट की चपेट में आए लोगों को सुनने में दिक्कत होती है, गैस की बीमारी बनती है और शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं.
इस वेरिएंट के सामने आने के बाद से दुनिया के कई देश खौफ में हैं. इस नए वेरिएंट ने भारत के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, रूस, ब्राजील और सिंगापुर समेत दुनियाभर के कई देशों में तबाही मचाई हुई है. इसी वजह से ब्रिटेन, जर्मनी, रूस समेत कई देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों ने चेतावनी जारी कर दी है.
डेल्टा प्लस – यह नया स्वरूप डेल्टा प्लस (एवाई.1) भारत में सबसे पहले सामने आए डेल्टा (B.1.617.2) में म्यूटेशन से बना है. इसके अलावा K41N नाम का म्यूटेशन जो दक्षिण अफ्रीका में बीटा वेरिएंट में पाया गया था उससे भी इसके लक्षण मिलते हैं. इसलिए यह ज्यादा खतरनाक है. कुछ विषाणु वैज्ञानिकों ने आशंका जताई है कि यह वेरिएंट अल्फा की तुलना में 35-60 फीसदी अधिक संक्रामक है.
दिसंबर 2020 में 1 जिले में डेल्टा था, मार्च 21 में 52 जिलो में. 174 जिलो में डेल्टा वेरिएंट मिला था. 174 जिलों में 35 राज्यो में VOC मिलें हैं. मई 2021 में 10.31% से जून 2021 में 51% VOC में बढ़ोतरी दर्ज हुई है. डेल्टा से जुड़े वेरिएंट को VOC ही माना जायेगा. 12 दिनों में 50 केस पाए गए हैं.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भारतीय सार्स कोव-2 जनोमिक्स कंसोर्टियम के हवाले से डेल्टा प्लस को वर्तमान में चिंताजनक बताया है. दरअसल, वायरस के किसी वेरिएंट तब चिंताजनक बताया जाता है जब वह अधिक संक्रामक हो और गंभीर रूप से बीमार कर सकता है. डब्ल्यूएचओ भी इस पर नजर बनाए हुए है.
वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेरगी के वेरिएंट्स को जानिए
कप्पा वेरिएंट – कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वेरिएंट के बाद कप्पा वेरिएंट से भय का माहौल बन गया है. हालांकि सरकार ने कप्पा वेरिएंट को डेल्टा वेरिएंट की तरह वेरिएंट ऑफ कॉन्सर्न ना मानकर वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट ही माना है. लेकिन जब स्वास्थ्य मंत्रालय की पीसी में इस वायरस के बारे में पूछा गया तो, नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने साफ किया कि कप्पा कोई नया वेरिएंट नहीं है. फिलहाल सरकार मान रही है कि कप्पा वेरिएंट के मामले ज्यादा नहीं हैं लेकिन कोरोना की अनुमानित तीसरी लहर में अलग-अलग वेरिएंट ने चुनौती बढ़ा दी है.
लैम्ब्डा वेरिएंट – इस वेरिएंट की उत्पत्ति दक्षिण अमेरिका के पेरू में मानी जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी WHO ने अपने वीकली रिपोर्ट में लैम्ब्डा वेरिएंट के बारे में जानकारी दी है. कोरोना वायरस का लैम्ब्डा वेरिएंट (lambda variant) एक नया खतरा बनकर उभर रहा है. मलेशिया के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार यह अबतक ब्रिटेन सहित 30 देशों में फैल चुका है. यूके में अब तक इसके छह मामलों की पहचान की गई है और इन सभी ने विदेश यात्रा की है. यह वेरिएंट सबसे पहले पेरू में सामने आया था.
इटा – दिसंबर 2020 में एक साथ कई देशों में इसके मरीज देखे गए. इसे मार्च 2021 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेरगी में शामिल किया गया.
आइओटा – नवंबर 2020 में सबसे पहले इसे अमेरिका में देखा गया. इसके बाद WHO ने इसे मार्च 2021 को वेरिएंट ऑफ इंट्रेस्ट कैटेरगी में शामिल किया.
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