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सरकार ने वापस लिया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, JPC की रिपोर्ट के बाद लिया बड़ा फैसला

सरकार ने बुधवार को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को वापस ले लिया। केंद्रीय सूचना और तकनीकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस बिल के वापस लिए जाने की जानकारी दी। संसद की संयुक्त समिति (JPC) ने इस बिल की डिटेल में छानबीन की और 81 संशोधन और 12 सिफारिशों का प्रस्ताव दिया। ये सभी प्रस्ताव डिजिटल इकोसिस्टम के लीगल फ्रेमवर्क के लिए दिए गए। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति यानी कि जेपीसी की रिपोर्ट के अनुसार, एक विस्तृत कानूनी फ्रेमवर्क पर काम जारी है। इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ‘व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019’ को वापस लेने और एक नए विधेयक, जो विस्तृत कानूनी फ्रेमवर्क के अनुरूप हों, को लाए जाने का प्रस्ताव है।

देश में डेटा सुरक्षा कानून कई सालों से विचाराधीन है, वहीं मौजूदा बिल ने बड़ी टेक कंपनियों को चिंता में डाल दिया था। कई सिविल सोसायटी समूहों ने भी बिल में कुछ प्रावधानों की आलोचना की थी। इसमें एक निगरानी की अनुमति भी है जिस पर लंबे दिनों से विरोध चल रहा है। अब सरकार ने इस बिल को वापस ले लिया है तो नए सिरे से विधेयक आने की संभावना है। नए बिल में जेपीसी के प्रस्तावों को शामिल किया जा सकता है।

सरकार का कहना है कि जेपीसी की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए एक नए कानूनी ढांचे पर काम हो रहा है। जेपीसी की रिपोर्ट को देखते हुए एक नया विधेयक पेश करने का प्रस्ताव है जो हर तरह के कानूनी ढांचे में फिट बैठता हो। यह बिल पहले लोकसभा में पेश हो चुका है और 12 दिसंबर 2019 को इस विधेयक को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त समिति के पास जांच और सिफारिशों के लिए भेजा गया था। इसके बाद जेपीसी ने 81 संशोधन और 12 सिफारिशों का प्रस्ताव दिया है. 16 दिसंबर, 2021 को संसद के दोनों सदनों के सामने संशोधित विधेयक के साथ एक डिटेल रिपोर्ट पेश की गई थी।

 

विपक्ष का आरोप और विरोध

जब से यह बिल पेश किया गया था, तब से विपक्षी दलों के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा था। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने संसद में इस बिल के खिलाफ सबसे ज्यादा आवाज उठाई। इसके बाद बिल को सरकार ने जेपीसी के पास भेज दिया गया। विपक्ष का कहना था कि डेटा गोपनीयता कानून लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन करता है, लिहाजा इस कानून को पारित करने का कोई औचित्य नहीं। विपक्ष का यह भी आरोप था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर सरकार को लोगों के पर्सनल डेटा तक पहुंच बनाने का बड़ा अधिकार मिलता है जो कि ठीक नहीं है।

 

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