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टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने के लिए लोकल प्रोडक्शन बढ़ाने की जरूरत, कंपनियों को बल्क प्री-ऑर्डर होगा समाधान

नई दिल्लीः कोरोना वायरस से लड़ने के लिए देशभर में टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है. हाल ही में जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी गई. अब अगला कदम इसके घरेलू उत्पादन को गति देना है. बायोलॉजिकल ई की अंडर-ट्रायल कॉर्बेवैक्स की 30 करोड़ खुराक रिजर्व करने के साथ ही केंद्र सरकार को लोकल प्रोडक्शन में तेजी लाने के लिए प्री-ऑर्डर पर विचार करना चाहिए. बायोलॉजिकल ई जॉनसन एंड जॉनसन का इंडियन पार्टनर भी है.

सभी वयस्कों के पूर्ण टीकाकरण के 31 दिसंबर के कठिन लक्ष्य को पूरा करने में सिंगल डोज अधिक सहायक होगी. दिसंबर के लक्ष्य को पूरा करने के लिए डेली टीकाकरण की मांग एक करोड़ के मार्क की ओर बढ़ रही है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि अन्य टीके आपातकालीन उपयोग की मंजूरी में किसी तरह की देरी न हो. इनमें जायडस कैडिला का तीन डोज वाला वैक्सीन, सीरम इंस्टीट्यूट की ओर से Novavax का भारत में उत्पादित कोवोवैक्स वैक्सीन और कॉर्बेवैक्स शामिल हैं.

वैक्सीन का आयात करने में डीआरएल को करना पड़ा स्ट्रगल

मीडिया रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि अक्टूबर तक ये टीके आ सकते हैं. हालांकि जॉनसन एंड जॉनसन और मॉडर्ना की तरह कोवोवैक्स वैक्सीन और कॉर्बेवैक्स अमेरिका, ब्रिटेन या यूरोपीय संघ के टीकाकरण कार्यक्रमों का हिस्सा नहीं हैं.

EUA के बावजूद विदेशी टीकों के आयात के भारत के प्रयासों के ज्यादा अच्छे परिणाम नहीं मिले हैं. पहले 250 मिलियन स्पुतनिक वी खुराक के लिए एक विशेष लाइसेंस के बावजूद डीआरएल ने 30 लाख सेकंड डोज के लिए एक आयात ऑर्डर को पूरा करने के लिए स्ट्रगल किया है,  दो खुराकों के बीच 21 दिनों के अंतराल को देखते हुए डीआरएल ने पहले शॉट के लिए अभियान शुरू करने से पहले दूसरी खुराक की पूरी डिलीवरी का इंतजार करने का फैसला किया था.

जुलाई के मध्य में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की 66 करोड़ डोज के भारत सरकार के बल्क ऑर्डर ने ऐसी स्थितियों को ध्यान में रखा है. सीरम इंस्टीट्यूट के पुणे परिसर में लगी आग और स्वदेशी कोवैक्सीन का निरंतर उत्पादन में स्ट्रगल वार्न करते हैं कि अभी भी बहुत कुछ गलत हो सकता है.

वैक्सीन प्रोडक्शन बढ़ाने की है जरूरत

देश में 28 करोड़ से अधिक आंशिक रूप से टीकाकरण वाले व्यक्तियों को दूसरे शॉट की भी आवश्यकता होगी. ऐसे में उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं होने से बड़ी आबादी को डोज देने की प्रोसस को धीमा कर सकता है. एक अच्छी बात यह है कि पिछले सप्ताह डेली वैक्सीनेशन का औसत 50 लाख रहा, जो इससे पहले के हफ्ते में 40 लाख था. ऐसे में नए टीकों के जल्द बल्क प्री-ऑर्डर देने की आवश्यकता है.

 

 

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