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वर्ल्ड एड्स डे 2020 : जानें एड्स और एचआईवी में क्या है फर्क और क्या हैं इससे बचाव के तरीके

नई दिल्लीः विश्वभर में एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 01 दिसंबर को वर्ल्ड एड्स डे (World AIDS Day)) मनाया जाता है. एड्स एक लाइलाज बीमारी है. इसका अभी तक कोई इलाज नहीं मिला है. बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है. यह बीमारी, ह्यूमन इम्यूनो डेफिशियेंसी (HIV) वायरस के संक्रमण से होती है.

एचआईवी एक वायरस है. यह वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर अटैक करके टी सेल्स को खत्म करता है. इससे व्यक्ति का शरीर नॉर्मल बीमारियों से भी लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता है. समय पर एचआईवी का इलाज नहीं होने से इसका इंफेक्शन बढ़ता है और एड्स का कारण बन जाता है.

एचआईवी एक वायरस है. यह सीधे इम्यून सिस्टम की टी सेल्स पर अटैक करता है जबकि एड्स ( Acquired Immunodeficiency Syndrome) एक मेडिकल सिंड्रोम है. एचआईवी इंफेक्शन होने के बाद सिंड्रोम बनता है. एचआईवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, लेकिन एड्स नहीं फैलता है.

एचआईवी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कई तरह से फैल सकता है. यह संक्रमित खून चढ़ाने, सं‍क्रमित सुई के इस्तेमाल और असुरक्षित यौन संबंध बनाने से हो सकता है. इसके साथ ही गर्भस्थ महिला से उसके होने वाले बच्चों और शिशु को स्तनपान से भी यह इंफेक्शन हो सकता है.

एचआईवी से बचने के लिये जागरूकता जरूरी है. नई सीरिंज से ही इंजेक्शन लगवाएं, सुरक्षित यौन संबंध बनाएं. खून चढ़वाने से पहले संक्रमण की जांच करा लें. इसके साथ ही हमेशा नई ब्लेड से ही शेविंग कराएं.

एचआईवी फैलने को लेकर लोगों में कई गलत धाराणाएं हैं. मच्छर के काटने ,एचआईवी संक्रमित से हाथ मिलाने, साथ खाना खाने, बात करने और एक शौचालय के कई लोगों के इस्तेमाल करने से एचआईवी नहीं फैलता हैं.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम में काम करने वाले थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू ने विश्व एड्स दिवस की कल्पना 1987 में की थी. इसके बाद वर्ष 1988 में 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाना शुरू किया गया.  इसके साथ ही हर साल ‘एड्स डे’ की थीम रखी जाती है. 2020 के ‘एड्स डे’ की थीम ‘एचआईवी/एड्स महामारी समाप्त करना: लचीलापन और प्रभाव’ रखी गई है.

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