रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने भारत के छात्रों के भविष्य पर सवाल खड़ा कर दिया है। यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारत के सैकड़ों छात्रों पढ़ाई अधूरी छोड़ कर वापस आना पड़ा है। अब इन छात्रों की आगे को पढ़ाई के लिए छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को पत्र लिखा है और इस मामले में जल्द नीतिगत निर्णय लेने का आग्रह किया है।
स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को लिखा पत्र
दरअसल यूक्रेन से लौटे छत्तीसगढ़ के 207 मेडिकल विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर देश लौटना पड़ा है। इन छात्रों को देश के मेडिकल कॉलेज में आगे की पढ़ाई करने का अवसर देने के लिए रायपुर के पैरेन्ट्स एंड स्टूडेन्ट एसोशिएशन ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से आगे की पढ़ाई सुनिश्चित करने की मांग की है। इसके बाद 9 अगस्त को स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को पत्र लिखकर यूक्रेन से वापस आए मेडिकल छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पूरी कराने के लिए जल्दी नीतिगत निर्णय लेने का अनुरोध किया है।
छत्तीसगढ़ के 207 छात्रों की पढ़ाई प्रभावित
स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने अपने पत्र में कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न हुई गंभीर परिस्थितियों के कारण यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय मूल के सभी छात्र-छात्राओं को भारत सरकार द्वारा सकुशल वापस लाया गया है। बड़ी संख्या में देश वापस आए छत्तीसगढ़ के साथ कई राज्यों के मेडिकल छात्र-छात्राओं के भविष्य और आगे की शिक्षा को लेकर मैंने आप से पहले भी पत्र के माध्यम से तत्काल समुचित पहल का आग्रह किया है।
सिंहदेव ने छत्तीसगढ़ यूक्रेन मेडिकल पैरेन्ट्स एंड स्टूडेन्ट एसोशिएशन, रायपुर का पत्र भी संलग्न कर केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को भेजा है, जिसमें यूक्रेन से लौटे 207 छात्र-छात्राओं और उनके पालकों ने भविष्य को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है. मंत्री सिंहदेव ने उम्मीद जताई है कि केंद्र सरकार भी छात्र-छात्राओं के भविष्य को लेकर समुचित कार्ययोजना के अंतिम चरण में होगी. उन्होंने इस संवेदनशील विषय पर शीघ्र नीतिगत निर्णय लेने का आग्रह किया है।
देश के मेडिकल कालेज में एडमिशन देने का आग्रह
स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने केंद्रीय स्वाथ्य मंत्री से अनुरोध किया है कि प्रभावित सभी छात्रों के अध्ययनरत समयावधि को आधार मानकर देश के मेडिकल कॉलेजों में अतिरिक्त सीटें आबंटित कर उन्हें समायोजित किया जाए। जिससे प्रभावित छात्र-छात्राओं का भविष्य सुरक्षित और सुनिश्चित हो सके। इससे देश में डॉक्टरों की कमी भी दूर होगी और चिकित्स देश के मेडिकल कालेज में एडमिशन देने का आग्रह कीय सेवाओं का लाभ जनमानस को प्राप्त हो सकेगा।
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