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त्योहार में भी कुम्हारों के चेहरों पर छाई है उदासी, पहले कोरोना फिर बारिश से हुआ नुकसान कमाई पर पड़ रहा भारी

रायपुर: कुम्हारों के लिए पोला एक ऐसा त्योहार हैजब उन्हें अपने मेहनत की कमाई का पैसा मिलता हैलेकिन इस बार पोला त्योहार पर कुम्हारों के चेहरों पर उदासी छाई हुई हैइसके पीछे पहले कोरोना और फिर बारिश की वजह से हुआ नुकसान और ऊपर से नहीं के बराबर बिक्री कमाई पर असर डाल रही है.

कुम्हार छोटू चक्रधारी बताते हैं कि पहले की तुलना में बिक्री ना के बराबर हैसुबह से बैठे हुए हैंलेकिन एक रुपए की बिक्री भी नहीं हुई हैइसी त्योहार में हमारी आमदनी होती हैलेकिन इस बार किसी भी तरह की बिक्री नहीं हो रही हैत्योहार के बचे दो दिनों में शायद ही कुछ होगा और बाकी त्योहारों की तरह पोला भी निकल जाएगा लगता है.

देविका चक्रधारी ने बताया कि पोला की वजह से हमने रात भर जाग कर मिट्टी के बर्तन बनाये हैं कि कुछ तो आमदनी होलेकिन बारिश की वजह से कोई सामान लेने ही नहीं आ रहा हैऊपर से कोरोना भी भारी पड़ रही हैइस दौर में चीजें महंगी होती जा रही हैऔर ग्राहक हमसे सस्ते दामों पर मिट्टी के बर्तनों की मांग करते हैंहमारा गुजारा इन्हीं त्योहारों के माध्यम से होता हैलेकिन इस बार लगता है कि हमारी तकदीर में भूखे मरना ही लिखा है.

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