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राज्यों के लॉकडाउन से औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट, घट गई पेट्रोल-डीजल की खपत

लॉकडाउन की वजह से औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट ने पेट्रोल-डीजल की खपत कम कर दी थी. पिछले दिनों रिकवरी बढ़ कर प्री-कोविड के लेवल पर पहुंच गई थी लेकिन जुलाई में अब इसमें फिर गिरावट दर्ज की गई है. राज्यों में बार-बार लॉकडाउन लगने, औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट और निजी वाहनों की आवाजाही में कमी की वजह से पेट्रोल और डीजल की खपत में कमी आई है.

डीजल की खपत में बड़ी गिरावट 

पेट्रोल प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के मुताबिक पिछले साल जुलाई के मुकाबले इस साल जुलाई में डीजल की खपत में 19.3 फीसदी की कमी आई है और यह 55 लाख टन पर आ गई  है. पिछले साल जुलाई में डीजल की खपत 68 लाख टन थी . जुलाई में डीजल की खपत जून, 2020 की तुलना में 12.7 फीसदी घट गई. डीजल खपत में रिकवरी की गति काफी कम हो गई है.इसी तरह पेट्रोल की खपत में ही भी गिरावट देखने को मिल रही है.

जुलाई में पेट्रोल की खपत 23 लाख टन थी. जून, 2020 भी पेट्रोल की खपत 23 लाख टन थी. लेकिन जुलाई 2019 की तुलना में पेट्रोल की खपत कम हो गई. जुलाई, 2019 में पेट्रोल की खपत 25 लाख टन थी. कोविड-19 के दौरान अप्रैल में डीजल की खपत घट कर 33 लाख टन रह गई थी. अप्रैल में तो पेट्रोल की खपत मात्र दस लाख टन रह गई थी.

राज्यों के लॉकडाउन से औद्योगिक गतिविधियां धीमी 

पेट्रोल प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की रिलीज में कहा गया है कि राज्यों की ओर से सप्ताहंत में लगाए गए लॉकडाउन और प्रशासन के प्रतिबंध की वजह से हाई स्पीड डीजल की खपत में गिरावट आई है. मांग में कमी की वजह से उद्योग अपनी क्षमता के 70-80 फीसदी पर ही काम कर रहे हैं. शहरी इलाकों में पेट्रोल की कीमत खपत कम रही है. जबकि ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी में सिंचाई के लिए डीजल पंप सेटों की जरूरत होती है.

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