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रोका छेका से आवारा पशुओं को मिल रहा गांव में ही आश्रय, तालदेवरी के ग्रामीणों ने की पहल

० प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे जागरुकता अभियान का दिख रहा गावों में असर

जांजगीर चांपा। रोका छेका की पारंपरिक व्यवस्था और ज़िला प्रशासन की पहल से प्रभावित होकर ताल देवरी के ग्रामीणों ने जागरूकता के साथ आवारा पशुओं के आश्रय की व्यवस्था कर ली। जिससे एक ओर किसानों की फसलों को पशुओं के चरने से बचाया जा रहा हैं तो दूसरी ओर सड़क पर बैठे रहने और विचरण करने से होने वाली दुर्घटनाओं से भी बचाव हो रहा है।

ज़िला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल ने बताया कि कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देश पर सतत रूप रोका छेका अभियान चलाया जा रहा है। इसी तारतम्य में जनपद पंचायत बम्हनीडीह की ग्राम पंचायत तालदेवरी के ग्रामीणों, किसानों, पशुपालको के द्वारा ग्राम सभा में बैठक करते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि खरीफ की फसल को मवेशियों से बचने के उपाय किए जाएंगे। जनपद पंचायत सीईओ श्री कुबेर उरेती से मिली जानकारी के अनुसार प्रशासन की पहल का अनुसरण करते हुए चलाए जा रहे रोका छेका की परंपरा के माध्यम से आवारा मवेशियों एवं गांव के पशुपालकों को सम्मिलित करते हुए कार्य किया जा रहा है।

ग्राम सभा के माध्यम से ग्रामीणों ने आवारा मवेशियों के लिए नदी किनारे स्थित खाली जगह में बांस लकड़ी, तिरपाल के माध्यम से पशु आश्रय बनाने का निर्णय लिया और गांव में घूमने वाले आवारा मवेशियों को उस स्थान पर चरवाहे की व्यवस्था करते हुए सुरक्षित तरीके से ले जाया जा रहा है। इन आवारा पशुओं के लिए ग्रामीणों की सहभागिता से चारा पानी एवं अन्य व्यवस्थाएं की गई है। ग्रामीणों की इस अनुकरणीय पहल की सब तरफ तारीफ हो रही हैं और दूसरे गांव के भी ग्रामीण, किसान, पशुपालक इस दिशा में कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं। पशुपालन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ताल देवरी में नियमित रूप से पशुओं की जांच की जा रही है। ताकि किसी भी तरह के रोग से मवेशियों को बचाया जा सके। पशुओं के लिए वैक्सीन लगाई जा रही है। नियमित रूप से जांच करते हुए जरूरी होने पर दवा दी जा रही है।

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