नई दिल्ली: पूरे देश मे जेईई मेंस की परीक्षा चल रही है. इस बीच पहले ही दिन करीब 45 फीसदी से ज्यादा छात्र परीक्षा केंद्र नहीं पहुंचे. ये अलग बात है कि अगले दिन से करीब 80 फीसदी से ज्यादा छात्र परीक्षा केंद्र पहुंचे और परीक्षा दी. इस विषम परिस्थिति में परीक्षा होनी चाहिए थी या नहीं. राजनैतिक दलों के विरोध के पीछे क्या एजेंडा है? इन सब का जवाब देने के लिए देश शिक्षा के शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने एबीपी न्यूज संवाददाता नीरज पाण्डेय से खास बात की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश.
सवाल- निशंक जी जेईई की परीक्षा शुरू हो चुकी है, देश के लाखों परीक्षार्थियों के लिए क्या कहेंगे?
उत्तर– मैं जेईई (मेंस) की परीक्षा के संचालन से जुड़ी हर चीज को स्वयं मॉनिटर कर रहा हूं. मुझे बेहद खुशी है कि छात्रों और अभिभावकों ने परीक्षा व्यवस्था पर भरोसा जताया और बड़ी संख्या में परीक्षा केंद्रों पर पहुंच रहे हैं. परीक्षा के दौरान सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं जैसे कि सोशल डिस्टैन्सिंग की व्यवस्था, थर्मल चेक अप, यह सुनिश्चित करना कि सबने मास्क पहना हुआ है इत्यादि, को लेकर छात्रों और अभिभावकों को संतुष्ट करने में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बेहद प्रशंसनीय कार्य किया है. ठीक इसी तरह 3842 केंद्रों पर नीट की परीक्षाएं करवाई जाएंगी. मैं नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को सुरक्षित तरीके से परीक्षा के सफलतापूर्वक आयोजन केलिए बधाई देता हूं और आशा करता हूं कि बाकी परीक्षाएं भी इसी प्रकार सफलतापूर्वक आयोजित होंगी.
हम लोग एक भयानक महामारी के दौर से गुजर रहे हैं लेकिन छात्रों के भविष्य और शिक्षा के साथ समझौता नहीं किया जा सकता. हमें “शिक्षा के साथ सुरक्षा” के मंत्र के साथ आगे बढ़ना होगा. मैं अपने प्यारे छात्रों से कहना चाहता हूं कि आप विश्वास रखें कि आप ना सिर्फ इस परीक्षा में बल्कि जीवन की परीक्षा में भी सफल होंगे.
सवाल- तमाम राजनैतिक पार्टियों ने इसका विरोध किया. इसके बाद भी छात्रों में परीक्षा को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. क्या ये महज छात्रों की आड़ में राजनैतिक रोटियां सेकने का बहाना था?
उत्तर– मैं तो शुरू से ही कह रहा था कि कुछ लोग शोर मचाकर उन लाखों बच्चों की मूक सहमति को दबाने की कोशिश कर रहे थे जो यह चाहते थे कि परीक्षाएं हों. छात्रों के बेहतर भविष्य और विकास के लिए हम सबको एकमत होकर प्रयास करने होंगे. छात्रों का शैक्षिक हित ध्यान में रखना होगा और यह समझना होगा कि अगर यह सत्र शून्य सत्र हो जाता तो छात्रों का बहुत नुकसान होता. इसलिए हमें छात्रों के भविष्य और अभिभावकों की आकांक्षाओं को देखते हुए और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का सम्मान करते हुए राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता से ऊपर उठना चाहिए. परीक्षा में इससे ज्यादा देरी करना एक ठीक नहीं था क्योंकि तब तक अगला बैच इन परीक्षाओं में शामिल होने के लिए तैयार हो जाएगा और जिससे समस्या और विकट हो जाती.
सवाल- राज्य सरकारों से आप और विभाग के अधिकारी लगातार संपर्क में थे. इसके बाद भी विरोध किया जा रहा था? कभी आपके मन में ऐसा खयाल आया कि एक बार फिर चलिए परीक्षा टाल दे या आगे बढ़ा दें?
जवाब– शिक्षा का फिर से राजनीतिकरण किया जा रहा है, हालांकि मैंने कई बार ऐसा नहीं करने की अपील की है. विपक्ष छात्रों के शैक्षणिक हितों के बारे में बगैर सोंचे-समझे अपना एजेंडा चला रहा है.
भारत एकलौता ऐसा देश नहीं है जो इन परीक्षाओं का संचालन हो रहा है. मेरी कई अपील के बावजूद शिक्षा के विषय पर राजनीति की गई. विपक्ष अपना राजनैतिक फायदा सिद्ध करने का प्रयास कर रहा है और छात्रों को दरकिनार कर रहा है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ भारत में ही परीक्षाएं करवाई जा रही हैं. चीन के गाओखाओ में और जर्मनी के एबिटूर में कोविड के बावजूद परीक्षाएं करवाई गईं भारत को भी मजबूती से इस महामारी से लड़ना है और साथ में जेईई और नीट की परीक्षाएं सुचारु रूप से करवानी हैं. हमें एनटीए को जेईई की परीक्षाओं को सुरक्षित तरीके से करवाने के लिए बधाई देनी चाहिए.
सवाल- इस पूरे प्रकरण में आपके शीर्ष नेतृत्व का कैसा सहयोग मिला?
जवाब– जिस प्रकार एनटीए ने “शिक्षा के साथ सुरक्षा” के मंत्र को शाश्वत करते हुए जेईई की परीक्षाओं के सफल आयोजन उसके लिए पूरी एनटीए की टीम बधाई की पात्र है. इसके अलावा सभी राज्यों ने जरूरी चीजों जैसे कि कानून व्यवस्था बनाए रखने, भीड़ प्रबंधन, यातायात में सहयोग इत्यादि में सहयोग किया वो बेहद प्रशंसनीय है और मैं सभी राज्यों का धन्यवाद करता हूं. सरकार ने मार्गदर्शक की तरह काम किया लेकिन इन परीक्षाओं के सफल कार्यान्वयन के पीछे इन्ही के प्रयास हैं.
सवाल- छात्रों की सुरक्षा के लिए क्या क्या मापदंड अपनाए जा रहे हैं?
जवाब– छात्रों का स्वास्थ्य और उनकी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यह सुनिश्चित करेगा कि यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रकार के उपाय किये जाएं. इसलिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों, स्वास्थ्य सचिवों, स्कूली शिक्षा सचिवों, जिस जिले में या शहर में परीक्षा होनी है वहां के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट/डिस्टिक्ट कलेक्टर, पुलिस कमिश्नर/एसएसपी/एसपी इत्यादि सभी हितधारकों से परीक्षाओं पर अंतिम निर्णय लेने से पहले बात की गई और मानक संचालन प्रक्रियाएं बनाई गईं.
सभी प्रकार के जरूरी एहतियातों को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के साथ-साथ उच्च स्तरीय चिकित्सा विशेषज्ञों की कमेटी की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए मानक संचालन प्रक्रियाएं जारी की. थर्मो गन द्वारा शरीर का तापमान की जांच, एचएचएमडी की लंबी रॉड से तलाशी, बिना किसी संपर्क के दस्तावेजों का सत्यापन, बार कोड द्वारा एडमिट कार्ड की जांच जैसे कुछ कदम उठाये जाएंगे. जिन छात्रों में कोरोना के लक्षण हैं उनके लिए आइसोलेशन कमरे बनाये गए हैं.
इसके अलावा परीक्षा हॉल में उचित सोशल डिस्टैन्सिंग सुनिश्चित करने के लिए उम्मीदवारों को एक सीट छोड़ कर बिठाया जाएगा. परीक्षा केंद्रों में अंदर आने और बाहर जाने के समय भी परीक्षार्थियों को भीड़ नहीं बनाने दी जाएगी. पर्यवेक्षकों द्वारा भी सोशल डिस्टैन्सिंग का पालन करने को कहा गया है और इसी वजह से 12 परीक्षार्थियों पर एक पर्यवेक्षक होगा. नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की वेबसाइट पर परीक्षार्थियों एवं आम जनता के लिए परीक्षा संबंधित विस्तृत दिशानिर्देश जारी कर दिए गए हैं. परीक्षार्थियों को सोशल डिस्टैन्सिंग संबंधित सभी प्रकार की सलाह विस्तृत रूप से दे दी गई हैं. परीक्षार्थियों को परीक्षा केंद्रों तक आने जाने में समस्या ना हो इसके लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने राज्य सरकारों से उन्हें मदद करने को कहा ताकि वो परीक्षा केंद्रों तक आसानी से पहुँच जाएं. इस प्रकार सुविधाजनक एवं सुरक्षित तरीके से परीक्षा करवाने के सभी इंतजाम किए गए हैं.