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सोने में निवेश के चारों तरीकों पर देना होगा इनकम टैक्स, जानें कितना लगेगा कर

आयकर विभाग ने 2020-21 के लिए कुछ दिन पहले आईटीआर दाखिल करने की अंतिम तिथि बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2021 कर सभी कर दाताओं को बड़ी राहत दी है. इससे पहले आईटीआर दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 सितंबर 2021 थी. इनकम टैक्स के रिटर्न भरते समय आपको अपने कमाई से लेकर निवेश तक की सारी जानकारियां देनी पड़ती है. आपने अगर सोने में भी निवेश किया है तब भी आपको इसकी जानकारी आयकर विभाग को देनी हैती है.

आईटीआर से जुड़े मामलों के जानकारों के अनुसार सोने में निवेश के तरीके के आधार पर टैक्स का भुगतान करना पड़ता है. गोल्ड बॉन्ड के जरिए सोने में निवेश करने वालों के लिए फिजिकल सोना खरीदने वालों की तुलना में अलग टैक्स देनी होगी. आज हम आपको सोने में निवेश के चारों तरीकों पर किताना टैक्स भुगतान करना होगा इसकी जानकारी देंगे.

फिजकल गोल्ड – फिजिकल गोल्ड में निवेश करने के 36 महीने के अंदर उसे बेचने पर स्लैब के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है. निवेशक के सालाना होने वाली कमाई में सोने से मिलने वाला रिटर्न जुड़ता है.

इसके अलावा निवेश के तीन साल बाद अगर सोने को बेचा जाता है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. इसमें टैक्स बिक्री से होने वाली कमाई के आधार पर तय किया जाएगा. इसपर कुल आय के 20 फीसदी टैक्स देना होगा.

डिजिटल गोल्ड – सोने में निवेश का नया तरीका डिजिटल गोल्ड को माना जाता है. डिजिटल गोल्ड की लोकप्रियता बड़ी तेजी से बढ़ते जा रही है. इसमें अलग-अलग वॉलेट और बैंक एप के जरिए निवेश किया जाता है. डिजिटल गोल्ड में एक रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है. इस निवेश में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 4 प्रतिशत सेस और सरचार्ज के साथ रिटर्न पर 20 प्रतिशत टैक्स लगता है. डिजिटल गोल्ड को 36 महीने से कम समय के लिए रखने पर रिटर्न पर सीधए टैक्स नहीं लगता है.

गोल्ड ईटीएफ – गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(ईटीएफ) और गोल्ड म्यूचुअल फंड के जरिए भी सोने में निवेश किया जा सकता है. इसमें सोना वर्चुअल फॉर्म में होता है.  इसमें फिजिकल गोल्ड के समान टैक्स लगता है. गोल्ड ईटीएफ के जरिए सोने में निवेश करने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के लिए 20 फीसदी टैक्स के साथ 4 फीसदी सेस लगता है.

सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड – एसजीबी या सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेशको को सालाना 2.5 फीसदी का ब्याज मिलता है, जिस पर स्लैब के अनुसार टैक्स देना पड़ता है. इसमें निवेश के 8 साल बाद निवेशक का रिटर्न पूरी तरह से टैक्स फ्री हो जाएगा.

5 साल बाद मैच्योरिटी तक पहुंचने से पहले किसी भी समय होल्डिंग बेची जाती है तो 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स व 4 फीसदी सेस लगता है.

 

 

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